झारखंड विधानसभा में नमाज के लिए एक कक्ष आवंटित किए जाने के मामला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। विधानसभा में नमाज कक्ष के लिए एक कमरा दिए जाने पर अजय कुमार मोदी नाम के एक व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर की थी। इसी याचिका की सुनवाई 22 जून को हुई। इस मामले में विधानसभा की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि मामले को लेकर 7 सदस्य वाली कमेटी गठित की गई है, जिसकी रिपोर्ट अब तक उनके पास नहीं आ पाई है। इस विषय पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्र व न्यायाधीश आनंद सेन की खंडपीठ ने विधानसभा को 5 सप्ताह में एक कमेटी की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अब अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी। याचिका दाखिल करते हुए अजय कुमार मोदी ने कहा है कि झारखंड सेकुलर राज्य है इसलिए विधानसभा में नमाज कक्ष की आवश्यकता नहीं है।
इससे पहले भी 2 मई 2023 को जब उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई थी तो उस वक्त भी उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से पूछा था की नमाज कक्ष की व्यवस्था किस आधार पर की गई है। उस वक्त भी देश के अलग-अलग राज्यों के विधानसभा से नमाज कक्ष को लेकर रिपोर्ट मंगाए जाने की बात की गई थी। उसके बाद 18 मई की सुनवाई तय हुई थी।
क्या है पूरा मामला?
झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बने 2 वर्ष ही हुए थे कि 2 सितंबर 2021 को झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो के आदेश पर विधानसभा के एक कक्ष को नमाज के लिए आवंटित कर दिया गया था। झारखंड में अपने आप को सेकुलर दल की श्रेणी में रखने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार चल रही है। उस वक्त भी प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए कहा था कि कांग्रेस ही तुष्टीकरण की जननी है और विधानसभा में नमाज कक्ष का आवंटन किया जाना इसका जीता जागता सबूत है। कई भाजपा नेताओं ने विधानसभा के अंदर हिंदू, जैन, बौद्ध और सरना समाज के लिए भी कमरा आवंटन करने की मांग की थी।
हालांकि इस निर्णय के बाद भाजपा नेताओं की ओर से पुरजोर आंदोलन करते हुए विधानसभा घेराव किया था। इस विरोध को कुचलने के लिए भाजपा नेताओं पर लाठीचार्ज भी की गई थी। इतना ही नहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, सांसद संजय सेठ, मेयर आशा लकड़ा, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव समेत 22 लोगों पर मामला दर्ज हुआ था।
इस मामले पर झारखंड के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि पहले भी हेमंत सरकार तुष्टीकरण की वजह से विधानसभा में नमाज कक्ष आवंटित करवाया। इसके बाद विरोध करने वाले भाजपा नेताओं पर मामला दर्ज करवाया। इस मामले पर जब विधानसभा में भाजपा नेताओं ने हंगामा किया तो एक कमेटी बनाई गई जिसे 45 दिनों में रिपोर्ट देना था। मामला अब झारखंड उच्च न्यायालय में चला गया है और 2 साल बीत गए अब तक विधानसभा की ओर से रिपोर्ट नहीं दिया गया है। इससे यही प्रतीत हो रहा है कि आने वाले दिनों में झारखंड में चुनाव तक सरकार इस मामले को लटकाना चाहती है। ऐसा इसलिए कर रही है ताकि एक बार फिर से तुष्टीकरण की राजनीति की जा सके और एक बार फिर से नमाज कक्ष का आवंटन कर सके। लेकिन इस बार फिर से प्रदेश की सरकार की यह मंशा कोई भी सनातनी पूरी नहीं होने देगा।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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