दिल्ली हाई कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को फांसी की सजा देने की नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की मांग पर सुनवाई करते हुए मलिक को नोटिस जारी किया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने अगली सुनवाई पर 9 अगस्त को यासिन मलिक को पेश करने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया है।
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने यासिन मलिक के ऊपर लगे आरोपों को सही पाया था। उन्होंने कहा कि यह अजीब है कि कोई भी देश की अखंडता को तोड़ने की कोशिश करे और बाद में कहे कि मैं अपनी गलती मानता हूं और ट्रायल का सामना न करे। यह कानूनी रूप से सही नहीं है। उन्होंने कहा कि एनआईए के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मलिक ने कश्मीर के माहौल को बिगड़ने की कोशिश की।
यासीन मलिक को फांसी दिए जाने की मांग करते हुए, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अलकायदा के मारे जा चुके नेता ओसामा बिन लादेन का जिक्र किया। उन्होंने यासीन मलिक की लादेन से तुलना की और कहा ”यदि ओसामा बिन लादेन को भी इस कोर्ट में लाया जाता तो क्या उसे यही ट्रीटमेंट मिलता ?” इस पर केस की सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि दोनों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती, क्योंकि लादेन पर किसी भी अदालत में कोई ट्रायल नहीं चला था। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि मेरे हिसाब से तो अमेरिका ने सही किया। तुषार मेहता द्वारा की गई इस टिप्पणी पर जस्टिस मृदुल ने किसी भी तरह का कोई जवाब नहीं दिया ।
बतादें पटियाला हाउस कोर्ट ने 25 मई, 2022 को हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने यासिन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत दस साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यासिन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये की सजा प्रभावी होगी।
यासिन मलिक ने 10 मई, 2022 को अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 16 मार्च, 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग उन्होंने घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।
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