भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि आतंकवाद दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। इसे खत्म करने के लिए सबको मिलकर कड़े कदम उठाने की जरूरत है। विदेश मंत्री केपटाउन में ‘ब्रिक्स’ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। ब्रिक्स संगठन में ब्राजील, रूस, भारत, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका सदस्य हैं।
विदेश मंत्री का स्पष्ट कहना था कि हर तरह के आतंकवाद से टक्कर लेनी होगी। ऐसे कृत्यों में जो भी शामिल है उसे माफ नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को जो प्रमुख खतरे हैं उनमें से एक है। सभी देशों को इसे आर्थिक मदद करने वालों और प्रचार—प्रसार में लगे व्यक्तियों के विरुद्ध कड़े कदम उठाने ही होंगे।
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए, चीन के विदेश मंत्री की उपस्थिति में खुलकर अपनी बात कही। उनका निशाना दरअसल मुख्यत: पाकिस्तान ही था क्योंकि वह राज्य की ओर से अंतरराष्ट्रीय जिहाद को खाद—पानी देता आ रहा है।
जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान पहले से ‘आतंकवाद का केंद्र’ रहा है। वहां हाफिज सईद, मसूद अजहर, साजिद मीर तथा दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादी सरगनाओं को सरकारी सरपरस्ती मिलती है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्थिति चुनौतियों से भरी हुई है।
आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा के सामने मौजूद मुख्य खतरों में से एक बताते हुए, उन्होंने सभी देशों का आह्वान किया कि इस आतंकवाद को पैसा देने वालों के विरुद्ध ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि आतंकवाद को आर्थिक मदद का आरोपी पाकिस्तान लगातार कई साल इसी ‘अपराध’ की वजह से एफएटीएफ की ग्रे सूची में डला रहा था। पिछले साल वह इससे उबरा था, लेकिन इस साल फिर इसके उसी सूची में जा पहुंचने के पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं।
अपने वक्तव्य में एस. जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान पहले से ‘आतंकवाद का केंद्र’ रहा है। वहां हाफिज सईद, मसूद अजहर, साजिद मीर तथा दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादी सरगनाओं को सरकारी सरपरस्ती मिलती है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्थिति चुनौतियों से भरी हुई है। यही कारण है कि विश्व के मौजूदा हालात को देखते हुए ब्रिक्स के सदस्य राष्ट्र आज के मुख्य मुद्दों पर पूरी गंभीरता से, रचनात्मक तथा संगठित होकर मनन करें।
विदेश मंत्री जयशंकर का यह वक्तव्य भारत की आतंकवादी और वैश्विक शांति पर बनी सोच को रेखांकित कर गया। जयशंकर ने कहा भी कि इस बैठक के माध्यम से विश्व को एक दमदार संदेश जाना जरूरी है कि बहुध्रुवीय हो चुकी दुनिया फिर से संतुलन पर लौट रही है, ऐसे में नई स्थितियों से पुराने तरीको से नहीं निपटा जा सकता। सभी एक परिवर्तन को दर्शाते हैं, इसलिए उसके अनुरूप काम करना होगा।
यूक्रेन—रूस युद्ध का जिक्र किए बिना जयशंकर ने कहा कि आज के माहौल में यह जिम्मेदारी तो और भी बड़ी है। कोविड-19 महामारी के विनाशकारी परिणामों, संघर्ष से पैदा होने रहे तनावों के साथ ही हम ‘ग्लोबल साउथ’ में आए आर्थिक संकट को लेकर चिंतित हैं ही। इन सबसे वर्तमान अंतरराष्ट्रीय ढांचे में गहन खामियां उभर कर आई हैं, यह ढांचा आज की राजनीति, अर्थशास्त्र, जनसांख्यिकी अथवा उम्मीदों को नहीं झलकाता है।
जयशंकर ने आह्वान किया कि ब्रिक्स के सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साथ ही बहुपक्षीय संस्थानों में आगे सुधार के लिए गंभीरता से काम करें। यहां ध्यान देने की बात है कि भारत तो बहुत पहले से सुरक्षा परिषद में आवश्यक सुधार को लेकर आवाज उठाता आ रहा है। भारत के विदेश मंत्री ने कहा भी कि बीस साल से हमने बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की मांग उठते देखी है। लेकिन उस पर होता कुछ भी नहीं है। ऐसे में और जरूरी हो जाता है कि ब्रिक्स के सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के साथ ही अन्य सुधारों के संबंध में पूरा ध्यान दें।
भारत का स्पष्ट मानना है कि विश्व के अनेक देश आज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं उनकी जड़ में आर्थिक व्यवहार हैं। इसमें कई देश दूसरे देशों की कृपा पर चल रहे हैं। स्वास्थ्य, ऊर्जा तथा खाद्य सुरक्षा पर असर डालने वाली हाल की घटनाएं आज के नाजुक हालात को रेखांकित करती हैं।
ब्रिक्स के सदस्य देशों— ब्राजील, रूस, भारत, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका—की यह बैठक दो दिन पूर्व शुरू हुई है। इसके बाद ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन जोहानिसबर्ग में होने जा रहा है। ब्रिक्स देश आपस में मिलकर विश्व की आबादी के 41 प्रतिशत हैं तो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 24 प्रतिशत की तथा वैश्विक व्यापार में 16 प्रतिशत की हिस्सेदारी करते हैं।
टिप्पणियाँ