उत्तराखंड में वन विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं, जिन्हे हटाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन दिनों विशेष अभियान शुरू किया हुआ है। जंगल की जमीनों पर सबसे ज्यादा गुज्जर बक्करवालो यानि मुस्लिम गुज्जर के अवैध कब्जे सामने आए हैं, जिन्हें हटाने या खुद ही हटने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
नोटिस जारी होते ही इन मुस्लिम गुज्जरों के हमदर्द सामने आने लगे हैं। उत्तराखंड में मुस्लिम गुज्जरों की जमीनों पर कब्जा बनाए रखने के लिए बिजनौर के बहुजन समाज पार्टी के सांसद मलूक नागर ने केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लच्छीवाला फॉरेस्ट रेंज में दिए गए नोटिस पर ऐतराज जताया है। दिलचस्प बात ये है कि बिजनौर के सांसद मलूक नागर ने 26 मई 2023 को केंद्रीय वनमंत्री को लिखे पत्र में ये कहा है कि उत्तराखंड व हिमाचल के गुज्जर बक्करवालो (मुस्लिम गुज्जरों) को लच्छीवाला रेंज से बेदखली के नोटिस तुरंत वापस लिए जाए। यानि पत्र में लिखे ब्यौरे में साफ-साफ स्वीकार किया गया है कि उत्तराखंड में हिमाचल के मुस्लिम गुज्जर भी जंगल की भूमि पर काबिज हैं। उल्लेखनीय है कि “पाञ्चजन्य” ने इस बात का सबसे पहले खुलासा किया था कि उत्तराखंड के जंगलों में बाहरी प्रदेशों के मुस्लिम गुज्जर भी अवैध रूप से बसे हुए हैं।
उत्तराखंड में मुस्लिम गुज्जरों को रिजर्व फॉरेस्ट से बाहर निकाल कर उन्हें प्रति परिवार एक हेक्टेयर जमीन और मकान बनाने के लिए साढ़े चार लाख रुपए की रकम दी गई। इस विस्थापन योजना में करीब ढाई हजार गुज्जर परिवारों का विस्थापन हुआ। लेकिन इस विस्थापन योजना का मुस्लिम गुज्जरों ने गलत फायदा उठाया और अब अपनी जमीनों को स्टांप पेपर पर बेच कर ये फिर से जंगलों में जाकर बैठ गए या कुछ पहाड़ों की तरफ आने जाने लगे।
दरअसल सरकार ने विस्थापन योजना में इन्हें साफ कह दिया था कि वे जंगल के बाहर ही रहेंगे। आबंटित जमीन पर चारे बोएंगे और पशुओं का भरण पोषण करेंगे। साथ ही उनके लिए सरकार ने बिजली, पानी, स्कूल आदि की भी व्यवस्था करके दी। लेकिन खाना बदोश की तरह मुस्लिम गुज्जर पहाड़ों की तरफ भी जाते रहे और वहां भी डेरे बनाते रहे हैं। इनमें जमात के लोग जाने लगे और पहाड़ों पर जंगल की जमीन पर मदरसे तक खुलने लगे। इधर लच्छींवाला, तराई पूर्वी, हरिद्वार और अन्य फॉरेस्ट रेंज में आबंटित भूमि के साथ लगी जमीनों पर मुस्लिम गुज्जरों ने अवैध कब्जे कर लिए, जिनमें हिमाचल और कश्मीर के गुज्जर बक्करवालो (मुस्लिम गुज्जर) भी शामिल हो गए हैं।
उत्तराखंड वन विभाग और उत्तराखंड के खुफिया विभाग ने जब इस बारे में धामी सरकार को अवगत कराया तो सरकार ने बेदखली की कार्रवाई करने का आदेश जारी किया। इन आदेशों के बाद बिजनौर के सांसद इनकी पैरवी करने लग गए हैं। स्मरण रहे कि सांसद मकूल नागर की 53 करोड़ से ज्यादा संपत्ति को सरकार ने कुर्क किया हुआ है। इन पर आरोप है कि उनके द्वारा ये संपत्ति अवैध रूप से अर्जित की गई है।
हर हाल में हटाएं अतिक्रमण : धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग के मुखिया अनूप मलिक और अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ पराग मधुकर धकाते को स्पष्ट निर्देश दिया है कि उत्तराखंड के जंगलों से वन गुज्जरों के या अन्य किसी के भी अवैध कब्जे हैं तुरंत हटाए जाएं, इसमें कोई राजनीति दबाव सहन नहीं किया जाएगा।
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