भोपाल : सर्वत्र सेवा, परोपकार और स्वैच्छिकता की स्थापित करने और विश्व में “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना जाग्रत करने के ध्येय को लेकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित जी -20 देशों के दो दिवसीय सी-20 सिविल सेवा सम्मेलन का रविवार को समापन हो गया। यह समाप्ति इस निष्कर्ष के साथ हुई कि वर्तमान से लेकर आनेवाले भविष्य में जी-20 का यह सी-20 ग्रुप सार्वभौम सेवा का ड्राफ्ट दुनिया के सभी देश स्वीकारेंगे और मानव हित में इसका पालन करेंगे। इस दौरान सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले देशभर के 16 सेवा योगियों को सम्मानित किया गया।
आयोजन की समाप्ति पर आई. एस. आर. एन. के सीईओ और सेवा समिट के राष्ट्रीय समन्वयक संतोष गुप्ता ने दो दिनी कार्यक्रम की जानकारी देते हुए रविवार को बताया कि सी-20 सेवा वर्किंग ग्रुप की सेवा पॉलिसी में सार्वभौमिक विश्व के कल्याण एवं परस्पर के सहयोग के लिए सात अनुशंसाओं की हैं और सभी का यह स्वीकृत मत है कि इसे हर देश अपने अमल में लाए।
उन्होंने बताया कि पहली अनुशंसा में राष्ट्रों के बीच क्रॉस-कंट्री लर्निंग सहयोग और अन्य सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जी 20 देशों से अनुकरणीय सेवा प्रथाओं का संकलन तय किया गया। दूसरा, सेवा और वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन को बढ़ावा देने वाले नागरिक समाजों/स्वैच्छिक संगठनों का एक वैश्विक नेटवर्क स्थापित करने पर बल दिया गया है ताकि विश्वस्तर पर सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके। तीसरा-सरकार सामाजिक कार्यों में बड़े पैमाने पर भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य स्तरीय सेवा अभियान आयोजित करे।
चतुर्थ अनुशंसा में कहा गया, सार्थक जीवन को बढ़ावा देने के लिए एक नीति, मॉड्यूल विकसित करना और सेवा को स्वयंसेवा और परोपकार जैसी निस्वार्थ सेवा के लिए एक समावेशी शब्द के रूप में स्थापित करना । पांचवीं- सेवा सभी परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिए एक विकास उपकरण के रूप में कार्य करेगा, जो संगठनों और व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर सेवा की सुविधा के लिए व्यक्तियों और सीएसओ का एक वैश्विक गठबंधन स्थापित करना भी है। छहवां- सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटने और स्वयंसेवी गतिविधियों में बच्चों और युवाओं को शामिल करने के लिए अकादमिक पाठ्यक्रमों में सेवा मॉड्यूल की शुरुआत करना और अंतिम रूप से यह तय किया गया कि राष्ट्र-निर्माण के लिए बुजुर्गों और सेवानिवृत्त लोगों के कौशल और ज्ञान का उपयोग करके, बुजुर्ग आबादी के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली स्थापित करना है ।
सेवा समिट के राष्ट्रीय समन्वयक संतोष गुप्ता ने बताया कि आयोजन के दूसरे दिन पहले सत्र में डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने सेवा नाम की संकल्पना को परिभाषित करते हुए कहा कि यह सर्विस का पर्याय नहीं है । सेवा भाव की अनुभूति अतः अनुभव करके समझने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि सिर्फ पढ़कर नहीं, अनुभव के बिना एक्सपोजर बेकार हैं। अनुभव से सहानुभूति बनती है। उन्होनें पुनः कहा कि निति निर्धारण के क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त दक्ष लोगो की जरुरत है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्र ने सेवा को संस्कृति एवं दर्शन का अहम हिस्सा माना। उन्होंने परोपकार के लिए नदी, वृक्ष और गाय का उदाहरण दिया और कहा कि हमारा शरीर परोपकार के लिए बना है । यहां समाहार करते हुए नीति आयोग के वरिष्ठ परामर्शदाता आनंद शेखर ने प्रधानमंत्री के “स्वच्छता ही सेवा है” के उदघोष को स्वीकार करने की बात कही। इसके अलावा उन्होंने चार पी मॉडल को अपनाने की बात कही जिसमें पॉलिसीज, पार्टनरशिप, प्रमोशन और पीपल ड्रिवेन है। इनका कहना रहा कि सेवा भारत की जीवनशैली का हिस्सा नहीं है बल्कि सेवा विमर्श के केंद्र में है ।
सम्मेलन में एक सत्र मध्य प्रदेश में हो रहे सेवा कार्यों के लिए भी समर्पित था। जिसमें कि सेवा के विविध आयामों के साथ राजनीतिक इच्छा शक्ति के सेवा क्षेत्र पर पड़े सकारात्मक प्रभाव एवं उसके आए सकारात्मक परिणामों पर व्यवहारिक चर्चा की गई। यहां अन्य संस्थाओं के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सेवा कार्यों का जिक्र भी आया और सुधांशु मित्तल ने अपने वक्तव्य में बताया कि नर सेवा नारायण सेवा मानकर राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ जैसे सेवा संगठन द्वारा 11 संस्थानों के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालम्बन के क्षेत्र में दो लाख प्रकल्प चलाए जा रहे हैं । उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला सेवा प्रकल्पों का दस्तावेजीकरण होना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि पहले दिन सेवा, परोपकार और स्वैच्छिकता के केंद्रीय भाव के साथ सी- 20 कार्यकारी समूह के शिखर सम्मेलन का शुभारंभ भी किया गया था। डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, आईसीसीआर ओमप्रकाश सकलेचा विज्ञान, तकनीकी और एम एस एम ई मंत्री मध्य प्रदेश सरकार, अशोक भगत, सचिव सेवा भारती, यूएई के मोहम्मद हाजी अल खूरी, सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने इस शिखर सम्मेलन में विमर्श कर्ता के रूप में भाग लिया । वहीं, माता अमृतानंदमयी के वीडियो द्वारा दिए गए आशीर्वचन ने कार्यक्रम को सेवामय बना दिया था।
राष्ट्रीय समन्वयक संतोष गुप्ता ने बताया कि विवेकानन्द केंद्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष निवेदिता भिड़े, अशोक भगत, डॉ. श्याम परांडे, राजाराम कटारा, प्रेम परिवर्तन यानी पीपल बाबा, गोपाल आर्य, अश्विनी खुराना, अंजलि मखीजा, निधि गोयल, वृंदा खन्ना, संतोष गुप्ता, मध्य प्रदेश जन-अभियान परिषद के डायरेक्टर जनरल बीआर नायडू, मध्य प्रदेश राज्य नीति और योजना आयोग के उपाध्यक्ष और आरआईएस के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी, समाजसेवी सुधांशु मित्तल, अक्षय पात्र फाउंडेशन के भारतरशभा दास, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के फाउंडर आशीष गौतम और अर्श विद्या मंदिर के फाउंडर और हिंदू धर्म आचार्य सभा के सेक्रेटरी जनरल श्परमात्मा नंद सरस्वती विचार रखे। वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा सभी सेवा योगी और गुमनाम नायकों का सम्मान किया गया ।
संतोष गुप्ता ने यह भी कहा कि कुल 20 सेवा योगियों का सम्मान होना था, जिसमें से यहां 16 लोग आ सके। अन्य जो नहीं आए उनका सम्मान-पत्र एवं सम्मान उन तक पहुंचाया जाएगा।
इन का हुआ सम्मान
डॉ. अंबर पारे, जीशान निज, प्रमांशु शुक्ला, मोहन सोनी, सैयद शाहिद मीर, मनीष भावसार, सुनीता भुविस्टाले, शिवराज खुशवा, पद्मश्री उमाशंकर पांडे, पूनम चंद गुप्ता, पराग दीवान,जयराम मीना, रीतेश क्षोत्रिय, विनोद तिवारी, डॉ. सपन कुमार, दीप माला पांडे। इसके साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करकमलों से “सेवा, सुशासन, और सहभागिता के दो दशक” तथा सर्विस : कॉम्पेंडियम ऑफ प्रैक्टिसेज अक्रॉस जी 20 कन्ट्रीज” पुस्तकों का विमोचन किया गया।
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