अस्तित्व रक्षा का प्रश्न
July 22, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम सम्पादकीय

अस्तित्व रक्षा का प्रश्न

जो व्यक्ति अपने प्राणों से हाथ धो चुका है, कम से कम उसके जीवन के प्रति सम्मान की दृष्टि से ही सही, इन अवरोधों को समाप्त करने की दिशा में विचार किया जाना चाहिए।

by हितेश शंकर
Jun 7, 2023, 07:06 am IST
in सम्पादकीय, दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिल्ली में एक अल्पवयस्क बालिका की जिस प्रकार सरेआम चाकू से गोदकर हत्या की गई, वह हतप्रभ करने वाली घटना है। हालांकि इस तरह की बहुत सारी अन्य घटनाएं हैं, जिनमें कथित लव जिहाद में मोहरा या शिकार बनी बालिकाओं-महिलाओं को टुकड़े-टुकड़े करके रेफ्रिजरेटर में, सूटकेस में, प्लास्टिक की थैलियों में भरा गया है। इन्हें अपराध की एक अन्य घटना मानना संभव नहीं होगा। यह एक चलन है और काफी लंबे समय से बना हुआ है।

यह समाचार कभी पुराना नहीं पड़ सकता। दिल्ली में एक अल्पवयस्क बालिका की जिस प्रकार सरेआम चाकू से गोदकर हत्या की गई, वह हतप्रभ करने वाली घटना है। हालांकि इस तरह की बहुत सारी अन्य घटनाएं हैं, जिनमें कथित लव जिहाद में मोहरा या शिकार बनी बालिकाओं-महिलाओं को टुकड़े-टुकड़े करके रेफ्रिजरेटर में, सूटकेस में, प्लास्टिक की थैलियों में भरा गया है। इन्हें अपराध की एक अन्य घटना मानना संभव नहीं होगा। यह एक चलन है और काफी लंबे समय से बना हुआ है।

नया सिर्फ यह है कि संचार और समाचार के विभिन्न माध्यमों के आम जन के स्तर पर विकेंद्रीकरण ने अब इन घटनाओं को लोगों के सामने ला दिया है। इस तरह की वारदातों के प्रति जिस तरह की जनप्रतिक्रिया सामने आई है, जो जन आक्रोश है, वह इस मांग की पुष्टि करता है कि ऐसी सारी घटनाओं को एक साथ रख कर समझा जाए और उनके प्रतिकार के उपाय किए जाएं। यह स्पष्ट है कि मात्र कानून या कानून का भय (?) ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने में सक्षम नहीं है।

यह राजनीतिक अवसरवादिता नहीं, अपने आप में एक अपराध है। एक बार दिल्ली की म्युनिसिपल सरकार जिम्मेदार होती है, दूसरी बार कोई जिम्मेदार नहीं होता है, तीसरी बार जब जेल में हत्या होती है, जहां मंत्रियों की तेल मालिश की व्यवस्था की गई होती है, तब फिर कोई जिम्मेदार नहीं होता है। चौथी बार निर्भया जैसे वीभत्स कांड पर सारा दोष उपराज्यपाल के मत्थे मढ़ने की कोशिश होती है। पांचवीं बार फिर चुप्पी साध ली जाती है।

इसे लव जिहाद की श्रेणी में रखना पर्याप्त नहीं होगा। सिर्फ राजनीतिक व्यावहारिकता के भय से इसके हिंसात्मक पहलू की बारीक मीमांसा करने से आखिर कब तक बचा जाएगा? अगर घुट्टी में पिलाई गई यह हिंसा और वीभत्सता किसी को भी सहज लगती है, तो वह निश्चित रूप से समाज का शत्रु है और उसके साथ शत्रुवत् व्यवहार ही किया जाना चाहिए। अपराध के इस वैचारिक पक्ष पर किसी संदिग्ध की भांति नजर रखी जानी चाहिए। विडंबना यह है कि राजनीतिक लाभ की खातिर इस वैचारिक पक्ष की पुष्टि और तुष्टि की जाती रही है। अब दिल्ली को ही देखें, जहां अपराध या तो राजनीतिक रोटियां सेेंकने का माध्यम होता है या अपराधियों के साथ खड़े दिखाई देने का एक बहाना।

जिस निर्भया कांड को लेकर दिल्ली में एक बड़ा राजनीतिक उफान आया था, और जिसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री को ऐसे जिम्मेदार ठहराया गया था, जैसे उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर यह सब होने दिया हो, दिल्ली का वही राजनीतिक दल उसी निर्भया कांड के अभियुक्त को नाबालिग ठहराने से लेकर उसके पुनर्वास तक में सहभागी था। फिर उसी सरकार के तहत आने वाले दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल की घटना में प्राण गंवाने वाली महिला का मामला तो निर्भया कांड से किसी तरह कम वीभत्स नहीं था। दिल्ली सरकार ने उसके परिवार की ओर झांकने भी जरूरत तक नहीं समझी। क्यों? क्या इसलिए कि इसका कोई वीडियो फुटेज नहीं था? या इसलिए कि वह पीड़िता जाटव समाज की थी? उतनी हाई-प्रोफाइल नहीं थी?

यह राजनीतिक अवसरवादिता नहीं, अपने आप में एक अपराध है। एक बार दिल्ली की म्युनिसिपल सरकार जिम्मेदार होती है, दूसरी बार कोई जिम्मेदार नहीं होता है, तीसरी बार जब जेल में हत्या होती है, जहां मंत्रियों की तेल मालिश की व्यवस्था की गई होती है, तब फिर कोई जिम्मेदार नहीं होता है। चौथी बार निर्भया जैसे वीभत्स कांड पर सारा दोष उपराज्यपाल के मत्थे मढ़ने की कोशिश होती है। पांचवीं बार फिर चुप्पी साध ली जाती है। यह वास्तव में एक अपराध को, उसके पीछे के मनोविज्ञान को, उसके पीछे की सामाजिक संरक्षण की स्थितियों और उसके आतंक को प्रोत्साहन और संरक्षण देने का काम है। समस्या की जड़ यही है।

अगर जबलपुर कांड के समय (1961) से ही, जो एक हिंदू लड़की के साथ गैंगरेप के बाद उसे आत्महत्या की ओर धकेलने का स्वतंत्रता के बाद का संभवत: प्रथम ज्ञात प्रकरण था, यह समझा गया होता कि बलात्कार करना और हत्याएं करना किसी का मौलिक अधिकार नहीं हो सकता, तो शायद इन अपराधों की निरंतरता पर नियंत्रण रखना सरल होता। लेकिन राजनीतिक तुष्टीकरण के नाम पर हत्यारों को संरक्षण किया जाने लगा। किसी समुदाय का वोट बैंक होने का ‘गुण’ उसे कोई आपराधिक या राजनैतिक आम माफी या कानून से इम्यूनिटी नहीं दे सकता। वास्तव में हम इस तरह की दर्जनों विडंबनाओं के साथ चलते आ रहे हैं। हम आगे बढ़े हैं, लेकिन इस प्रकार की विडंबनाएं देश के लिए अवरोध का काम कर रही हैं। जो व्यक्ति अपने प्राणों से हाथ धो चुका है, कम से कम उसके जीवन के प्रति सम्मान की दृष्टि से ही सही, इन अवरोधों को समाप्त करने की दिशा में विचार किया जाना चाहिए। आखिर यह अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है।

@hiteshshankar

Topics: अस्तित्व रक्षा का प्रश्नहिंसा और वीभत्सताअल्पवयस्क बालिकाचाकू से गोदकर हत्याNirbhaya casequestion of survivalviolence and gruesomenesslove jihadminor girl childलव जिहादstabbed to deathहिंदू लड़कीवीभत्स कांडनिर्भया कांड
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Islamic conversion of hindu girl in pakistan

अलीगढ़ में कन्वर्जन का जाल: 97 महिलाएं लापता, खुफिया एजेंसियां सक्रिय, क्या है पूरा मामला?

मौलाना छांगुर का सहयोगी राजेश गिरफ्तार : CJM कोर्ट में रहकर करता था मदद, महाराष्ट्र प्रोजेक्ट में हिस्सेदार थी पत्नी

अवैध रूप से इस्लामिक कन्वर्जन करने वाले गिरफ्तार

हर शाख पर छांगुर बैठा है… : एक और कन्वर्जन नेटवर्क का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड सहित 10 गिरफ्तार, देशभर में फैला जाल…

Maulana Chhangur Conversion racket

Maulana Chhangur: यूपी से उत्तराखंड तक फैला कन्वर्जन का जाल

Haryana Love jihad

‘लव जिहाद का चल रहा आंदोलन, यह देश के लिए खतरा’, कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता, शहबाज को भेजा जेल

प्रतीकात्मक तस्वीर

भोपाल: हिंदू छात्राओं को नशा देकर दरिंदगी, ब्लैकमेल और जबरन कन्वर्जन का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड फरहान समेत कई गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा

जगदीप धनखड़ : किसान परिवार में जन्म, सैनिक स्कूल में पढ़ाई, उपराष्ट्रपति तक का सफर

देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

‘मेरे जन्मदिन पर होर्डिंग पर पैसा खर्च न करें, मुख्यमंत्री सहायता निधि में करें दान’, फडणवीस की कार्यकर्ताओं से अपील

जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा

राजेश्वर सिंह, भाजपा विधायक

कन्वर्जन रोकने के लिए और कड़े कानून बनाए जाएं, भाजपा विधायक ने की मांग

मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों को जानकारी देते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी महाराष्ट्र सरकार

सैनिक स्कूल में एयर मार्शल सुनील काशीनाथ विधाते, एवीएसएम, वाईएसएम, वीएम का किया गया अभिवादन

उत्तराखंड: एयर मार्शल सुनील काशीनाथ विधाते जब पहुंचे सैनिक स्कूल…

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

मानसून सीजन में सभी अधिकारी 24 घंटे अलर्ट मोड में रहें, सीएम धामी ने अधिकारियों को दिए निर्देश

पुणे: खरी भाषा, खरी बात

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी।

पश्चिमी यूपी में दंगे भड़काने की साजिश, कांवड़ यात्रा और बजरंग दल थे निशाने पर, पाकिस्तान का वीडियो किया वायरल

भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष हिरन्मय पंड्या ने सोमवार को दिल्ली के केशव कुंज में पत्रकार वार्ता की।

भारतीय मजदूर संघ के गौरवशाली 70 वर्ष : कार्यक्रम में RSS प्रमुख होंगे मुख्य अतिथि

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies