यासिन मलिक को दी जाए फांसी की सजा, NIA ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की याचिका
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यासिन मलिक को दी जाए फांसी की सजा, NIA ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की याचिका

एनआईए ने कहा है कि यासिन मलिक ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा है, उसने फांसी से बचने के लिए गुनाह कबूल करने का रास्ता चुना है। उसे फांसी की सजा नहीं देने का फैसला सजा देने की नीति पर सवाल खड़े करता है।

by WEB DESK
May 27, 2023, 12:52 am IST
in भारत
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नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को फांसी की सजा की मांग के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच इस याचिका पर 29 मई को सुनवाई करेगा।

एनआईए ने कहा है कि यासिन मलिक ने अपना गुनाह कबूला है इस आधार पर उसे फांसी की सजा नहीं देने का फैसला सजा देने की नीति पर सवाल खड़े करता है। ऐसे आतंकवादी जिसने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा है, उसने फांसी से बचने के लिए गुनाह कबूल करने का रास्ता चुना है।

25 मई 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी । पटियाला हाउस कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने यासिन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत दस साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा था कि यासिन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये की सजा प्रभावी होगी।

10 मई 2022 को यासिन मलिक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तोयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने , सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।

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