मुस्कराहट के साथ काम में लगे रहने के लिए पहचाने जाने वाले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव बालासोर रेल दुर्घटना के बाद से व्यथित हैं। हालांकि दुर्घटना के बाद अब वे अपना नियमित कामकाज संभाल चुके हैं, लेकिन चेहरे पर संताप बाकी है। रेल भवन के तीसरे तल पर स्थित कक्ष में बैठे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव रेल दुर्घटना के विभिन्न पहलुओं पर बात करते हुए भावुक हो उठे। उन्होंने धीमे स्वर में कहा कि जो भी हताहत हुए वह सभी अपने ही तो हैं। इसलिए रेल मंत्री के नाते मैंने और मंत्रालय ने उस पीड़ा को महसूस किया और लोगों की हर संभव मदद करने की कोशिश की। पूरा तंत्र युद्ध स्तर पर जुटा। राहत-बचाव के हर संभव जतन किए। घायलों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए सभी प्रयास आज भी जारी हैं। पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने रेल दुर्घटना के संदर्भ में उनसे विशेष बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ अंश:-
बालासोर की भीषण रेल दुर्घटना के बाद अब ट्रेन वापस पटरियों पर है। लेकिन जब दुर्घटना घटी, उस समय आपकी स्वयं की या कहें कि सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी?
मेरे लिए यह बहुत ही हतप्रभ करने वाली घटना थी, जैसे ही दुर्घटना के बारे में जानकारी हुई, मेरा दिल दहल गया, उस स्थिति को मैं न तो भावनाओं में और न ही शब्दों में व्यक्त कर सकता हूं। आज भी बस इतना कह सकता हूं कि इस दुर्घटना से हुए अपार दुख से बाहर निकल पाना आसान नहीं है। उस समय मेरे मन में बस यही बात चल रही थी कि कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के प्राण बचाए जाएं, जो घायल हुए हैं, उन्हें तुरंत फौरी उपचार कैसे मिले। कुल मिलाकर कहें, हमने तो पूरी ताकत के साथ पूरे सरकारी तंत्र को सक्रिय किया। इस दौरान हमारी हर संभव कोशिश यही थी कि कैसे लोगों के दुख को दूर किया जाए। इसके लिए पूरा तंत्र काम पर रात-दिन लगा हुआ था।
हमने पूरी ताकत के साथ पूरे सरकारी तंत्र को सक्रिय किया। इस दौरान हमारी हर संभव कोशिश यही थी कि कैसे लोगों के दुख को दूर किया जाए।
थोड़ा और विस्तार से बताएं। पूरे घटनाक्रम को कैसे व्यवस्थित किया ?
देखिए, पल भर भी देर न करते हुए रेलवे का पूरा तंत्र हर स्तर पर राहत-बचाव में जुट गया। करीब 3 हजार लोग जिसमें उच्च स्तरीय अधिकारियों से लेकर सामान्य कर्मचारी तक सभी शामिल थे, युद्ध स्तर पर राहत-बचाव में जुटे। इस दौरान जो भी प्राथमिक सहायता हो सकती थी, हम उसके लिए लगे थे। राज्य सरकार के साथ समन्वय बनाने की बात हो या फिर मेडिकल टीमों को जमीन पर उतारना, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय से सहयोग के साथ ही रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की उचित स्थान पर तैनाती, ताकि हताहतों को किसी भी तरीके की कोई असुविधा ना हो। यानी हम हर स्तर पर पूरी तरीके से मैदान में डटे थे। हमारा सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि फौरी तौर पर जो भी राहत दी जा सके, उसके लिए सभी एजेंसियां एकजुटता के साथ लग गई थीं। आपने देखा है कि आपदा में राहत देने के लिए रेलवे का पूरा तंत्र, और बाकी सरकारी तंत्र किस तरह सक्रिय हो उठा था। स्वयं माननीय प्रधानमंत्री जी घटनास्थल पर पहुंचे। इससे हम सभी का मनोबल कई गुना बढ़ गया।
करीब 3 हजार लोग जिसमें उच्च स्तरीय अधिकारियों से लेकर सामान्य कर्मचारी तक शामिल थे, युद्ध स्तर पर राहत-बचाव में जुटे। इस दौरान जो भी प्राथमिक सहायता हो सकती थी, हम उसके लिए लगे थे
घटना के पीछे क्या कारण रहे, इसे जानने के लिए एक तरफ रेलवे की अपनी जांच चल रही है और सीबीआई भी जांच कर रही है। क्या कहेंगे इस पर?
देखिए, मैं इस पर सिर्फ इतना ही कहूंगा कि हम इस घटना की तह तक जाएंगे। Commission of Railway Safety (CRS) (उफर) जो रेलवे के jurisdiction से बाहर है, के द्वारा जांच चल रही है, जो जल्द ही रिपोर्ट देगी, ताकि घटना के वास्तविक कारणों का पता लग सके। बाकी सीबीआई भी घटना की जांच कर रही है।
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