पाकिस्तान की संसद में कल उस वक्त एक अजीब सा नजारा देखने में आया जब वहां एक सांसद मोहसिन डावर ने यह बताया कि पश्तून नेता अली वजीर का ‘अपहरण’ करके उन्हें ना मालूम कहां ले जाया गया है। उन्होंने इस घटना की पूरी जांच किए जाने की मांग की। डावर के इस दावे पर सांसद सन्न रह गए। उन्हें यकीन नहीं हुआ कि वजीरिस्तान के वरिष्ठ नेता अली वजीर को इस तरह ‘गिरफ्तार’ या अगवा किया जा सकता है!
प्राप्त समाचारों के अनुसार, पश्तून नेता अली वजीर को उत्तरी वजीरिस्तान में ‘गिरफ्तार’ किया गया। सांसद मोहसिन डावर ने अपने साथी एमएनए अली वजीर की तरफ से संसद से गुहार करते हुए यही कहा। अली वजीर को कल उत्तरी वजीरिस्तान में सरकारी अफसरों ने ‘गिरफ्तार’ किया है, लेकिन उसके बाद उन्हें कहां ले जाया गया है, इस बाबत किसी को कुछ बताया नहीं जा रहा है। स्थानीय पश्तून अंधेरे में हैं और उन्हें यकीन हो चला है कि वजीर को ‘अगवा’ किया गया है। पता चला है कि अफसर वजीर को किसी अज्ञात स्थान पर ले गए हैं।
पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध अंग्रेजी समाचार पत्र द डॉन ने रिपोर्ट प्रकाशित की है कि स्पीकर राजा परवेज अशरफ की अध्यक्षता में संसद के सत्र के दौरान सांसद मोहसिन डावर ने इस घटना पर चिंता जताते हुए इसकी जांच की मांग की है।
सांसद डावर ने संसद से वजीर की गिरफ्तारी की पूरी जांच शुरू करने तथा यह पता लगाने की मांग की है कि उन्हें कहां ले जाया गया है। डावर के अनुसार, हाल ही में नेशनल असेंबली ने एक कानून पास किया था, जिसमें है कि किसी विधायक को हिरासत में लेने से पहले असेंबली के अध्यक्ष की अनुमति लेनी जरूरी बताई गई है।
डॉन की रिपोर्ट बताती है कि डावर को कल सुबह पता चला कि उनके एमएनए अली वजीर को उत्तरी वजीरिस्तान में किसी चेक-पोस्ट के नजदीक से गिरफ्तार किया गया है। डावर का दावा है कि उन्हें इस बारे में कोई खबर नहीं है कि वजीर को कहां ले जाकर रखा गया है। इसका किसी को कोई सुराग नहीं मिल रहा है।
डावर के अनुसार, ‘गिरफ्तारी’ के वक्त अली वजीर के साथ जो लोग थे, उन तक को नहीं मालूम कि वजीर को ले जाया कहां गया है। डावर ने संसद के अध्यक्ष से कहा कि सोशल मीडिया पर जितना पता चला है उसके हिसाब से तो वजीर को ‘गिरफ्तार’ तो उत्तरी वजीरिस्तान में किया गया था, परन्तु उनके विरुद्ध मामला पेशावर में जांच एजेंसी की साइबर क्राइम शाखा में दर्ज किया गया है। डावर ने सवाल खड़ा किया कि क्या देश में कानून और संविधान सब खत्म हो चुके हैं।
इतना ही नहीं, सांसद डावर ने संसद से वजीर की गिरफ्तारी की पूरी जांच शुरू करने तथा यह पता लगाने की मांग की है कि उन्हें कहां ले जाया गया है। डावर के अनुसार, हाल ही में नेशनल असेंबली ने एक कानून पास किया था, जिसमें है कि किसी विधायक को हिरासत में लेने से पहले असेंबली के अध्यक्ष की अनुमति लेनी जरूरी बताई गई है।
दिलचस्प बात है कि संसद का सत्र जारी है, तो भी अध्यक्ष की अनुमति लेने की कोशिश नहीं की गई। डावर का कहना है कि इससे तो यही पता चलता है कि यह गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह तो अपहरण है। क्या देश में देश में कानून का राज खत्म हो गया है?
वैसे वजीरिस्तान में पाकिस्तान का इस तरह का बर्ताव कोई नई या अनोखी बात नहीं है। वहां पश्तून नेताओं पर हमेशा से सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है। विकास के नााम पर उस क्षेत्र में कुछ नहीं है। पाकिस्तान में सरकार किसी भी रही हो, लेकिन वजीरिस्तान को पिछड़ा ही बनाए रखा गया है। वहां के लोगों को बिना कारण बताए ‘अगवा’ किया जाता रहा है।
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