वाराणसी : दुनिया भर के जी-20 ताकतवर देशों से बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी आये विदेशी मेहमान रविवार शाम मां गंगा के दशाश्वमेध घाट पर आयोजित विश्व विख्यात गंगा आरती देख अभिभूत हो गए।
इस दौरान देव दीपावली की तर्ज पर फूलों के वन्दनवार से दुल्हन की तरह सजे घाट पर विदेशी मेहमान मां गंगा को चंवर डुलाती रिद्धि-सिद्धि के रूप में कन्याओं को कभी देखते तो कभी घाट पर आध्यात्मिक छटा के नैसर्गिक सौंदर्य को निहारते रहे। शंख और डमरूओं की ध्वनि के बीच अद्भुत और विहंगम छटा, मां गंगा के भजनों पर ताल देते दिखे। गंगा सेवा निधि की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में शंखनाद, घंटी, डमरू की आवाज और मां गंगा का जयकारा मेहमानों को रोमांचित कर रही थी।
मां गंगा की महाआरती भव्य स्वरूप में शुरू हुई। 9 अर्चकों ने मां गंगा की आरती उतारी, तो 27 रिद्धि-सिद्धि भी मौजूद रही व चंवर भी डोलाया। घाट को फूल मालाओं से व दीपकों से सजाया गया था। गंगा आरती की शुरुआत देवाधिदेव महादेव की प्रतिमा पर पुष्प वर्षा कर गणपति पूजन से हुआ।
इस दौरान 20 देशों के विकास मंत्रियों सहित 200 विदेशी मेहमान प्रतिनिधियों का नेतृत्व भारत के विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर कर रहे थे। यह दृश्य काशीवासियों सहित टेलीविजन पर लाइव प्रसारण देख रहे 140 करोड़ भारतीयों को गौरवान्वित व रोमांचित कर रहा था। आरती के दौरान विदेशी मेहमान ऐसे अभिभूत हुए कि वे भी सोफे पर बैठे-बैठे थाप दे रहे थे।
गौरतलब है कि वाराणसी में सबसे पहले गंगा आरती की शुरुआत साल 1991 में वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर हुई थी। तब से ही लगातार शाम के समय सूर्यास्त के बाद आरती की जाती है। गंगा नदी के जल के साथ-साथ गंगा आरती की मान्यता धार्मिक तौर पर बहुत है। वैसे तो गंगा की कई जगह आरती होती है, लेकिन काशी की गंगा आरती खास होती है। यही वजह है कि देश के कोने-कोने और विदेशी लोग गंगा आरती करने और देखने आते हैं। जान्हवी के तट पर उनकी आरती के समय मेले जैसा माहौल होता है।
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