राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 17 जून को दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेमोरियल में भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने देश के विभाजन और नेताजी के व्यक्तित्व को लेकर कहा कि अगर आजादी के समय नेताजी सुभाष चंद्र बोस होते तो, भारत का बंटवारा नहीं होता। क्योंकि नेताजी बंटवारा होने के कारणों को सकारात्मक तरीके से सुलझा लेते।
एनएसए डोभाल ने कहा कि इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ न्याय नहीं हुआ, परंतु वह इस बात से उन्हें प्रसन्नता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस गलती को दूर करने का प्रयास किया है।
‘नेताजी में धारा के विपरीत चलने की क्षमता थी’
उन्होंने कहा कि मैं अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, लेकिन भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास के ऐसे लोगों में बहुत कम समानताएं हैं, जिनमें धारा के विपरीत चलने की क्षमता थी, और इस तरह की क्षमता नेताजी सुभाष चंद्र में थी।
‘जिन्ना ने भी सुभाष चंद्र बोस को नेता माना था’
अजीत डोभाल ने जिन्ना के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन्ना ने सिर्फ सुभाष चंद्र बोस को नेता के तौर पर स्वीकार करने की बात कही थी। जिन्ना ने कहा था, कि मैं केवल एक नेता को स्वीकार कर सकता हूं और वह सुभाष चंद्र बोस हैं। डोभाल ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के रहते भारत का विभाजन नहीं होता।
‘अंग्रेजों से लड़ेंगे, आजादी के लिए भीख नहीं मांगेंगे’
डोभाल बोले कि नेताजी को ये विचार आया कि अंग्रेजों से लड़ेंगे, आजादी के लिए भीख नहीं मांगेंगे। ये हमारा अधिकार है और हम इसे हासिल करके रहेंगे। उन्होंने कहा कि नेताजी का मानना था कि अगर आजादी मांगकर ली गई, तो वो सशर्त होगी, और अगर भारत को बिना शर्त आजादी मिली होती, तो देश का बंटवारा नहीं होता।
उन्होंने आगे कहा कि साल 1947 में अगर सुभाष चंद्र बोस होते तो जिन्ना उन्हें नेता मान लेते और भारत का बंटवारा होने से रुक जाता।
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