अंग्रेजी पर बवाल के बाद दारुल उलूम ने दी सफाई, खुलकर बोले मौलाना अरशद मदनी

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WEB DESK

नई दिल्ली। इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अंग्रेजी भाषा समेत अन्य विषयों पर बवाल मचने के बाद सफाई दी है। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और दारुल उलूम देवबंद के सदरुल मुदर्रेसीन मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि यह कोई नया फरमान नहीं है। हमारा साफ मानना है कि दारुल उलूम के तय पाठ्यक्रम के साथ हम किसी और विषय को पढ़ने की अनुमति नहीं देते हैं क्योंकि यह इतना मुश्किल है कि दूसरे विषय पढ़ने से उसकी शिक्षा पर असर पड़ेगा। इससे इतर दारुल उलूम के अंदर ही अंग्रेजी और कंप्यूटर जैसे विषय के विभाग हैं लेकिन हम उनमें दारुल उलूम के पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद या उससे पहले ही उसमें प्रवेश की अनुमति देते हैं। दोनों साथ-साथ पढ़ना संभव नहीं है।

मदरसे का कहना है कि उसने अपने छात्रों पर निर्धारित पाठ्यक्रम के साथ-साथ इंग्लिश या अन्य विषय की कोचिंग क्लास पर रोक लगाई है। दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग के सचिव मौलाना हुसैन अहमद के हस्ताक्षर से जारी नोटिस में यहां शिक्षा प्राप्त करने के दौरान इंग्लिश या अन्य विषय से छात्रों को दूर रहने की सलाह दी गई है। आदेश में कहा गया है कि ऐसे छात्रों को इस तरह की शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुमति नहीं है। अगर कोई छात्र इस तरह की शिक्षा प्राप्त करते हुए पाया जाता है और उसकी पुष्टि हो जाती है तो उसे संस्थान से निकाल दिया जाएगा। इस नोटिस में यह भी कहा गया है कि अगर कोई भी छात्र क्लास के समय हॉस्टल के कमरे में पाया जाता है या क्लास खत्म होने से पहले क्लास रूम से चला जाता है या घंटे बाद आखिर में हाजिरी पूरी कराने के लिए के लिए क्लास रूम में दाखिल होता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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छात्रों का अंग्रेजी एवं अन्य कोर्स के लिए कोचिंग सेंटर में जाना उचित नहीं है। उन्होंने इस तरह के शैक्षिक प्रोग्राम से छात्रों को दूर रहने की सलाह दी है। उनका कहना है कि मदरसा हमारा दीन है, हमारी दुनिया नहीं है। इसलिए आप पहले अच्छे आलिम बनें और बाद में डॉक्टर, इंजीनियर या वकील जो मर्जी हो, बनें। दो नांव में सवार होने वाला कभी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता है। हम अंग्रेजी या आधुनिक शिक्षा के विरोधी नहीं हैं लेकिन दारुल उलूम देवबंद में जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्र आते हैं, पहले उन्हें वह शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। दारुल उलूम देवबंद में भी सभी तरह की शिक्षा दी जाती है और बाकायदा सभी के विभाग मौजूद है जिनमें अंग्रेजी, साइंस, कंप्यूटर, भारतीय दर्शन, हिंदुइज्म की भी पढ़ाई होती है। इसलिए छात्रों को यहां पर पहले अपनी शिक्षा को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए।

(सौजन्य सिंडिकेट फीड)

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