नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय रोजगार मेले को संबोधित किया। उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों में नवनियुक्त 70 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए। संबोधन के दौरान उन्होंने विपक्षी पार्टियों को भी निशाने पर लिया और कहा कि नौकरियों के लिए ‘रेट कार्ड’ के दिन गए। वर्तमान सरकार का ध्यान युवाओं के भविष्य की सुरक्षा पर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय रोजगार मेला वर्तमान सरकार की नई पहचान बन गया है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि भाजपा और राजग शासित राज्य भी नियमित रूप से इसी तरह के रोजगार मेले आयोजित कर रहे हैं। यह देखते हुए कि आजादी का अमृत काल अभी शुरू हुआ है, मोदी ने कहा कि यह उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण क्षण है जो सरकारी सेवा में शामिल हो रहे हैं क्योंकि उनके पास अगले 25 वर्षों में भारत को एक विकसित देश बनाने में योगदान देने का अवसर है।
प्रधानमंत्री ने भर्ती प्रक्रिया में परिवारवाद की राजनीति और भाई-भतीजावाद की बुराइयों के बारे में बात की। प्रधानमंत्री ने ‘नौकरी के लिए नकद घोटाले’ का जिक्र करते हुए इससे जुड़े विवरणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह हर जॉब पोस्टिंग के लिए एक रेस्त्रां में मेन्यू कार्ड के समान एक रेट कार्ड तैयार किया जाता था। जमीन के बदले नौकरी घोटाले का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के उस समय के रेल मंत्री (लालू प्रसाद यादव) ने नौकरी के बदले में जमीन का अधिग्रहण किया था और टिप्पणी की कि मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है और अदालतों में लंबित है। प्रधानमंत्री ने ऐसे राजनीतिक दलों के युवाओं को चेताया जो वंशवाद की राजनीति करते हैं और नौकरी के नाम पर देश के युवाओं को लूटते हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा, “एक तरफ हमारे पास राजनीतिक दल हैं जो नौकरियों के लिए रेट कार्ड पेश करते हैं, दूसरी तरफ यह वर्तमान सरकार है जो युवाओं के भविष्य की रक्षा कर रही है। अब देश तय करेगा कि युवाओं का भविष्य रेट कार्ड से चलेगा या सेफगार्ड से। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि एक दशक पहले की तुलना में भारत अधिक स्थिर, सुरक्षित और मजबूत देश है। उन्होंने उस समय को याद किया जब पहले के समय में घोटाला और जनता का दुरुपयोग शासन की पहचान थी। उन्होंने कहा, “आज, भारत अपनी राजनीतिक स्थिरता के लिए जाना जाता है जो आज की दुनिया में बहुत मायने रखता है। आज भारत सरकार की पहचान एक निर्णायक सरकार के रूप में है। आज, सरकार अपने प्रगतिशील आर्थिक और सामाजिक निर्णयों के लिए जानी जाती है।” उन्होंने कहा कि वैश्विक एजेंसियां ईज ऑफ लिविंग, इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में काम को स्वीकार कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था में रोजगार और स्वरोजगार के उभरते अवसरों के बारे में बात की। उन्होंने मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसे उपायों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब ये युवा जॉब क्रिएटर बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने का अभियान अभूतपूर्व है। एसएससी, यूपीएससी और आरआरबी जैसे संस्थान नई व्यवस्था के साथ ज्यादा नौकरियां दे रहे हैं। ये संस्थान भर्ती प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और आसान बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने भर्ती के समय चक्र को 1-2 साल से घटाकर कुछ महीने कर दिया है।
भारत और इसकी अर्थव्यवस्था में दुनिया के भरोसे को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आज पूरी दुनिया भारत की विकास यात्रा में उसके साथ साझेदारी करने को उत्सुक है।” मोदी ने बताया कि देश में किए गए विदेशी निवेश से उत्पादन, विस्तार और नए उद्योगों की स्थापना और निर्यात को बढ़ावा मिलता है, जिससे रोजगार के अवसरों में तेजी से वृद्धि होती है। निजी क्षेत्र में रोजगार के लाखों अवसर सृजित करने वाली वर्तमान सरकार की नीतियों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने ऑटोमोबाइल क्षेत्र का उदाहरण दिया जिसने देश के सकल घरेलू उत्पाद में 6.5 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया है। उन्होंने उल्लेख किया कि विभिन्न देशों में यात्री वाहनों, वाणिज्यिक वाहनों और तिपहिया और दोपहिया वाहनों के बढ़ते निर्यात से भारत में ऑटोमोटिव उद्योग के विकास को देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि मोटर वाहन उद्योग जो दस साल पहले 5 लाख करोड़ रुपये का था, आज 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है।
सामाजिक बुनियादी ढांचे की बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन के माध्यम से सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन पर करीब चार लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्य राजनीतिक दल भाषा के नाम पर लोगों को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि सरकार भाषा को रोजगार का सशक्त माध्यम बना रही है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में भर्ती परीक्षाओं पर जोर देने से युवाओं को फायदा हो रहा है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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