एक बार फिर पादरियों का सेक्स स्कैंडल आया सामने

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सोनाली मिश्रा

भारत सहित कई देशों में चर्च में पादरियों के सेक्स स्कैंडल समय-समय पर सामने आते रहते हैं। परन्तु यह भी सच है कि ये सभी मामले विमर्श में नहीं आते। इन पर बात करने से लोग डरते हैं। मीडिया ऐसे मामलों पर चुप्पी साध जाता है। साल दर साल ऐसे मामलों पर धूल पड़ती रहती है।

हाल ही में चर्चमिलिटेंट नामक वेबसाईट ने भारत में ऐसे ही चर्च स्कैंडल का खुलासा करते हुए यह बताया कि कैसे मुम्बई का कार्डिनल आर्कबिशप ओसवाल ग्रेशियस, जो पोप फ्रांसिस के नज़दीकी सलाहकारों में से एक है, उसे वरिष्ठ भारतीय पादरियों की अश्लील तस्वीरें प्रेषित की गईं।

इस वेबसाईट के अनुसार एसोसिएशन ऑफ कन्सर्न्ड कैथोलिक्स (एओसीसी), की महिला नेताओं को ये तस्वीरें मिलीं और जो उन्होंने ओसवाल ग्रेशियस को भेजीं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई कदम जल्दी नहीं उठाए गए तो वह ये तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जारी कर देंगी। अप्रैल से मई तक ईमेल का सिलसिला चला, जिसमें 9 मई 2023 को भेजे गए ईमेल में एओसीसी ने कार्डिनल ग्रेशियस को भेजे गए ईमेल में लिखा, “मेरे पास इस बात के और भी सबूत हैं कि हिन्दू लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है और मरे पास उनकी नग्न तस्वीरें भी हैं। मैं आपके साथ साझा कर सकती हूं। मैं राष्ट्रीय महिला आयोग को जांच के लिए देने के लिए मजबूर हो जाऊंगी!” इन महिला नेताओं ने यह भी चेतावनी दी कि वह ये तस्वीरें बजरंग दल को दे देंगी, यदि कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो।

एओसीसी की शिकायत में कई फोल्डर्स ऐसे हैं, जिनमें कई ननों एवं अधिकारियों की नग्न तस्वीरें हैं, जो कथित रूप से फादर जैकब कारमाकुज्ह्यिल के कंप्यूटर से पाई गईं। कहा जाता है कि कई आपत्तिजनक तस्वीरें पाई गईं हैं और एक तस्वीर में तो एक नन के शरीर पर क्रूसीफिक्स के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। सूत्रों ने एक और सिस्टर की पहचान सिस्टर्स ऑफ द क्रॉस ऑफ की एक सदस्य के रूप में की है जो किसी पादरी के साथ कश्मीर में कथित रूप से हनीमून पर गयी हुई हैं। हालांकि चर्च मिलिटेंट ने जब कारमाकुज्ह्यिल से बात की तो उन्होंने कहा कि वह साइबर अपराध की दृष्टि से जांच कर रहे हैं, वह चुराई तस्वीरों को मॉर्फ करके लोगों को ब्लैकमेल करते हैं।

मगर फादर कारमाकुज्ह्यिल यह भूल जाते हैं कि इन्हें वह साइबर क्राइम कहकर नकार सकते हैं, मगर चर्च और सेक्स स्कैंडल कोई नया शब्द तो नहीं है। अभी हाल ही में मध्यप्रदेश में मुरैना में एक मिशनरी स्कूल में जब औचक निरीक्षण किया गया था तो उसमें प्रिंसिपल के कमरे से शराब सहित कई आपत्तिजनक वस्तुएं प्राप्त हुई थीं और फिर स्कूल को सील कर दिया गया था। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में ही राज्य बाल आयोग के निरीक्षण के दौरान डिंडोरी के जुनवानी में मिशनरी द्वारा संचालित अवैध चिल्ड्रन होम में 8 बच्चियों ने शिक्षक और पादरी के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत की थी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के अनुसार 600 वनवासी बच्चों को अवैध रूप से रखा गया था।

ऐसे तमाम मामले लगातार सामने आते रहते हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चियों के साथ पादरियों द्वारा यौन शोषण के किस्से होते हैं, परन्तु दुर्भाग्य से यह सब विमर्श से बाहर ही रहते हैं। बल्कि मीडिया भी इन मामलों को रिपोर्ट नहीं करता है, नहीं तो कोई भी बड़ी बात नहीं थी कि आज के ही दिन दो वर्ष पूर्व चर्च और सेक्स स्कैंडल की इतनी बड़ी घटना थी, जिसका विमर्श ही नहीं बनना चाहिए था बल्कि साथ ही सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को न्याय भी दिलवाना चाहिए था।

मगर भारत में तो सिस्टर लूसी और उनके संघर्ष के विषय में लोगों को पता ही नहीं होगा। लोगों को यह नहीं पता होगा कि सिस्टर लूसी ने बिशप फ्रैंसिस मुलक्कल के खिलाफ ननों का साथ दिया तो उन्हें भारत से ही नहीं बल्कि वेटिकन अर्थात रिलीजियस संस्था के मुख्यालय से भी निराशा हाथ लगी थी और 14 जून 2021 को ही उनकी अर्जी वेटिकन द्वारा खारिज दी गयी थी।

 

सिस्टर लूसी को फ्रान्सिस्कन क्लेरिस्ट कान्ग्रेगेशन द्वारा इस बात पर निष्कासित कर दिया गया था क्योंकि उनकी जीवनशैली चर्च के नियमों के अनुरूप नहीं थी। और चूंकि वह वेटिकन में अपनी लाइफस्टाइल के विषय में जस्टिफिकेशन नहीं दे सकी थीं, तो उनकी अर्जी अस्वीकृत कर दी गयी थी। लेकिन सिस्टर लूसी की आवाज नहीं सुनी जाती! भारत में न जाने कितनी ननों के साथ बलात्कार या यौन शोषण होता है, वह सब सुना ही नहीं जाता। जैसे ही पादरी द्वारा यौन शोषण की बात आती है, महिला अधिकारों से लेकर प्रगतिशील लेखकों एवं मीडिया एंकर्स तथा सेक्युलर पत्रकारों तक सभी को सांप सूंघ जाता है, न ही चर्चा होती है, न ही शोषण को लेकर सजा की बात होती है और सबसे दुर्भाग्य यह है कि उन ननों की पीड़ा को ही अनदेखा कर दिया जाता है।

चर्च मिलिटेंट की इस रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि औरंगाबाद में एमएसएफएस स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल भी दो नन और शिक्षिकाओं के साथ यौन गतिविधि में लिप्त पाए गए हैं और अब उन्हें नागपुर में भेजा जा रहा है।

एक और पादरी एंथोनी अमालादास, जो दिल्ली के संत फ्रांसिस डे सेल्स स्कूल के प्रिंसिपल हैं, उन पर आरोप है कि वह शिक्षिकाओं, रसोइये और यहाँ तक कि विद्यार्थियों के साथ भी यौन गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं।

चर्च मिलिटेंट को सूचित करने वाले स्रोतों के अनुसार फादर ए लोर्दुसामी पर भी यौन शोषण के आरोप हैं। वहीं रोम से दो पादरियों ने यह उन्हें बताया कि भारत में पादरियों और ननों के बीच यौन सम्बन्ध बहुत आम हैं।

यह समस्या कितनी गहरी है यह इससे पता चलता है कि सिस्टर अभया से लेकर सिस्टर लूसी तक विभिन्न प्रकार से नन पीड़ित हो रही हैं और उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जहां पूरे विश्व में इस समस्या पर खुलकर बात हो रही है, भारत में महिला अधिकारों पर बात करने वाले तमाम संगठन चुप रहते हैं, जिसके कारण अपराधियों के हौसले ही जैसे बुलंद रहते हैं।

जैसे इस रिपोर्ट पर सन्नाटा है और यही सन्नाटा ही जैसे भारतीय प्रगतिशीलों की वास्तविकता है।

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