संस्कृत भारती के तत्वावधान में आयोजित विभाग स्तरीय संस्कृत भाषा बोधन वर्ग का समापन हुआ।
गत दिनों जून को बारां (राजस्थान) में संस्कृत भारती के तत्वावधान में आयोजित विभाग स्तरीय संस्कृत भाषा बोधन वर्ग का समापन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और काठियाबाबा आश्रम के आचार्य परमानंद महाराज ने कहा कि लोकमान्य तिलक ने संस्कृत संभाषण के साथ-साथ संस्कृत से साहस सीखने और शुद्ध उच्चारण पर बल दिया और कहा था कि संस्कृत जन-जन की भाषा बने।
संस्कृत भारती 1,00,000 से अधिक संभाषण शिविरों के माध्यम से अनगिनत लोगों को संस्कृत बोलना सिखा चुकी है। 26 देशों में संस्कृत भारती का कार्य चल रहा है।
मुख्य वक्ता और संस्कृत भारती, चित्तौड़ प्रांत के सह मंत्री डॉ. मधुसूदन शर्मा ने बताया कि संस्कृत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारे साथ है। वह भारतीय एकता की साधक है, ज्ञान-विज्ञान का विशाल भंडार है।
संस्कृत भारती 1,00,000 से अधिक संभाषण शिविरों के माध्यम से अनगिनत लोगों को संस्कृत बोलना सिखा चुकी है। 26 देशों में संस्कृत भारती का कार्य चल रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वैद्य डॉ. राधेश्याम गर्ग ने की। वर्ग में बारां और झालावाड़ जिले के 150 वर्गार्थियों और संस्कृत अनुरागियों ने भाग लिया।
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