जमीयत उलेमा-ए-हिंद को नहीं पच रहा समान नागरिक संहिता, मौलाना मदनी ने कहा- हम विरोध करेंगे

मौलाना ने कहा कि कुछ राज्य सरकारें इस मसले पर विवाद पैदा कर रही हैं और अब केंद्र सरकार भी इस पर बहस शुरू कर चुकी है।

Published by
विशेष संवाददाता

देवबंद। समान नागरिक संहिता कानून को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी का बयान आया है। उन्होंने कहा कि यूसीसी केवल मुसलमानों का नहीं सभी भारत के लोगों का मसला है। कुछ राज्य सरकारें इस मसले पर विवाद पैदा कर रही हैं और अब केंद्र सरकार भी इस पर बहस शुरू कर चुकी है।

मौलाना मदनी ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने से पहले संविधान के अनुच्छेद 25, 29, 30 को देखना चाहिए, जिसमें मूल अनुच्छेद को नहीं बदला जा सकता, ऐसा लिखा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत के हर नागरिक की स्वत्रंता का मसला है। हमारे मौलिक अधिकार हैं जिन्हें किसी बदलाव से आप खत्म नहीं कर सकते। कुछ राज्य इस पर जल्दी कर रहे हैं और अब केंद्र सरकार भी इस पर बहस शुरू कर चुकी है। उन्होंने कहा कि हम इसका सड़कों पर विरोध नहीं करेंगे, लेकिन संविधान के दायरे में विरोध जरूर करेंगे।

मौलाना मदनी ने कहा यूसीसी को लेकर कई बार बहस पहले भी हुई, लेकिन ये बहस कभी खत्म नहीं हुई क्योंकि ये हर मजहब से जुड़ा मसला है।

बता दें कि उत्तराखंड में जल्द समान नागरिक संहिता क़ानून लागू होने जा रहा है। इसको लेकर दो दिन पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया था। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून जल्द लागू होगा। यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार कर रही कमेटी ने ड्राफ्ट का ज्यादातर काम पूरा कर लिया है, जिसमें समाज के अलग-अलग वर्गों, राजनीतिक दलों से भी सुझाव लिए गए हैं।

Share
Leave a Comment