भोपाल। कन्वर्जन के मामले और हिंदू लड़कियों के हिजाब पोस्टर से विवादों में आए दमोह के गंगा जमुना स्कूल को जबलपुर हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। स्कूल प्रबंधन निलंबित की गई मान्यता को बोर्ड परीक्षाओं का आधार लेकर न्यायालय गया था। हाईकोर्ट से अपील की गई थी कि तत्काल प्रभाव से स्कूल मान्यता नियमित की जाए।
विद्यालय प्रबंधन का तर्क था कि मान्यता निलंबित किए जाने से इसमें पढ़ने वाले 1200 बच्चों की पढ़ाई पर संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन ने अपने तथ्य रखते हुए हाईकोर्ट से मान्यता बहाल करने के लिए राज्य शासन को आदेशित करने के लिए कहा था। इस पर 27 जून को सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ में गंगा जमुना स्कूल प्रबंधन की ओर से पैरवी कर रहे वकील द्वारा यह भी कहा गया था कि लाइब्रेरी, प्रयोगशाला और शैक्षणिक सुविधाएं होने के बावजूद मान्यता रद्द की गई है। इस पर हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय बाल आयोग (एनसीपीसीआर) ने अदालत के समक्ष पेश होकर अपनी बात रखने के लिए कहा और आगामी एक जुलाई की सुनवाई तारीख तय कर दी थी ।
एक जुलाई को फिर से हाईकोर्ट में सुनवाई की गई । इसमें अब सामने आया है कि कन्वर्जन और इस्लामिक शिक्षा दिए जाने जैसे आरोपों से घिरे इस स्कूल को फिलहाल कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का भी वक्तव्य सामने आया है।
उन्होंने विवादों के इस स्कूल को लेकर कहा, ”दमोह के गंगा जमना स्कूल की मान्यता के निलम्बन के ख़िलाफ़ स्कूल प्रबंधन द्वारा लगाई गयी याचिका में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में सुनवाई समाप्त, निलम्बन बरकरार रहेगा।” एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने उक्त निर्णय संबंधी बातें सोशल मीडिया पर भी साझा की हैं।
गंगा जमुना स्कूल पर हुई है ये कार्रवाई
पुलिस ने अब तक गंगा जमुना विद्यालय के इस प्रकरण में प्रबंध समिति के 13 सदस्यों पर आपराधिक मामला दर्ज किया है । जिसमें जुवेनाइल जस्टीज जेजे एक्ट, धारा, 506, 295 और धर्मांतरण कन्वर्जन की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। तीन सदस्यों गिरफ्तार किया गया है, शेष प्रबंधन समिति के आरोपित सदस्य फरार चल रहे हैं।
दूसरे विद्यालय में कराई जा रही है पढ़ाई की व्यवस्था
बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए टीसी लेने वाले अभिभावकों को टीसी देने का काम जारी है। साथ ही दमोह जिला प्रशासन द्वारा सभी बच्चों की पढ़ाई कराए जाने की व्यवस्था अन्य विद्यालयों में कराई गई है ।
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