कंगाल और बदहाल पाकिस्तान के दूसरे देशों की उड़ान पर जाने वाले हवाई जहाज अपने देश में लौट पाएंगे अब इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसा सच में हो चुका है। कर्ज में डूबे पाकिस्तान के एक बोइंग को मलेशिया ने इसलिए अपने यहां जब्त कर लिया था क्योंकि पाकिस्तान ने कर्जे की किस्त नहीं भरी थी।
पड़ोसी इस्लामी देश वैसे भी आर्थिक कंगाली के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है, तिस पर मार्शल लॉ की तलवार एक बार फिर लटकी हुई है। ऐसे में खाने को तो उसके पास पैसे हैं नहीं, तो विदेशी कर्ज चुकाने की बात तो सह ध्यान भी नहीं रखना चाहता। लेकिन उसने जिन देशों से कर्ज लिया हुआ है वे कैसे भूल जाएं कि उन्हें उगाही करनी है। और अगर सीधी उंगली से घी न निकले तो उंगली को मोड़ लेना है!
इसमें कोई संदेह नहीं है कि मलेशिया वाले इस ताजा प्रकरण ने पाकिस्तान को एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमानित किया है। और दिलचस्प बात है कि इस इस्लामी देश को अपमानित किया है उसके ही हममजहबी देश मलेशिया ने। उस मलेशिया ने जिसे पाकिस्तान अपना दोस्त बताता रहा है।
हुआ यूं कि पाकिस्तान का बोइंग विमान ‘दोस्त’ मलेशिया की उड़ान पर क्वालालम्पुर पहुंचा था। यह विमान पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन पीआईए का था। पाकिस्तान ने यह विमान मलेशिया से ही लीज पर लिया था। लेकिन वह कर्ज की राशि नहीं चुका रहा था। इससे बौखलाए ‘दोस्त’ मलेशिया ने गत जनवरी में ब्रिटेन की एक अदालत के आदेश पर क्वालालम्पुर हवाई अड्डे पर उतरे पाकिस्तानी हवाई जहाज को धर दबोचा, उसे जब्त कर लिया था।
पाकिस्तान का मलेशिया के 14 अरब डॉलर का लीज विवाद है। लेकिन उसने कबसे यह पैसा दिया ही नहीं था। यहां ध्यान देने वाली बात है कि कर्ज वसूली के इस प्रकरण ने पाकिस्तान के दावों से उलट दोनों देशों के बीच ‘दोस्ती’ की कलई खोलकर रख दी है।
पाकिस्तान के ही अखबारों की खबरें बताती हैं कि मलेशिया के क्वालालम्पुर हवाई अड्डे पर इसी लीज के झगड़े में फंसे पीआईए के हवाई जहाज को मलेशिया ने जब्त कर लिया। क्योंकि मलेशिया कई बार पैसे का तकादा कर चुका था, लेकिन पाकिस्तान उसे टालता आ रहा था। इससे बौखलाए मलेशिया ने कार्रवाई की और पाकिस्तानी हवाई जहाज को वापसी की उड़ान ही नहीं भरने दी। और मजेदार बात, मलेशिया ने ‘दोस्त’ पाकिस्तान के साथ ऐसा पहली बार नहीं किया है, वह पहले भी अपने यहां पाकिस्तान का हवाई जहाज जब्त कर चुका है। यानी उसे पता है, जिन्ना के हिमायती कैसी भाषा समझते हैं। 2021 में भी ठीक इसी तरह कर्ज का पैसा वापस न मिलने पर मलेशिया ने अपने हवाई अड्डे पर आए पीआईए के हवाई जहाज को जब्त किया था।
पाकिस्तान में छपी ये खबरें यह भी बताती है कि पाकिस्तान का मलेशिया के 14 अरब डॉलर का लीज विवाद है। लेकिन उसने कबसे यह पैसा दिया ही नहीं था। यहां ध्यान देने वाली बात है कि कर्ज वसूली के इस प्रकरण ने पाकिस्तान के दावों से उलट दोनों देशों के बीच ‘दोस्ती’ की कलई खोलकर रख दी है। इमरान खान के कार्यकाल में बड़ी ढींगें हांकी गई थीं कि इसी मलेशिया के साथ मिलकर पाकिस्तान ‘इस्लामी देशों का गठजोड़’ कायम करेगा।
उल्लेखनीय है कि कर्ज में डूबे पाकिस्तान से अपना पैसा वापस न मिलता देख मलेशिया की विमानन कंपनी ने ब्रिटेन की एक अदालत में केस दर्ज कराया था। इस मुकदमे में अदालत ने विमान को ही जब्त करके पैसा वसूलने का निर्देश दिया था। लिहाजा अदालत के आदेश पर कार्रवाई करते हुए उक्त मलेशियाई कंपनी ने पीआईए के विमान को अपने कब्जे में ले लिया था। लेकिन कल मलेशिया के उच्च न्यायालय ने पीआईए और मलेशियाई कंपनी के बीच ‘समझौता’ होने के बाद पाकिस्तानी हवाई जहाज को छोड़ने का आदेश दे दिया।
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