खानपान का इतिहास देखें तो हमारे देश का भोजन मुख्य रूप से मोटा अनाज ही रहा है। परंतु धीरे-धीरे यह अनाज हमारे खाने में से विलुप्त सा होने लगा। गेहूं, चावल जैसे अनाजों की खपत बढ़ने लगी। व्यावसायिक तौर पर भी सामान्य अनाज की मांग बढ़ गई।
यदि हम अपने खानपान का इतिहास देखें तो हमारे देश का भोजन मुख्य रूप से मोटा अनाज ही रहा है। परंतु धीरे-धीरे यह अनाज हमारे खाने में से विलुप्त सा होने लगा। गेहूं, चावल जैसे अनाजों की खपत बढ़ने लगी। व्यावसायिक तौर पर भी सामान्य अनाज की मांग बढ़ गई। इनमें कार्बोहाइड्रेट तथा ग्लूटेन नामक प्रोटीन ज्यादा पाया जाता है, जिसके चलते ज्यादा तथा अलग-अलग प्रकार की व्यावसायिक तौर पर खाद्य वस्तुएं बनाना आसान तो है ही, पर इनकी मांग भी ज्यादा है। इसी के चलते मोटे अनाज की मांग कम हो गई।
भारत में सामान्यत: ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, टुकड़ी मुख्य मोटे अनाज हैं।
सामान्य अनाज की तुलना में मोटे अनाज में पोषक तत्वों की भरमार होती है। ये ज्यादा गर्मी वाले क्षेत्रों या पानी की बहुत कमी वाले क्षेत्रों में भी उगाये जा सकते हैं। इसी के चलते मोटे अनाज की पहुंच सभी तक करने, इसके बारे में लोगों में जागरूकता लाने, किसानों को बढ़ावा देने तथा देश के साथ-साथ विदेश में भी इसकी खपत बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के सामने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने की मांग की, जिसे 72 देशों का समर्थन मिला तथा 5 मार्च 2021 को यूएसजीए (यूनाइटेड स्टेट जनरल असेंबली) में 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया।
यदि हम पोषक तत्वों के हिसाब से इस अनाज की बात करें तो इनमे लौह तत्व, खनिज पदार्थ, प्रोटीन तथा विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं जो एक छोटे बच्चे से लेकर वृद्ध तक की सेहत के लिए अच्छे हैं। इनमें आवश्यक एमीनो एसिड भी पाये जाते हैं जो शरीर को मजबूत बनाने तथा रोगों से बचाने के लिए रक्षा कवच हैं।
भारत में सामान्यत: ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, टुकड़ी मुख्य मोटे अनाज हैं। सामान्य अनाज की तुलना में मोटे अनाज में पोषक तत्वों की भरमार होती है। ये ज्यादा गर्मी वाले क्षेत्रों या पानी की बहुत कमी वाले क्षेत्रों में भी उगाये जा सकते हैं। इसी के चलते मोटे अनाज की पहुंच सभी तक करने, इसके बारे में लोगों में जागरूकता लाने, किसानों को बढ़ावा देने तथा देश के साथ-साथ विदेश में भी इसकी खपत बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के सामने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने की मांग की, जिसे 72 देशों का समर्थन मिला तथा 5 मार्च 2021 को यूएसजीए (यूनाइटेड स्टेट जनरल असेंबली) में 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया।
मोटे अनाज में मुख्यत: बाजरा, ज्वार तथा रागी आते हैं। इनमें से बाजरे में अच्छी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। उत्तर भारत में ज्यादातर बाजरे का सेवन किया जाता है। ठंड आई नहीं कि घरों में बाजरे की रोटी बनना चालू हो जाता है। एक कटोरी पके बाजरे में अच्छी मात्रा में प्रोटीन तथा फाइबर तो होते ही हैं, साथ में तांबा, लौह तत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, विटामिन बी1, बी6 भी पाए जाते हैं। बाजरा बढ़े हुए कोलेस्टेरॉल, शुगर तथा हृदय रोग के लिए भी अच्छा होता है।
ज्वार भी बहुत इस्तेमाल होने वाला अनाज है। इसका सेवन ज्यादातर गर्मियों में किया जाता है। ज्वार में कैल्शियम तथा लौह तत्व बहुत अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं। फाइबर की मात्रा के अच्छा होने के कारण पेट के लिए यह अनाज लाभदायक है। मोटापे में इसका सेवन करने से पेट जल्दी भरता है, जिससे वजन कम करने में आसानी होती है। बुजुर्गों के लिए ज्वार का सेवन फायदेमंद होता है।
इन दोनों अनाजों के अलावा रागी एक ऐसा अनाज है, जिसका उपयोग पूरे भारत में साल भर किया जाता है। रागी की खीर बच्चों में ताकत लाती है। इसमें कैल्शियम की मात्रा अच्छी होने से इसका सेवन हड्डियों को मजबूत बनाता है। रागी मधुमेह के मरीजों के लिए अच्छा होता है। मतलब यह कि मोटे अनाज शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। ल्लदि हम अपने खानपान का इतिहास देखें तो हमारे देश का भोजन मुख्य रूप से मोटा अनाज ही रहा है। परंतु धीरे-धीरे यह अनाज हमारे खाने में से विलुप्त सा होने लगा।
गेहूं, चावल जैसे अनाजों की खपत बढ़ने लगी। व्यावसायिक तौर पर भी सामान्य अनाज की मांग बढ़ गई। इनमें कार्बोहाइड्रेट तथा ग्लूटेन नामक प्रोटीन ज्यादा पाया जाता है, जिसके चलते ज्यादा तथा अलग-अलग प्रकार की व्यावसायिक तौर पर खाद्य वस्तुएं बनाना आसान तो है ही, पर इनकी मांग भी ज्यादा है। इसी के चलते मोटे अनाज की मांग कम हो गई।
भारत में सामान्यत: ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, टुकड़ी मुख्य मोटे अनाज हैं। सामान्य अनाज की तुलना में मोटे अनाज में पोषक तत्वों की भरमार होती है। ये ज्यादा गर्मी वाले क्षेत्रों या पानी की बहुत कमी वाले क्षेत्रों में भी उगाये जा सकते हैं। इसी के चलते मोटे अनाज की पहुंच सभी तक करने, इसके बारे में लोगों में जागरूकता लाने, किसानों को बढ़ावा देने तथा देश के साथ-साथ विदेश में भी इसकी खपत बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के सामने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने की मांग की, जिसे 72 देशों का समर्थन मिला तथा 5 मार्च 2021 को यूएसजीए (यूनाइटेड स्टेट जनरल असेंबली) में 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया।
यदि हम पोषक तत्वों के हिसाब से इस अनाज की बात करें तो इनमे लौह तत्व, खनिज पदार्थ, प्रोटीन तथा विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं जो एक छोटे बच्चे से लेकर वृद्ध तक की सेहत के लिए अच्छे हैं। इनमें आवश्यक एमीनो एसिड भी पाये जाते हैं जो शरीर को मजबूत बनाने तथा रोगों से बचाने के लिए रक्षा कवच हैं।
मोटे अनाज में मुख्यत: बाजरा, ज्वार तथा रागी आते हैं। इनमें से बाजरे में अच्छी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। उत्तर भारत में ज्यादातर बाजरे का सेवन किया जाता है। ठंड आई नहीं कि घरों में बाजरे की रोटी बनना चालू हो जाता है। एक कटोरी पके बाजरे में अच्छी मात्रा में प्रोटीन तथा फाइबर तो होते ही हैं, साथ में तांबा, लौह तत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, विटामिन बी1, बी6 भी पाए जाते हैं। बाजरा बढ़े हुए कोलेस्टेरॉल, शुगर तथा हृदय रोग के लिए भी अच्छा होता है।
ज्वार भी बहुत इस्तेमाल होने वाला अनाज है। इसका सेवन ज्यादातर गर्मियों में किया जाता है। ज्वार में कैल्शियम तथा लौह तत्व बहुत अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं। फाइबर की मात्रा के अच्छा होने के कारण पेट के लिए यह अनाज लाभदायक है। मोटापे में इसका सेवन करने से पेट जल्दी भरता है, जिससे वजन कम करने में आसानी होती है। बुजुर्गों के लिए ज्वार का सेवन फायदेमंद होता है।
इन दोनों अनाजों के अलावा रागी एक ऐसा अनाज है, जिसका उपयोग पूरे भारत में साल भर किया जाता है। रागी की खीर बच्चों में ताकत लाती है। इसमें कैल्शियम की मात्रा अच्छी होने से इसका सेवन हड्डियों को मजबूत बनाता है। रागी मधुमेह के मरीजों के लिए अच्छा होता है। मतलब यह कि मोटे अनाज शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। ल्लदि हम अपने खानपान का इतिहास देखें तो हमारे देश का भोजन मुख्य रूप से मोटा अनाज ही रहा है।
परंतु धीरे-धीरे यह अनाज हमारे खाने में से विलुप्त सा होने लगा। गेहूं, चावल जैसे अनाजों की खपत बढ़ने लगी। व्यावसायिक तौर पर भी सामान्य अनाज की मांग बढ़ गई। इनमें कार्बोहाइड्रेट तथा ग्लूटेन नामक प्रोटीन ज्यादा पाया जाता है, जिसके चलते ज्यादा तथा अलग-अलग प्रकार की व्यावसायिक तौर पर खाद्य वस्तुएं बनाना आसान तो है ही, पर इनकी मांग भी ज्यादा है। इसी के चलते मोटे अनाज की मांग कम हो गई।
भारत में सामान्यत: ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, टुकड़ी मुख्य मोटे अनाज हैं। सामान्य अनाज की तुलना में मोटे अनाज में पोषक तत्वों की भरमार होती है। ये ज्यादा गर्मी वाले क्षेत्रों या पानी की बहुत कमी वाले क्षेत्रों में भी उगाये जा सकते हैं। इसी के चलते मोटे अनाज की पहुंच सभी तक करने, इसके बारे में लोगों में जागरूकता लाने, किसानों को बढ़ावा देने तथा देश के साथ-साथ विदेश में भी इसकी खपत बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के सामने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित करने की मांग की, जिसे 72 देशों का समर्थन मिला तथा 5 मार्च 2021 को यूएसजीए (यूनाइटेड स्टेट जनरल असेंबली) में 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया।
अनाजों के अलावा रागी एक ऐसा अनाज है, जिसका उपयोग पूरे भारत में साल भर किया जाता है। रागी की खीर बच्चों में ताकत लाती है। इसमें कैल्शियम की मात्रा अच्छी होने से इसका सेवन हड्डियों को मजबूत बनाता है। रागी मधुमेह के मरीजों के लिए अच्छा होता है। मतलब यह कि मोटे अनाज शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
यदि हम पोषक तत्वों के हिसाब से इस अनाज की बात करें तो इनमे लौह तत्व, खनिज पदार्थ, प्रोटीन तथा विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं जो एक छोटे बच्चे से लेकर वृद्ध तक की सेहत के लिए अच्छे हैं। इनमें आवश्यक एमीनो एसिड भी पाये जाते हैं जो शरीर को मजबूत बनाने तथा रोगों से बचाने के लिए रक्षा कवच हैं।
मोटे अनाज में मुख्यत: बाजरा, ज्वार तथा रागी आते हैं। इनमें से बाजरे में अच्छी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। उत्तर भारत में ज्यादातर बाजरे का सेवन किया जाता है। ठंड आई नहीं कि घरों में बाजरे की रोटी बनना चालू हो जाता है। एक कटोरी पके बाजरे में अच्छी मात्रा में प्रोटीन तथा फाइबर तो होते ही हैं, साथ में तांबा, लौह तत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, विटामिन बी1, बी6 भी पाए जाते हैं। बाजरा बढ़े हुए कोलेस्टेरॉल, शुगर तथा हृदय रोग के लिए भी अच्छा होता है।
ज्वार भी बहुत इस्तेमाल होने वाला अनाज है। इसका सेवन ज्यादातर गर्मियों में किया जाता है। ज्वार में कैल्शियम तथा लौह तत्व बहुत अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं। फाइबर की मात्रा के अच्छा होने के कारण पेट के लिए यह अनाज लाभदायक है। मोटापे में इसका सेवन करने से पेट जल्दी भरता है, जिससे वजन कम करने में आसानी होती है। बुजुर्गों के लिए ज्वार का सेवन फायदेमंद होता है।
अनाजों के अलावा रागी एक ऐसा अनाज है, जिसका उपयोग पूरे भारत में साल भर किया जाता है। रागी की खीर बच्चों में ताकत लाती है। इसमें कैल्शियम की मात्रा अच्छी होने से इसका सेवन हड्डियों को मजबूत बनाता है। रागी मधुमेह के मरीजों के लिए अच्छा होता है। मतलब यह कि मोटे अनाज शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
इन दोनों
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