21 जून बीत गया है और इसके साथ ही एक ऐसी घटना का पूरा एक वर्ष बीत गया है, जिसे लेकर अब जैसे एक सन्नाटा है, सब कुछ सामान्य हो गया है, और ऐसा लग रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। मगर जून 2022 की इस घटना के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष पीड़ितों के लिए जीवन सामान्य नहीं है, और जीवन सामान्य हो भी नहीं सकता क्योंकि इसी दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे बड़ा मजाक उड़ा था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ भय भी जुड़ गया था।
महाराष्ट्र में अमरावती जिले के उमेश कोल्हे की हत्या इस्लामी कट्टरपंथियों ने केवल इसलिए कर दी थी क्योंकि उमेश कोल्हे की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उनके कई वर्ष पुराने मित्र को ही रास नहीं आई थी। जबकि उनके उस मित्र का, जिसकी बहन की शादी के लिए उमेश कोल्हे ने ही बढ़ चढ़कर मदद की थी क्योंकि उसे मदद की जरूरत थी।
16 साल की दोस्ती और बहन की शादी के समय की गयी मदद भी आखिर उस घृणा को कम नहीं कर सकी, जिसके चलते उमेश कोल्हे की जघन्य हत्या कर दी गयी थी। एक वर्ष पूरा हुआ, परन्तु वह प्रश्न अभी तक अनुत्तरित है कि आखिर दोष क्या था ? उमेश कोल्हे की मेडिकल शॉप थी और उनका दोस्त भी उन्हीं की दुकान से दवाइयां खरीदता था।
यह प्रश्न अभी तक अनुत्तरित है कि आखिर 21 जून 2022 का दिन इतनी सहजता से क्यों भुला दिया गया ? क्या यह दिन भुलाने योग्य है ? या तो ऐसे विषयों पर देश की स्मृति बहुत ही संकुचित हो जाती है और व्यक्ति यह देख भी नहीं पाता कि उसके सामने विमर्श के कौन से बिंदु हैं और होने चाहिए। उमेश कोल्हे की हत्या किसी बड़े कारण पर नहीं हुई थी। बल्कि केवल इस बात पर हो गयी थी कि उन्होंने “नुपुर शर्मा” के समर्थन में एक पोस्ट साझा कर दी था।
यही वह इकोसिस्टम है जो उमेश कोल्हे की हत्या को घृणा का अपराध न बताने को तुला हुआ था। वह इसे एक सामान्य हत्या ही जैसे बता चुका था। मगर धीरे-धीरे पता चला कि उनकी हत्या बीजेपी से निष्कासित नेता “नुपुर शर्मा” का समर्थन करने के लिए कर दी गयी थी।
आखिर किया क्या था नुपुर शर्मा ने ?
यह घटना सभी के लिए हैरान करने वाली थी। नुपुर शर्मा ने कथित रूप से पैगम्बर निंदा कर दी थी, और यह भी सभी ने देखा था कि कैसे उन्हें तस्लीम अहमद रहमानी ने उकसाया था। परन्तु नुपुर शर्मा के उस वीडियो को अपने अनुसार काट-छांटकर अपने एजेंडे के अनुसार जिस प्रकार कथित फैक्ट चेकर जुबैर ने की थी, उसके चलते भारत में नुपुर शर्मा के खिलाफ सर तन से जुदा के नारे लगने लगे थे। नुपुर शर्मा की हत्या के लिए एक वर्ग विशेष ने उन्माद फैला दिया था। लोगों को याद है कि कैसे जुबैर के जहरीले शब्दों ने नुपुर शर्मा के खिलाफ एक उन्माद का माहौल बना दिया था।
27 मई, 2022 की सुबह जुबैर ने ट्वीट किया था, “भारत में प्राइम टाइम की बहस नफरत फैलाने वालों के लिए दूसरे धर्मों के बारे में बुरा बोलने के लिए उकसाने का एक मंच बन गया है। टाइम्स नाउ की एंकर नविका कुमार एक कट्टर सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले और भाजपा प्रवक्ता को बकवास बोलने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं जिससे दंगे भड़क सकते हैं। शर्म करो विनीत जैन।”
जुबैर के इन ट्वीट्स का और उसके द्वारा फैलाए गए जहरीले शब्दों ने देखते ही देखते नुपुर शर्मा को कट्टरपंथियों का निशाना बना दिया और फिर 27 मई, 2022 को नूपुर शर्मा ने दिल्ली पुलिस और पुलिस कमिश्नर को टैग करते हुए ट्वीट किया, “मुझे और मेरे परिवार को लगातार जान से मारने और सिर काटने की धमकियां मिल रही हैं, जो मोहम्मद जुबैर द्वारा सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने और माहौल खराब करने की कोशिशों के कारण दी गई हैं।”
जुबैर और इकोसिस्टम में वह नैरेटिव बनाया कि जिसमें तहसीन रहमानी द्वारा महादेव का अपमान दब गया था और नुपुर शर्मा को जैसे वहशी और पागल उन्माद के सामने फेंक दिया गया था।
सोशल मीडिया पर लोगों ने किया था नुपुर शर्मा का समर्थन
एक महिला को इस प्रकार कट्टरपंथ का शिकार होते देखकर एवं यह देखते हुए कि कैसे नुपुर शर्मा इस लड़ाई को लड़ रही हैं, बहुसंख्यक हिन्दू समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग नुपुर शर्मा के समर्थन में उतरा था। सोशल मीडिया पर लोगों ने नुपुर का समर्थन करने वाली पोस्ट्स शेयर की थीं। नुपुर शर्मा को मारने से वंचित रहने वाले लोग उन लोगों को मारने के लिए उतारू हो गए थे, जिन्होनें सोशल मीडिया पर नुपुर शर्मा का समर्थन करने की अपनी मूलभूत अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का प्रयोग किया था।
नुपुर शर्मा का समर्थन अमरावती के रहने वाले उमेश कोल्हे ने केवल व्हाट्स एप पर किया था और वह भी एक ग्रुप में साझा किया था। इस ग्रुप में केवल युसुफ खान ही एकमात्र मुस्लिम सदस्य था। मीडिया के अनुसार उमेश कोल्हे उस ग्रुप के एडमिन थे। 14 जून को उन्होंने इस ग्रुप में नुपुर शर्मा के समर्थन वाली तस्वीर साझा कर दी। युसुफ ने यह तस्वीर लेकर उमेश कोल्हे का नंबर आदि समस्त आवश्यक विवरण उन लोगों को दे दिए, जो नुपुर शर्मा के विरोध में थे। उमेश कोल्हे का यह मेसेज देखते ही देखते कई कट्टरपंथी समूहों में वितरित हो गया।
और फिर योजना बनाई गयी कि कैसे उन्हें मारना है, योजनानुसार उनकी हत्या कर दी गयी। जब यह मामला सामने आया था तो इस मामले का उत्तरदायित्व राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया और फिर जांच में पता चला कि उमेश की हत्या तबलीगी जमात के कट्टरपंथी मुस्लिमों ने की थी और यह भी कहा कि आरोपी “गुस्ताखे नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा” की विचारधारा से जुड़े थे। हालांकि युसुफ खान ने तमाम आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि वह बरेलवी है और सुन्नी फिरके का है।
इस हत्याकांड में एनआईए ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 341, 302, 153-ए, 201, 118, 505, 506, 34 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16, 17, 18, 19 और 20 के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था और यह बहस आरम्भ की थी कि आखिर वह क्या कारण है कि क्यों नुपुर शर्मा का समर्थन करने पर हत्याएं हो रही हैं।
अब जब 21 जून 2023 बीत गया है, तो यह देखने का अवसर है कि क्या इस प्रकार का कट्टरपंथी उन्माद कम हुआ है, या यह और बढ़ा है और क्या इस उन्माद को जस्टिफाई करना भी कथित प्रगतिशीलों द्वारा जारी है, जैसा नुपुर शर्मा के मामले में कोई भी कथित फेमिनिस्ट एवं प्रगतिशील सामने नहीं आए थे !
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