आखिरकार जतंर मतंर पर चल रहे पहलवानों के धरने को पुलिस ने बलपूर्वक खत्म करा दिया। इन खिलाड़ियों के आह्वान पर किसान आंदोलन से जुड़े रहे तत्वों ने नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन ही महिला महापंचायत बुलाई थी, वह भी संसद भवन के द्वार के सामने। इसे लेकर भारी पुलिस बल तैनात था और यह भी बताया जा रहा है कि खिलाड़ियों को रात में ही बता दिया गया था कि अगर आप जतंर-मंतर से आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे तो आपको गिरफ्तार कर धरना खत्म करा दिया जाएगा। किसी भी स्थिति में नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह में विघ्न पैदा करने की कोशिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
महीने भर से भी अधिक समय से धरना दे रहे बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक की जोड़ी भी धरना खत्म करने का अवसर तलाश रही थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष एवं सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज हो चुका था। तब स्टैंड बदलते हुए इन खिलाड़ियो ने सांसद की गिरफ्तारी तक धरना जारी रखने का एलान कर दिया। यह आसान नहीं था। ऐसे में धरना खत्म करने की कोई बाजिव वजह नहीं मिल रही थी। ऐसे में नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन ही लोकसभा के घेराव का एलान कर इन लोगों ने धरना खत्म करने का सम्मानजनक रास्ता खोजा, क्योंकि यह जानते थे कि यह असंभव ही है। पर ऐसा करके ये प्रचार पा जाएंगे और केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने का इन्हें एवं विपक्ष को अवसर मिल जाएगा।
पर सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों तक इन राजनीतिक खिलाड़यों को कोई समर्थन नहीं मिला। कुछ विरोधी राजनीतिक दल जरूर धरना स्थल पर आए और समर्थन जताया। बहुत मनुहार करने पर देश के कुछ नामी खिलाड़यों ने मजबूरन न्याय दिलाने का ट्वीट किया। पर कोई धरना स्थल पर नहीं आया। वहीं सोशल मीडिया पर भी इनके धरने को लेकर बहुत आलोचना होती रही। यहां तक कि जतंर मतंर से गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस के बीच बस से साक्षी मलिक के मुस्कुराते हुए एक सेल्फी पोस्ट करने पर भी लोगों ने ट्रोल किया।
इस पोस्ट के साथ साक्षी ने लिखा, ‘क्या खून पसीना बहाकर देश के लिए मेडल लाना हमारा गुनाह था? अगर हाँ, तो हमे फांसी लगा दो।’
इसकी प्रतिक्रिया में सोनाली ने लिखा, ‘यह मेडल मेडल का ढिंढोरा क्यों पीट रही हो ??? क्या देश के लिए मेडल्स सिर्फ पहलवान ही लेकर आते हैं क्या ?? तुमने देश के लिए मेडल्स लाए तो देश ने भी तुमको बहुत कुछ दिया है पर गंदी राजनीति करने के लिए तुम लोग देश का नाम खराब कर रहे हो ..!!’ ???
अनुराग कार्तिकर ने लिखा- आपने मेडल जीता तो देश ने आपको सर आंखों पर बिठाया। अगर आज आप राजनीतिक वजहों से देश के लिए एक अत्यंत ऐतिहासिक दिवस पर बचकाना तमाशा करोगे तो आपको सहानुभूति नहीं, ऐसा ही जवाब मिलेगा।
राजस्थान के संदीप जाखड़ ने लिखा कि क्या मेडल के बदले करोड़ों रुपये और नौकरी नहीं ली आप लोगों ने, सरकार ने आपको सुख सुविधा नहीं दी फिर देश को बदनाम क्यों कर रहे हैं?
एक महिला रेखा तिवारी ने तो बहुत तीखी टिप्पणी की है- अरे आग लगे ऐसी पहलवानी में….. जो खुद की इज्जत ना बचा सके, जवानी में’
एक प्रतिक्रिया में सुशील पहलवान का फोटो लगाकर ट्वीट किया गया है- मेडल ये भी लाया था जनता ने इसको बहुत मान सम्मान दिया था। पर ये संभाल ना सका, और अपने ही जूनियर पहलवान का कत्ल कर दिया। आज जेल के सलाखों मे बंद है। ये घड़ी-घड़ी मेडल को बीच में मत लाओ, तुम लोगों की नौटंकी हिंदुस्तान की जनता ने देख लिया है, तुम सब मान सम्मान खो दिए..
देव ठाकुर ने लिखा कि जब तक चैंपियन बनकर रह रहे थे तब तक सम्मान वाला बर्ताव हो रहा था। जब से तुम लोग खेल छोड़कर गंदी राजनीति का खेल खेलने लगे हो तब यही बर्ताव होना जायज है। जब देश की चैंपियन पीटी ऊषा का अपमान करवाते हो, तब यही बर्ताव होना जायज है। जब सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खाप पंचायत बताते हो तब यही होगा।
विशाल प्राउड इंडियन ने लिखा गुनाह देश के लिए मेडल लाना नहीं था बल्कि गुनाह यह था कि राजनीतिक दल की गोद में बैठ कर देश के सम्मान को नुकसान पहुंचाया। गुनाह यह है कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को राजनीति के तहत क्षत-विक्षत करने की कोशिश किया। गुनाह यह है कि बिना नेशनल खेले ओलंपिक खेलने के लिए दबाव बनाया।
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