उत्तराखंड : मजहबी जमात के प्रभाव से जनसंख्या असंतुलन
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

उत्तराखंड : मजहबी जमात के प्रभाव से जनसंख्या असंतुलन

सरकारी खामियों का फायदा उठाकर सुदूर पहाड़ों में जाकर बस रहे हैं, कभी शाकाहारी थे अब बाघ, हाथी के शिकार में हैं लिप्त

by दिनेश मानसेरा
May 29, 2023, 04:24 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

उत्तराखंड के जंगलों में मजहबी कट्टरपंथ की घुसपैठ हो चुकी है, कभी जंगल के रखवाले माने जाते वन गुर्जरों के समुदाय में जमीयत का दखल बढ़ता जा रहा है। मुस्लिम वन गुर्जर उत्तराखंड की जंगल की जमीन की लैंड जिहाद के तहत कब्जाने में लगे हैं। वन गुर्जर न सिर्फ सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्जे कर रहे हैं, बल्कि हाथी, बाघ, तेंदुए जैसे दुर्लभ वन्यजीव प्राणियों का शिकार भी कर रहे हैं।

उत्तराखंड में कभी जंगल के रखवाले कहे जाते वन मुस्लिम गुर्जरों को शाकाहारी रहना उनके संस्कारों में शामिल था, परंतु अब उनकी नई पीढ़ी में जमीयत का प्रभाव देखा जा रहा है। वन मुस्लिम गुर्जरों के बच्चे, युवा अब जमातों में जाकर इस्लामिक कट्टरपंथ की जकड़ में आ चुके हैं। पहले इस समुदाय में बकरे की कुर्बानी तक नहीं होती थी। जब से इनके यहां जमीयत के मौलानाओं का आना जाना हुआ है और इनके मन ये बात गहरा दी गई है तुम इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हो और तुम्हें यही जीवन जीना है, तब से इनका सामाजिक परिवर्तन सामने आ गया है। जंगलों में इनके बच्चों को इस्लामिक शिक्षा के लिए मदरसे खोले जा रहे हैं, जहां हाफिज मौलाना बाहर से आकर डेरा डाल रहे हैं और मजहबी कट्टरपंथ की तालीम दे रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि वन गुर्जर उत्तराखंड में लैंड जिहाद में शामिल हो चुके हैं और इसके पीछे जमीयत की योजना काम करती दिखाई दे रही है।

प्रतीकात्मक चित्र

जंगल की जमीन पर अवैध कब्जे कर रहे हैं वन मुस्लिम गुर्जर
कॉर्बेट और राजा जी टाइगर रिजर्व से वन गुर्जरों को बाहर निकाल कर बसाने के काम में इस समुदाय के साथ हिमाचल, कश्मीर और यूपी के मुस्लिम वन गुर्जरों ने जमात के साथ मिलकर एक योजना के तहत बसावट कर ली है। ऐसा जानकारी में तब आया जब विस्थापन से पूर्व 512 परिवार ही 1998 के सर्वे में आए, किंतु जब विस्थापन हुआ तो इनकी संख्या पांच हजार से ज्यादा हो गई और आज भी कई वन गुर्जर सरकारी खामियों का फायदा उठाकर जमीन कब्जाने के दावे करने में लगे हैं, जबकि 1632 में से 1390 वन गुर्जरों का ही राजा जी से और 224 का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कालागढ़ से विस्थापन किया जाना था। विस्थापन में परिवार की परिभाषा में बालिग, निकाह और शरीयत कानून के चलते इनके द्वारा बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के जंगलों से बाहर और अंदर घुसपैठ कर ली गई है। ऐसे भी सबूत मिले हैं कि इनकी पत्नियों के पति भी बदलते रहे और उनके बच्चे भी और वे वन भूमि से विस्थापन होने का दावा करने लगे।

उत्तराखंड में जिस परिवार को विस्थापन होने के लिए एक हेक्टेयर जमीन मिली और करीब साढ़े चार लाख रुपए की धनराशि मिली उनमें से कई लोग अपना मकान रख शेष जमीन को यूपी, हिमाचल, कश्मीर के गुर्जरों को दस रुपए के स्टांप पर बेच कर पहाड़ों की तरफ अपने पशु लेकर चले गए और वहां रिजर्व फॉरेस्ट में भी अपने डेरे डालकर बैठ गए। अब पहाड़ी जंगलों में भी बाहर के मुस्लिम गुर्जर पहुंचने लगे और वहां भी मदरसे खोलकर बैठ गए। फॉरेस्ट प्रभागों से मिली जानकारी के मुताबिक हजारों हेक्टेयर जमीन इस समय मुस्लिम वन गुर्जरों ने कब्जा ली है और इनकी खुद की संख्या भी 15 हजार से ज्यादा है। इस बात के प्रमाण वन विभाग के पास जीपीएस और सेटेलाइट चित्रों से मिले हुए हैं। तराई सेंट्रल, तराई वेस्ट में करीब पांच हजार वन भूमि पर कब्जा कर वन मुस्लिम गुर्जर खेती कर रहे हैं और विभाग खामोशी की चादर ताने सोया हुआ है।

उत्तराखंड में वन्यजीव पोचिंग में हैं शामिल
उत्तराखंड का 70 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जिसमें घूमने और पशुओं को चराने का परमिट इन मुस्लिम गुर्जरों को मिलता रहा है। कभी ये जंगल के रखवाले हुआ करते थे, किंतु अब ऐसे प्रमाण मिले हैं कि बाघ की खाल, हड्डियों और हाथी दांत के लिए शिकार में लिप्त हैं। हरिद्वार में डीएफओ रहे आकाश वर्मा के कार्यकाल में एक मुस्लिम गुर्जर के घर से बाघ की खाल और हड्डियां जमीन में गड़ी हुई मिली थीं।

इसी तरह तराई के आम पोखरा रेंज में गुलाम रसूल, नाम के मुस्लिम वन गुर्जर के घर से हाथी दांत बरामद हुए और आरोपी ने कबूला था कि उसने हाथी का शिकार करंट लगाकर किया था। एक अन्य वन गुर्जर मोहम्मद कासिम भी हाथी दांत की तस्करी में पकड़ा गया। ऐसे एक दो नहीं दर्जनों मामले हैं, जिनमें मुस्लिम गुर्जर वन्य जीव जंतुओं के शिकार, वन संपदा के दोहन जैसे इमारती लकड़ी और दुर्लभ जड़ी बूटियों की तस्करी में लिप्त रहे हैं। उल्लेखनीय है वन मुस्लिम गुर्जर अभी वन्यजीवो का शिकार कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव तस्करों तक पहुंचाने के रास्ते जानते हैं, बहुत से मुस्लिम गुर्जर अब तेज धारदार हथियार और गैर कानूनी शस्त्र भी रख रहे हैं, जिन्हें वन विभाग के खिलाफ वे इस्तेमाल करते है।

तिब्बत, चीन सीमा तक पहुंच रहे हैं
उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा तिब्बत, चीन सीमा तक मुस्लिम वन गुर्जर अपने पशु लेकर पहुंच रहे हैं। कुछ साल पहले वन के अधिकारियों ने उन्हें गोविंद पशु विहार में जाने पर रोक लगा दी थी। वन अधिकारियों का कहना था कि हम यहां स्नो लेपर्ड, मोनाल, ब्रह्मकमल, भालू, कस्तूरी मृग के साथ-साथ देश की सीमा को संरक्षित और सुरक्षा देना चाहते हैं और ये गुर्जर इसके लिए बाधक बन रहे हैं। बताया जाता है राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद अब इनका फिर से वहां जाना शुरू हो गया है।

क्या कहते हैं चीफ कंजर्वेटर कुमाऊं
आईएफएस पीके पात्रों के अनुसार कुमायूं के सभी प्रभागों के जंगल की जमीन पर अवैध रूप से बसे वन गुर्जर चिन्हित किए गए हैं। ड्रोन, जीपीएस, सैटेलाइट से सर्वे करवाया गया है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। इन्हें हटाने का काम जल्द शुरू किया जाएगा। बेहतर यही होगा कि अवैध रूप से बसे ये गुर्जर खुद ही अपने कब्जे छोड़ दें।

क्या कहते हैं नोडल अधिकारी डॉ पराग मधुकर धकाते
वन विभाग में चीफ कंजर्वेटर और अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ पराग मधुकर धकाते का कहना है कि सभी वन प्रभागों से वन गुर्जरों की रिपोर्ट आ गई है। अवैध और वैध कब्जेदारों का सत्यापन का काम पूरा हो रहा है, किसी भी परिवार के पास एक हेक्टेयर से ज्यादा जमीन मिली अथवा उसके द्वारा जमीन खरीदी अथवा बेचने का काम किया गया तो उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

Topics: muslim gujjarillegal encroachmentउत्तराखंडUttarakhandजनसंख्या असंतुलनpopulation imbalanceउत्तराखंड में अतिक्रमणencroachment in uttarakhandवन मुस्लिम गुर्जरuttarakhand newsमुस्लिम गुर्जरउत्तराखंड समाचारforest muslim gujjarअवैध अतिक्रमण
Share27TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

pushkar singh dhami

उत्तराखंड : सीएम धामी ने चारधाम और बांधों की सुरक्षा बढ़ाने के दिए निर्देश, अलर्ट मोड पर अधिकारी

गंगनानी में हेलीकॉप्टर क्रैश

ब्रेकिंग न्यूज: गंगनानी में हेलीकॉप्टर क्रैश, 6 लोगों की मौत, एक की हालत गंभीर

उत्तराखंड बना वेडिंग हब! : जहां हुआ शिव-पार्वती विवाह वहां पर संपन्न हुए 500+ विवाह, कई विदेशी जोड़ों पसंदीदा डेस्टिनेशन

नैनीताल में अवैध कब्जों की भरमार : मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सैकड़ों सरकारी जमीनों पर बसीं बस्तियां, SIT जांच शुरू

उत्तराखंड में अवैध मदरसे को किया गया सील

5 और अवैध मदरसे सील, उत्तराखंड में 200 से ज्यादा अवैध मदरसों पर हुआ एक्शन

आरोपी

नैनीताल नाबालिग रेप कांड के आरोपी पर मुस्लिम समाज के कड़े फैसले

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

उत्तराखंड : केन्द्रीय मंत्री गडकरी से मिले सीएम धामी, सड़कों के लिए बजट देने का किया आग्रह

हरिद्वार में धामी सरकार एक्शन जारी, आज दो और अवैध मदरसे सील, अब तक 215 मदरसों पर लगे ताले

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies