मध्य प्रदेश में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस कोई गलती करती हुई दिखना नहीं चाहती। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ संतों के पास आशीर्वाद लेने जाते हुए दिखते हैं तो वहीं कांग्रेस के नेता संतों के खिलाफ बयान देने से अपने को नहीं रोक पा रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस में कांग्रेसी के नेता सज्जन सिंह वर्मा संत समाज और भागवताचार्यों के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं।
कांग्रेस के विधायक एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि धर्म की भी अब दुकानें खुल गई हैं। पहले छोटी दुकानें होती थीं अब बड़ा जनरल स्टोर खुल गया है। धीरेंद्र शास्त्री बाबा बागेश्वर धाम वाला और एक सीहोर वाले प्रदीप मिश्रा ने बड़ी दुकान खोल ली हैं। इसमें भी बड़ी बात यह है कि ये सभी बातें उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र सोनकच्छ के गांव जिरवाय में चल रही भागवत कथा में मंच व्यास पीठ के पास जाकर बोली हैं। वीडियो में पूर्व मंत्री वर्मा के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष लीलाबाई अटारिया एवं मालवा के प्रमुख कांग्रेस नेता भी दिखाई दे रहे हैं।
संतों ने कांग्रेस से पूछा- इतने ही बुरे हैं तो क्यों आते हो हमारे पास
सज्जन के बयान के बाद से संत समाज में रोष है। संतों, शास्त्री और सनातन धर्म के आचार्यों ने प्रश्न करना शुरू कर दिया है कि यदि कांग्रेस की मंशा यही है तो चुनाव में जीत जाने की भावना लेकर क्यों उसके नेता संत समाज से आशीर्वाद लेने एवं ज्यातिष आचार्यों, धर्मज्ञ, कर्मकाण्ड विद्वानों के पास चक्कर लगा रहे हैं। आचार्य बृजेश चंद्र दुबे, आचार्य राजेश, कुमार सुचित्र रघुनंदन, पं. भरत शास्त्री ने यही प्रश्न कांग्रेसियों से किया है।
कथावाचक पंडित रामकृष्ण उपाध्याय ने व्यक्त की व्यथा
व्यासपीठ पर हुए इस प्रकरण से कथावाचक पंडित रामकृष्ण उपाध्याय आहत हैं। यहां जिस तरह से कथावाचकों का अपमान हुआ हैं, वह असहनीय है। जिस समय यह प्रकरण हुआ उस वक्त मैं व्यासपीठ पर बैठा हुआ था, इसलिए मेरी भी कुछ जिम्मेदारी और दायित्व बोध है। मेरी उपस्थित में इस तरह के अपशब्दों का प्रयोग संतों के खिलाफ किया जाना अनुचित है, निश्चित ही यह सब सुन मैंने भी पाप किया है, इसलिए संकल्प लिया है कि सोनकच्छ क्षेत्र में आगे कभी कथा नहीं करूंगा। ये निर्णय लेना मेरे लिए स्वयं को कष्ट देना है, किंतु मैं यह कष्ट अपने आप को दे रहा हूं। मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं हैं। आम लोगों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है। उनके अंदर की बात न चाहते हुए भी उनकी जुबां पर आ रही है।
संज्जन सिंह का विवादित बयानों से नाता
संज्जन सिंह वर्मा ने कुछ दिन पूर्व ही भगवान महाकाल की भस्म आरती को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘महाकाल मंदिर में जो लोग जो लोग फला ढिमका चोला पहनकर भस्म आरती करते हैं, पाखंडी लोगों से यही उम्मीद की जा सकती है। पिछले चुनाव में भगवान राम को बेच दिया और अब भगवान शंकर को बेचेंगे।’ वर्मा का उस समय भी बहुत विरोध हुआ था। इससे पहले मंदसौर में महंगाई और अघोषित बिजली कटौती को लेकर प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘पट्ठा’ और जिन्ना को ‘जिन्ना साहब’ कहकर संबोधित करते भी नजर आ चुके हैं।
भाजपा नेता ने पर्चा किया जारी, “जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेही”
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा ने का कहना है कि कांग्रेस और उनके नेताओं की दो जुबान और दो चेहरे हैं। जब बागेश्वर धाम से स्वार्थ था तब चरणों में नतमस्तक हो गए थे। अब फिर से सनातन के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है। भाजपा नेता ने एक पर्चा भी जारी किया है। इस पर्चे में लिखा हुआ है “जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेही”। आपने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आपकी दो जुबान और दो चहरे हैं। आपका जब बागेश्वर धाम से स्वार्थ था, तब अपने आका के साथ उनके चरणों में नतमस्तक हो गए थे। वहीं अब फिर से अपने मुंह से हिंदुत्व और सनातन के खिलाफ जहर उगल रहे हो। ये तो कई बार आप सिद्ध कर चुके हो कि आपको हिंदू और सनातन धर्म रास नही आता। इसलिए गाय माता के हत्यारों को आप अंधेरी रात में टोंकखुर्द थाने से छुड़वाने जाते हो। मां नर्मदा को गाली देते हो, बहन बेटियों के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हो।
इस पर्चे में आगे लिखा कि आपको मैं बता दूं कि परम पूज्य प्रदीप मिश्रा जी और धीरेंद्र शास्त्री जी ने सनातन धर्म के सोये हुए हिंदुओं को जगाने का पुण्य कार्य किया है। ना की दुकान खोली है। सनातन धर्म का परचम विश्व तक फहराया है। अगर आपको यह दुकान लगती है, तो यह दुकान कभी बंद नहीं होगी। बल्कि करोड़ों हिंदुओं को युगों-युगों तक जागृत करती रहेंगी। लेकिन आपके मुंह में जो दो जुबान है उसे सोनकच्छ का हिंदू समाज बहुत अच्छे से देख चुका है। आपकी यह जुबान हिंदुत्व के खिलाफ कैसे जहर उगलती है और अगर स्वार्थ हो तो कैसे रस टपकाती है। लेकिन यह बात याद रखिए कि अब की बार आपको यह सनातन की दुकान ही इंदौर भेजेगी।
टिप्पणियाँ