भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर पहुंच रहे हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने, कारोबार एवं आर्थिक सहयोग के नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी। प्रधानमंत्री मोदी की मिस्र की पहली यात्रा है।
प्रधानमंत्री मोदी प्रथम विश्वयुद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान करने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि भी देंगे। प्रधानमंत्री अमेरिका की चार दिवसीय राजकीय यात्रा पूरी कर वाशिंगटन से काहिरा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर मोदी की मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा 1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान का दौरा भी करेंगे। यहां प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फिलिस्तीन के लिए लड़ते हुए बलिदान भारतीय सेना के लगभग 4,000 सैनिकों के स्मारक हैं। भारत के प्रधानमंत्री मोदी राजधानी काहिरा में स्थित अल हकीम मस्जिद भी जाएंगे।
प्रधानमंत्री की मिस्र यात्रा का कार्यक्रम स्थानीय समयानुसारः 24 जून- अपराह्न 2:45 बजे काहिरा आगमन। 5:10 बजे मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मैडबौली के साथ राउंड टेबल बैठक। 6:10 बजे भारतीय समुदाय के साथ बातचीत। 6:50 बजे – मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती से मुलाकात। 7:15 बजे मिस्र के विद्वानों से चर्चा। 25 जून- 9:30 बजे अल हकीम मस्जिद का दौरा। 10:30 बजे हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान का दौरा। 11:00 बजे मिस्र के राष्ट्रपति के साथ बैठक। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता। एमओयू पर हस्ताक्षर। 2:00 बजे संवाददाता सम्मेलन। 3:00 बजे भारत के लिए प्रस्थान।
काहिरा में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने कहा है कि भारत और मिस्र दो सबसे प्राचीन सभ्यताएं हैं और हमारे संबंध चार हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं। सदियों से हमारे समुद्री संपर्क रहे हैं। हाल के वर्षों में, खासतौर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद, संबंध और भी मजबूत हुए हैं।
राजदूत गुप्ते ने कहा कि मिस्र में हर कोई भारतीय संस्कृति से प्रभावित है। लोग दशकों से हिंदी फिल्में देख रहे हैं। भारत और मिस्र ने गुट निरपेक्ष आंदोलन के लिए मिलकर काम किया है। महात्मा गांधी और साद जगलौल की घनिष्ठ मित्रता सारी दुनिया के सामने है। मिस्र के लोग भारत के करीब रहना चाहते हैं। वह हमारी संस्कृति और हमारे पारिवारिक मूल्यों के साथ बहुत निकटता से जुड़े हुए हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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