प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिकी दौरे पर हैं। जहां राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने पीएम मोदी का शानदार तरीके से स्वागत किया। इस दौरान पीएम मोदी ने जो बाइडेन और जिल बाइडेन को बेहद खास उपहार दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बाइडेन को ‘दृष्ट सहस्रचंद्र’ का उपहार दिया है। पीएम मोदी के दिए गए इस उपहार का धार्मिक दृष्टि से बेहद खास महत्व है। यह उपहार उम्र के अनुसार दिया जाता है। जिसे पीएम मोदी ने जो बाइडेन के 80 साल हो जाने पर उन्हें यह खास उपहार दिया है। तो चलिए आपको इस ‘दृष्ट सहस्रचंद्र’ से जुड़ी जानकारी को बताते हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडेन को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उपहार-
प्राचीन भारतीय पाठ कृष्ण यजुर्वेद के वैखानस गृह्य सूत्रम में उल्लेख है कि एक व्यक्ति जब अस्सी वर्ष और आठ महीने की आयु पूरी कर लेता है, तो वह ‘दृष्ट सहस्रचंद्र’ या वह व्यक्ति बन जाता है, जिसने एक हजार पूर्ण चन्द्र अर्थात पूर्णिमा देखी हैं।
‘सहस्र पूर्ण चंद्रोदयम’ या एक सहस्र पूर्णिमाओं की जीवन अवधि को हिंदू जीवन शैली में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जाता है। दो पूर्णिमाओं के मध्य का अंतर लगभग 29.53 दिन है, अत: एक हजार पूर्णिमाओं द्वारा तय किया गया समय लगभग 29530 दिन या 80 वर्ष और 8 महीने होगा।
जब व्यक्ति इस चरण को पार कर लेता है अर्थात एक सहस्र चन्द्र दर्शन अर्थात पूर्णिमाओं की अवधि को पूर्ण कर लेता है तो उसे उसके मानव जीवन के अनुभव के लिए सम्मानित किया जाता है और उत्सव मनाया जाता है। कई वैदिक अनुष्ठान किए जाते हैं जैसे विनायक पूजा, भगवान गणेश की प्रार्थना, पूर्णाहुति (पवित्र अग्नि के प्रति समर्पण) सताभिषेकम और अंत में सहस्र चंद्र दर्शनम या 1000वीं पूर्णिमा को देखना।
सहस्र पूर्ण चंद्रोदयम उत्सव के मध्य दस दानम या दस अलग-अलग प्रकार के दान दिए जाने की परम्परा हैं, जिनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं-
गौदान (गाय), भूदान (भूमि), तिलदान (तिल के बीज), हिरण्यदान (सोना), घृतदान (घी), धान्यदान (अन्न), वस्त्रदान (कपड़े), गुड़दान (गुड़), रौप्यदान (चांदी) और लवणदान (नमक)।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति बाइडेन को एक विशेष उपहार प्रस्तुत किया गया है जो निम्नलिखित अनुष्ठानों का ही एक प्रतीक है। चन्दन के एक विशेष बक्से को जयपुर, राजस्थान के एक सिद्धहस्त शिल्पकार द्वारा हस्तनिर्मित किया गया है। चंदन के इस बक्से में मैसूर से लाए हुए चन्दन में बहुत ही जटित वनस्पति एवं पशुओं की छवियां निर्मित हैं।
राजस्थान में चंदन की लकड़ी पर नक्काशी एक प्राचीन कला है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। हस्तशिल्पी ने बेहतरीन शिल्प कौशल का एक नमूना तैयार करने के लिए अत्यंत कुशलतापूर्वक अपनी कहानी के एक अंश एवं कला के प्रति अपने समर्पण को उकेरा है।
इस छोटे बक्से में गणेश जी की मूर्ति है, वह ऐसे हिन्दू देव हैं, जिन्हें बाधा हरने वाला कहा जाता है और जिनकी सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा की जाती है। हर शुभ अवसर की शुरुआत भगवान गणेश की प्रार्थना से होती है। गणेश की यह चांदी की मूर्ति कोलकाता के पांचवीं पीढ़ी के चांदी कारीगरों के एक परिवार द्वारा अपने पारंपरिक ज्ञान के साथ उनके कुशल हाथों द्वारा निर्मित की गई है।
एक दीया (घी का दीपक) का हर हिन्दू परिवार में एक विशेष स्थान है, जहां घी में डूबी रुई की बाती जलाकर दैनिक आरती की जाती है। इस चांदी के दीए को भी कोलकाता में पांचवीं पीढ़ी के चांदी कारीगरों के परिवार के कारीगरों द्वारा परम्परागत ज्ञान के साथ हस्तनिर्मित किया गया है।
तांबे की प्लेट, जिसे ताम्र-पत्र भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश से प्राप्त की गई है। इस पर एक श्लोक उत्कीर्ण है। प्राचीन काल में ताम्र-पत्र का व्यापक रूप से लेखन और रिकार्ड रखने के माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता था।
हस्तनिर्मित अत्यंत परिष्कृत चांदी के बक्सों में प्रतीकात्मक – दस दानम अर्थात दस दान हैं, जो इस अवसर पर किए गए दान का प्रतीक है।
● चांदी की बेहद ही सुन्दर परत वाला नारियल, जिसे पश्चिम बंगाल के कुशल कारीगरों ने बनाया है, उसे गौदान (गाय का दान) के लिए गाय के स्थान पर चढ़ाया जाता है।
● मैसूर, कर्नाटक से प्राप्त चंदन का एक सुगंधित टुकड़ा जिसे भूदान (भूमि का दान) के लिए भूमि के स्थान पर दिया गया है।
● तिलदान (तिल के बीज का दान) के लिए तमिलनाडु से लाए गए तिल या सफेद तिल के बीज चढ़ाए गए हैं ।
● राजस्थान में हस्तनिर्मित, यह 24K शुद्ध और हॉलमार्क वाला सोने का सिक्का हिरण्यदान (सोने का दान) के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
● घृतदान के लिए पंजाब से प्राप्त घी प्रस्तुत किया गया है ।
● वस्त्रदान (कपड़े का दान) के लिए झारखंड से प्राप्त हाथ से बुना हुआ टसर रेशम का बेहद ही महीन एवं मुलायम वस्त्र प्रस्तुत किया गया है।
● धान्यदान (अनाज का दान) के लिए उत्तराखंड से प्राप्त लंबे दाने वाले चावल प्रस्तुत किए गए हैं ।
● गुड़दान (गुड़ का दान) के लिए महाराष्ट्र से प्राप्त गुड़ प्रस्तुत किया गया है ।
● 99.5% शुद्ध और हॉलमार्क वाला चांदी का यह सिक्का राजस्थान के कारीगरों द्वारा सौंदर्यपूर्ण ढंग से तैयार किया गया है और इसे रौप्यदान (चांदी का दान) के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
● लवणदान (नमक का दान) के लिए गुजरात का लवण या नमक प्रस्तुत किया गया है ।
अमेरिका की प्रथम महिला डॉ. जिल बाइडेन को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उपहार
भारतीय प्रयोगशाला में विकसित 7.5 कैरेट हरा हीरा – यह हीरा पृथ्वी से खोदे गए हीरों के रासायनिक और प्रकाशीय (optical) विशेषताओं का प्रदर्शन करता है। यह हीरा पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसके निर्माण में सौर और पवन ऊर्जा जैसे पर्यावरण-विविध संसाधनों का उपयोग किया गया था।
इस हरे हीरे को अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके पूर्ण परिष्करण एवं सावधानी के साथ तराशा गया है। यह प्रति कैरेट केवल 0.028 ग्राम कार्बन उत्सर्जित करता है और जेमोलॉजिकल लैब, आईजीआई द्वारा प्रमाणित है। यह 4सी अर्थात कट, रंग, कैरेट और क्लेरिटी के माध्यम से हालमार्क के सभी उत्कृष्टता मापदंडों को पूर्ण करता है ।
यह एक ऐसी भव्यता का प्रतिनिधित्व करता है जो भारत की 75 वर्षों की स्वतंत्रता और टिकाऊ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का प्रतीक है।
पपीयर माचे – यह वह बक्सा है जिसमें हरे हीरे को रखा गया है।
केकार-ए-कलमकारी के रूप में प्रख्यात , कश्मीर के उत्कृष्ट पपीयर माचे में कागज की लुगदी और नक़्क़ाशी की सख्तसाज़ी या सावधानीपूर्वक तैयारी शामिल है, जहां कुशल कारीगर सुन्दर डिजाइन तैयार करते हैं।
यह काल से परे परंपरा और शिल्प कौशल का संगम है, इसमें भारत की समृद्धि, नक्काशी, तथा एक ऐसी भव्यतापूर्ण सादगी सम्मिलित है जो काल से परे इस शिल्प के हर टुकड़े को एक उत्कृष्ट कृति बनाती है।
यह वास्तव में भारत की जीवंत सांस्कृतिक कढ़ाई कला का प्रतीक है।
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