उत्तराखंड सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान के साथ-साथ पुलिस ने बाहरी लोगों के सत्यापन का काम भी सख्ती से शुरू कर दिया है। साथ ही अब आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड की जांच पड़ताल का काम शुरू किया गया है।
उत्तराखंड में बढ़ती मुस्लिम आबादी पर चिंतित उत्तराखंड सरकार ने अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया है। खुफिया जानकारी मिलने के बाद नदियों के किनारे, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर बस रहे लोगों को वन विभाग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए खदेड़ना शुरू कर दिया है। नदियों में खनन का काम बरसात में बंद हो जाता है। एक जून को जैसे ही ये काम बंद हुआ। वन महकमे ने मुनादी करवाकर लोगों को अपने झोपड़ी, सामान हटाने को कहा और अगले दिन अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक बड़ी संख्या में लोग नदी किनारे जमीनों पर अवैध कब्जे कर बसे हुए थे।
वन विभाग के साथ-साथ सिंचाई, पीडब्ल्यूडी विभाग ने भी अवैध कब्जे हटाने शुरू कर दिए हैं। उधर पुलिस ने अपनी सूचनाएं एकत्र करने के बाद बाहरी लोगों को अपना सत्यापन करवाकर लाने के लिए अल्टीमेटम दे दिया है। ये लोग अपने गांव के नजदीकी थाने से स्वयं अपना वेरिफिकेशन करवाकर लाएंगे। पुलिस की टीम गली-गली घूमकर लोगों के सत्यापन का काम कर रही है। डीजीपी अशोक कुमार ने सभी जिलों के एसएसपी को ये निर्देशित किया है कि सत्यापन के लिए प्रत्येक सूचना को थाने में एक रजिस्टर रख कर दर्ज की जाए। बाद में इसका डेटा तैयार किया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार ने अगले चरण में वोटर आईडी, आधार कार्ड का सत्यापन और राशन कार्ड्स का भी सत्यापन अभियान चलाने के लिए निर्देशित किया है। ऐसी जानकारी में आया है यूपी से आए बड़ी संख्या में लोग फर्जी आधार कार्ड से उत्तराखंड का आयुष्मान कार्ड बनवाकर सरकारी अस्पतालों, एम्स आदि में मुफ्त इलाज करवा रहे हैं। साथ ही अन्य सरकारी सुविधाएं ले रहे हैं। जानकारी के मुताबिक चार मैदानी जिलों हरिद्वार, नैनीताल, उधम सिंह नगर और हरिद्वार जिले में दस्तावेज सत्यापन अभियान को माइक्रो लेवल पर चलाया जा रहा है।
आईजी कुमायूं डॉ नीलेश भरणे के मुताबिक न सिर्फ पुलिस वेरिफिकेशन बल्कि अन्य दस्तावेजों से भी सत्यापन कराया जाएगा और यदि इनमें हेरफेर पाया गया तो कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। आईजी भरणे ने बताया कि हम जनसेवा केंद्रों की भी जांच पड़ताल कर रहे हैं कि कोई फर्जी दतावेज बनाने का काम तो नहीं कर रहे। हम किरायेदारों के सत्यापन के लिए भी मापदंड तय कर दिए हैं।
राज्य में पुलिस की एकाएक सख्ती करने से कई बाहरी लोग अपना बोरिया बिस्तर समेट कर जाते दिखाई दे रहे हैं। नदियों के किनारे से श्रमिक अपने घरों की तरफ जा रहे हैं क्योंकि उन्हें एक तरफ पुलिस का भय है, दूसरी तरफ वन विभाग के बुलडोजरों का डर सता रहा है।
नोडल अधिकारी डॉ पराग धकाते के अनुसार अभी तक 2100 एकड़ जंगल और नदी की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त करवा ली गई है, ये अभियान जारी रहेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भी हल्द्वानी में मीडिया से बातचीत में कहा है कि अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। अतिक्रमण की वजह से उत्तराखंड की डेमोग्राफी में बदलाव को सरकार सहन नहीं करेगी।
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