गिड़गिड़ाता रह गया डॉन

मुख्तार अंसारी ने न्यायालय से कागजात गायब करवाए, उम्र का हवाला देकर गिड़गिड़ाया, लेकिन उसके कर्म उसे जीवन भर के लिए सलाखों के पीछे ले गए

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सुनील राय

मुख्तार को पहली बार आजीवन कारावास की सजा हुई। पिछले आठ माह में पांचवीं बार मुख्तार को सजा सुनाई गई है। सजा सुनाए जाने के दौरान मुख्तार बांदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ा था।

गत 5 जून को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 32 वर्ष पुराने अवधेश राय हत्याकांड मामले में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास और 1,00,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। मुख्तार को पहली बार आजीवन कारावास की सजा हुई। पिछले आठ माह में पांचवीं बार मुख्तार को सजा सुनाई गई है। सजा सुनाए जाने के दौरान मुख्तार बांदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ा था।

इस दौरान उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से खुद को निर्दोष बताया, फिर उसने अपनी उम्र का हवाला देते हुए न्यायालय से प्रार्थना की कि उसे कम से कम सजा सुनाई जाए। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विनय कुमार सिंह ने अभियोजन पक्ष की ओर से कहा कि मुख्तार अंसारी का लंबा आपराधिक इतिहास है और अवधेश राय की हत्या एक जघन्य कांड था। इसलिए मुख्तार को अधिकतम सजा दी जानी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि 3 अगस्त, 1991 को वाराणसी के लहुराबीर इलाके में रहने वाले कांग्रेसी नेता अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अवधेश राय के भाई और पूर्व विधायक अजय राय ने वाराणसी के चेतगंज थाने में मुख्तार अंसारी के साथ ही पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश श्रीवास्तव उर्फ राकेश न्यायिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। वर्तमान में मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है।

भीम सिंह को गैंगस्टर एक्ट में सजा हो चुकी है। वह इस समय गाजीपुर जेल में बंद है। राकेश न्यायिक ने इस मामले में न्यायालय से प्रार्थना की थी कि उसकी सुनवाई अलग से की जाए। इस समय राकेश न्यायिक की सुनवाई प्रयागराज के जनपद न्यायालय में चल रही है। वहीं अब्दुल कलाम और कमलेश सिंह की मृत्यु हो चुकी है।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से अब तक पांच मामलों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है। मुख्तार और उसके गिरोह के 288 सदस्यों के खिलाफ अब तक विधिक कार्रवाई अमल में लाई गई है। इस कार्रवाई में करीब 155 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 202 अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। मुख्तार गिरोह के छह गुर्गों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत कार्रवाई की गई है।

मुख्तार अंसारी ने इस मुकदमे की सुनवाई टलवाने के लिए कई चालें चलीं। कहा जा रहा है कि मुख्तार ने सुनवाई शुरू होने से पहले न्यायालय के रिकॉर्ड रूम से केस डायरी गायब करवा दी थी। इसके बाद फोटो स्टेट केस डायरी पर सुनवाई शुरू हुई। अवधेश राय हत्याकांड की विवेचना सीबीसीआईडी ने की थी।

इसी बीच यह मुकदमा प्रयागराज जनपद न्यायालय के एमपी-एमएलए कोर्ट में भेज दिया गया। 2020 में उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में एमपी-एमएलए कोर्ट का गठन किया गया था। उसके बाद इस मुकदमे को वापस वाराणसी जनपद न्यायालय के एमपी-एमएलए कोर्ट भेजा गया। अब उसी ने मुख्तार अंसारी को सजा दी है।

आठ महीने में पांचवीं सजा

  • 2003 में लखनऊ जेल के जेलर एस.के. अवस्थी को धमकाने के मामले मे मुख्तार को  21 सितंबर, 2022 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सजा सुनाई।
  • 4 फरवरी, 1999 को लखनऊ में जेलर रमाकांत तिवारी की हत्या हुई थी। इस मामले में 3 सितंबर, 2022 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मुख्तार को पांच साल की सजा सुनाई।
  • 15 दिसंबर, 2022 को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में मुख्तार अंसारी को 10 साल कारावास एवं 5,00,000 रु का जुर्माना भरने की सजा दी थी।
  • 19 अप्रैल, 2023 को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल अंसारी को सजा सुनाई।
  • 5 जून, 2023 को अवधेश राय की हत्या के मामले में मुख्तार को सजा हुई।

मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद है। अब्बास की पत्नी निखत बानो भी जेल में बंद है। मुख्तार की बीवी अफसा अंसारी और छोटा बेटा उमर अंसारी फरार हैं।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से अब तक पांच मामलों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है। मुख्तार और उसके गिरोह के 288 सदस्यों के खिलाफ अब तक विधिक कार्रवाई अमल में लाई गई है। इस कार्रवाई में करीब 155 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 202 अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। मुख्तार गिरोह के छह गुर्गों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत कार्रवाई की गई है।

इसी प्रकार 156 गुर्गों के विरुद्ध गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही मुख्तार और उसके गुर्गों की 586 करोड़ रु. से अधिक की संपत्ति का जब्तीकरण एवं ध्वस्तीकरण किया गया है। मुख्तार और उसके गुर्गों का सरकारी टेंडर पर कब्जा हुआ करता था। इस तरह के 2,100 करोड़ रुपए से अधिक के अवैध व्यवसाय एवं टेंडर पर रोक लगाई गई है।

मुख्तार को सजा होने से उत्तर प्रदेश के अधिकांश लोग बेहद खुश हैं। लोगों का यह भी कहना है कि अब मुख्तार जैसे अपराधी कभी भी जेल से बाहर नहीं आने देना चाहिए।

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