मध्यप्रदेश में दमोह जिले के गंगा-जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल से हिन्दू बच्चियों के हिजाब में पोस्टर वायरल होने के बाद से लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। स्कूल में टीचर्स के मतांतरण कराए जाने के बाद एक और बड़ा खुलासा हुआ है। स्कूल संचालक जो अपने संस्थानों में लोगो उपयोग करता है, उसमें भारत के नक्शे से छेड़छाड़ की गई है, यहां तक की आधा भारत ही उससे गायब कर दिया है। इस मामले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने गंभीरता से लिया है और सरकार को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने की बात कही है।
दमोह,मध्यप्रदेश में जिस स्कूल में हिंदू बच्चों को हिजाब पहनाने व इस्लामिक शिक्षा दिए जाने तथा धर्मांतरण का प्रयास किए जाने के मामले में जाँच चल रही है यह उसका प्रतीक चिन्ह (लोगो) है जिसमें भारत के नक़्शे के साथ छेड़छाड़ करके आधा भारत ही ग़ायब कर दिया गया है।
यही नहीं इसके मालिक… pic.twitter.com/FYt0kwL9T9— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) June 7, 2023
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट करके यह जानकारी दी है। उन्होंने लिखा, ‘मध्यप्रदेश के दमोह में जिस स्कूल में हिंदू बच्चों को हिजाब पहनाने व इस्लामिक शिक्षा दिए जाने तथा धर्मांतरण का प्रयास किए जाने के मामले में जांच चल रही है। यह उसका प्रतीक चिन्ह (लोगो) है, जिसमें भारत के नक़्शे के साथ छेड़छाड़ करके आधा भारत ही ग़ायब कर दिया गया है। यही नहीं इसके मालिक के सभी अन्य व्यावसायिक संस्थानों में यही नक़्शा प्रतीक चिन्ह (लोगो) की तरह उपयोग किया जा रहा है। शैक्षणिक संस्थान द्वारा हमारे संप्रभु राष्ट्र भारत के नक़्शे के साथ इस प्रकार की छेड़खानी क़तई सहन नहीं की जाएगी। इसको @NCPCR ने बेहद गम्भीरता से लिया है, व मध्यप्रदेश सरकार को FIR हेतु आवश्यक निर्देश प्रेषित किए जा रहे हैं।’
बता दें कि गंगा-जमुना स्कूल का सबसे पहले हिन्दू बच्चियों का हिजाब में पोस्टर वायरल हुआ था, जिसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जांच शुरू की तो एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। जांच में यह भी पता चला कि वहां बच्चों को समुदाय विशेष की प्रार्थना कराई जा रही है। दो महिला टीचर के कन्वर्जन की भी बात सामने आई। पता चला कि विद्यालय की प्रिंसिपल जो पहले खरे थीं वे अब अफसरा शेख बन चुकी हैं। विद्यालय के भीतर जांच के दौरान जगह-जगह ऐसे स्लोगन, पोस्टर और वाक्य लिखे मिले जोकि मजहब विशेष के प्रति हैं।
जांच के लिए पहुंचे राज्य बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने भी कहा था कि हमें भरोसा नहीं था कि एक स्कूल संचालक अल्पसंख्यक के नाम पर विद्यालयीन संस्था चलाने की आड़ में अपना निजी एजेंडा भी चला सकता है। यहां हमारी टीम को बहुत कुछ आपत्तिजनक सामग्री मिली है, जिसका स्कूल शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। बताया जा रहा है कि स्कूल संचालक के पास हजारों एकड़ जमीन का भी पता चला है। जिस पर सवाल उठ रहे हैं कि इतना पैसा कहां से आया, जो कुछ सालों में ही इतनी जमीन खरीद ली गई।
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