नदियों की सफाई के लिए सरकार चाहे कितनी भी योजनाएं चला ले, लेकिन लोग इन पावन नदियों को गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। उत्तराखंड में भागीरथी, अलखनंदा, मंदाकिनी, यमुना नदी से कुंतलों के हिसाब से कपड़ा निकल रहा है।
जानकारी के मुताबिक इन पावन नदियों में स्नान करने के बाद श्रद्धालु अपने पहने वस्त्रों को पानी में ही फेंक जाते हैं। खास तौर पर महिलाएं जो साड़ी या अन्य वस्त्र पहने हुए स्नान करती हैं वो वही वस्त्र यहीं जल धारा में छोड़ जाती हैं, ऐसा बताया जाता है कि ये कोई नई परंपरा नहीं है, बरसों से ऐसा होता आया है। हरिद्वार में जब गंगा की सफाई के लिए पानी को रोका जाता है तो उनमें सबसे ज्यादा महिलाओं की साड़ियां ही मिलती हैं, जोकि कुंतलों के हिसाब से हरकी पैड़ी सहित अन्य घाटों से निकाली जाती हैं।
ये कपड़ों की गंदगी केवल हरिद्वार में ही नहीं गंगा के गंगोत्री धाम में भी निकलती है। गंगोत्री धाम के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि हम पिछले दिनों भागीरथी की सफाई में चार कुंतल कपड़ा निकाला गया, जिनमें ज्यादातर साड़ियां थीं, उन्हें नगर पालिका को सौंप दिया गया। जिनका वे निस्तारण करेंगे। यमुनोत्री धाम में भी ऐसा हो रहा है और मंदिर समिति बार-बार ये अपील भी करती है कि अपने कपड़ों को वापस साथ लेकर जाएं, यहां नही फेंके। बावजूद इसके कोई मानता नहीं क्योंकि उन्हें इसके सुखाने और समेटने की दिक्कत होती है। जानकारी के मुताबिक जहां गंगा-यमुना और अन्य सहायक नदियों पर बैराज बने हैं या अवरोध के लिए जालियां लगी हैं, वहां पर इन कपड़ों की वजह से पानी के बहाव में भी दिक्कतें आ रही हैं।
नमामि गंगा प्रोजेक्ट
गंगा और अन्य सहायक नदियों की सफाई पर काम कर रही जल शक्ति मंत्रालय की संस्था नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधिकारी पूरन कापड़ी ने बताया कि पावन नदियां सबसे ज्यादा छोड़े गए कपड़ों की वजह से ही गंदी हो रही हैं और इस बारे में जागरुकता अभियान चलते हैं, लेकिन तीर्थ यात्रियों के द्वारा फिर भी नदियां गन्दी की जाती रही हैं।
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