गंगा दशहरा : काशी के गंगा तट पर दिखा देवलोक जैसा नजारा, आरती में उमड़ा जन सैलाब

- अस्सी घाट पर मां गंगा की अचल प्रतिमा के श्रृंगार के साथ उन्हें 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया गया।

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संवाद सूत्र

वाराणसी । पृथ्वी पर मां गंगा के अवतरण पर काशी के गंगा घाटों पर मानों साक्षात देव लोक उतर आया हो। मां गंगा की महाआरती में भक्तों की ऐसी भीड़ उमड़ी कि घाटों पर पैर रखने तक की जगह नहीं बची। गंगा दशहरा के पावन पर्व पर प्रसिद्ध दशाश्वमेध, शीतला, अस्सी घाट पर विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का भव्य आयोजन किया गया। सुबह से ही श्रद्धालुओं को हुजूम गंगा घाटों पर स्नान को उमड़ने लगा था। वैदिक ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के साथ भव्य गंगा आरती की। भीड़ को देखते हुए एनडीआरएफ की टीमें और जल पुलिस को भी तैनात किया गया था।

गंगोत्री सेवा समिति के अलावा राजेंद्र प्रसाद घाट पर गंगा सेवा निधि के द्वारा षोडशोपचार विधि मां गंगा का विधिवत पूजन किया गया. उसके बाद 101 लीटर दूध से मां गंगा का दुग्धाभिषेक और महाआरती हुई। अस्सी घाट पर मां गंगा की अचल प्रतिमा के श्रृंगार के साथ उन्हें 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया गया। इस दौरान सांस्कृतिक आयोजन भी हुए और मां गंगा के धरती पर अवतरण की कथा का मंचन भी हुआ। शंकराचार्य घाट पर श्रीविद्या मठ के बटुकों द्वारा गंगा पूजन कर पाठ किया गया गया।

मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।  माना जाता है कि जब मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई तो वह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी, तभी से इस तिथि को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

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