भोपाल : मध्य प्रदेश में अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का मानदेय प्रतिमाह 10 हजार रुपए से बढ़ाकर 13 हजार रुपए कर दिया गया है। इसी तरह सहायिका का मानदेय पांच हजार से बढ़ाकर साढ़े छह हजार कर दिया गया है। दोनों के मासिक मानदेय में प्रतिवर्ष एक हजार रुपए की बढ़ोतरी की जाएगी। साथ ही उन्हें लाडली बहना योजना का लाभ भी मिलेगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी घोषणा में यह भी कहा है कि सेवानिवृत्त होने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सवा लाख और सहायिका को एक लाख रुपए एकमुश्त मिलेंगे। सहायिका से कार्यकर्ता के पद पर पदोन्नति 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत पदों पर कर दी गई है। दोनों को सरकारी कर्मचारियों की तरह छुट्टी एवं अन्य सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही उनका पांच लाख रुपए का स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने यह घोषणा रविवार को दोपहर में भोपाल के बीएचईएल दशहरा मैदान में आयोजित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए की। उन्होंने कहा कि आप सब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नहीं, बल्कि मेरी बहनें हैं। मेरी सभी लाड़ली बहनों को मेरा प्रणाम। लाड़ली बहना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि अंतर्मन का भाव है। दिल का भाव है, आत्मा का भाव है। मैंने देखा है कि एक जमाना था जब देश में नारी की बड़ी प्रतिष्ठा थी। यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता’ का युग हमने देखा है, लेकिन बीच में एक काल आया, जब हम गुलाम हो गए।
उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना, उस समय मानदेय था सिर्फ 500 रुपए। इसे बढ़ाकर 2008-09 में हमने 1500 रुपए किया। इसके बाद 2013-14 में इसे और बढ़ाते चले गए। 2018 में हमने फिर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दिया। यह काम भाजपा सरकार ने किया, कांग्रेस ने कभी नहीं किया। कमलनाथ और कांग्रेस ने एक पाप जरूर किया। हमने जो 10 हजार रुपए बढ़ाए थे, उसी में से 1500 रुपए उन्होंने मार दिए। पैसे काट लिए। यह अन्याय था।
भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं का सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रदेशभर से महिलाएं पहुंचीं। तपती दोपहरी में महिलाएं गर्मी से परेशान दिखीं। कूलर और पंखों का इंतजाम नहीं था। महिलाएं दुपट्टे, साड़ी के पल्लू और कागजों से हवा करते हुए भीषण गर्मी में अपनी मांगों को मनवाने के लिए बैठी रहीं। दावा किया गया है कि सम्मेलन में प्रदेश भर की लगभग 10 हजार कार्यकर्ता और सहायिका मौजूद थीं।
इससे पहले रतलाम जिले से आईं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अमृता पहाड़िया ने कहा कि हमें शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 20 हजार और सहायिका का वेतन 10 हजार रुपए किया जाए। सरकारी काम में कार्यकर्ता को बुलाया जाता है। अभी लाड़ली बहना का कार्यक्रम चल रहा था, तो हम लोग घर-घर जाकर महिलाओं को लेकर आए। हर काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कराया जाता है, लेकिन इसके बदले अलग से एक रुपया नहीं मिलता। हमारी मांग है कि दूसरे विभागों के कामों में जब हमारी ड्यूटी लगाई जाती है, तो इसका अलग से पैसा दिया जाए।
झाबुआ जिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ की उपाध्यक्ष ज्योत्सना दीक्षित ने कहा कि हमें नियमित किया जाए। हर विभाग में लगा देते हैं, लेकिन उसकी मजदूरी नहीं मिलती। हमारी बहनें जब रिटायर होती हैं, तो उन्हें एक रुपया नहीं मिलता। खाली हाथ घर पर बैठना पड़ता है। रिटायरमेंट के समय एकमुश्त दो-पांच लाख की राशि देनी चाहिए। यह पैसा वृद्धावस्था के लिए सहारा बनेगा। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि आपको सम्मानजनक वेतन दिया जाएगा। इसीलिए आज हम आए हैं कि कम से कम 20 हजार रुपए वेतन तो मिलना ही चाहिए।
(सौजन्य सिंडीकेट फीड)
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