Iran: क्या सूली पर टांगी जाएंगी नीलोफर और मोहम्मदी? महसा अमीनी की खबर की थी ‘ब्रेक’

दोनों पत्रकारों पर 'राज्य विरोधी प्रचार करने' तथा 'राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध षड्यंत्र रचने' का आरोप लगाया गया है। यह ऐसा अपराध है, जिसके लिए बहुत हद तक सजाए मौत का प्रावधान है

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WEB DESK

शिया बहुल देश ईरान में आखिरकार उन दो महिला पत्रकारों में से एक पर मुकदमा शुरू हो गया है जिन्होंने हिजाब न पहनने को लेकर पुलिस द्वारा 22 साल की महसा अमीनी को यातना देने की खबर ‘ब्रेक’ की थी। इन दोनों बहादुर महिला पत्रकारों ने ही सबसे पहले रिपोर्ट किया था कि पुलिस ने हिजाब न पहने महसा को सड़क से हिरासत में ले लिया है। फिर खबर दी कि पकड़े जाने के बाद पुलिस की कथित यातनाओं से तीन दिन बाद अस्पताल में महसा अमीनी चल बसी। इस समाचार के बाद पूरे देश में हिजाब विरोधी आंदोलनकारी सड़कों पर उतर आए थे। आज छह महीने से ज्यादा वक्त से चलते आ रहे उस आंदोलन में सैकड़ों की मौत हुई, हजारों घायल हुए, कइयों को सूली पर टांगा गया। कॉलेजों और ​विश्वविद्यालयों में ​क्रांति की ज्वाला भड़क उठी जिसे पुलिस ने पूरी निर्दयता के साथ रौंदा।

ईरान में हिजाब और बुर्के के ‘ड्रेस कोड’ को न मानने वाली महसा एक प्रतीक बन गई है सरकार की कट्टर इस्लामी जबरदस्ती के विरोध का (फाइल ​फोटो)

ईरान में हिजाब और बुर्के के ‘ड्रेस कोड’ को न मानने वाली महसा एक प्रतीक बन गई है सरकार की कट्टर इस्लामी जबरदस्ती के विरोध का। महीनों तक देश जड़ हो गया था। इससे बौखलाई सरकार अब उन दोनों महिला पत्रकारों के साथ क्या बर्ताव करेगी, इसे लेकर कयास लगने लगे हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि दोनों का सरकार सूली पर चढ़ा देगी क्योंकि ईरान में कानून बहुत सख्त हैं और जब मामला मजहब से जुड़ा हो तो ‘अपराध’ में और तीखापन आ जाता है।

30 साल की नीलोफर हमीदी और 36 साल की इलाहेह मोहम्मदी जानती थीं कि उनकी रिपोर्ट सरकार को भड़का सकती है, लेकिन तो भी उन्होंने पूरी खबर को विस्तार से लिखकर छपवाया था। अब दोनों पत्रकारों को सजा-ए-मौत झेलनी पड़ सकती है।

उन दोनों महिला पत्रकारों को अमीनी की मौत के फौरन बाद हिरासत में ले लिया गया था; 30 साल की नीलोफर हमीदी और 36 साल की इलाहेह मोहम्मदी जानती थीं कि उनकी रिपोर्ट सरकार को भड़का सकती है, लेकिन तो भी उन्होंने पूरी खबर को विस्तार से लिखकर छपवाया था। अब दोनों पत्रकारों को सजा-ए-मौत झेलनी पड़ सकती है।

ईरान की अदालत में इन दोनों पत्रकारों में से एक की कल से सुनवाई शुरू हुई ​है। 16 सितंबर 2022 को 22 साल की कुर्द महसा की मौत हुई थी, उसके बाद से ये दोनों हिरासत में ले ली गई थीं। पुलिस का कहना था कि उन्होंने गलत समाचार प्र​काशित करके देश में उपद्रव खड़े कर दिए। इतना ही नहीं, यह भी कहा गया कि ये पश्चिमी देशों की एजेंट हैं जो यहां उपद्रव भड़काने में जुटी हैं।

ताजा जानकारी के अनुसार, ईरान की राजधानी तेहरान में अदालत में एक बंद कमरे में दोनों पर अलग अलग मुकदमा चलेगा। किसी को भी यह कार्रवाई देखने की इजाजत नहीं दी गई है। कल हुई सुनवाई में अदालत ने मोहम्मदी का प्राथमिक परीक्षण किया है। दूसरी पत्रकार हमीदी पर कार्रवाई आज शुरू होगी। मोहम्मदी सुधारवादी अखबार समूह हाम मिहाम से जुड़ी है। उसी ने कुर्दिस्तान जाकर महसा अमिनी के शहर सकेज जाकर उसे दफनाए जाने का समाचार विस्तार से लिखा था।

इसी तरह हमीदी भी देश में सुधार के मुखर प्रवक्ता अखबार शार्ग में काम करती है। उसे भी महसा जहां भर्ती थी उस अस्पताल से रिपोर्ट करने के ‘जुर्म’ में 20 सितंबर को हिरासत में ले लिया गया था। बताया जा रहा है कि दोनों पत्रकारों पर ‘राज्य विरोधी प्रचार करने’ तथा ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध षड्यंत्र रचने’ का आरोप लगाया गया है। यह ऐसा अपराध है, जिसके लिए बहुत हद तक सजाए मौत का प्रावधान है।

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