उत्तर प्रदेश के वाराणसी और आस पास के जिलों से दर्जनों बच्चों के चोरी होने की बातें सामने आ रही थी। इन मासूम बच्चों को बिहार, झारखंड और राजस्थान में 2 से 5 लाख रुपए में निः संतान दम्पत्ति को बेच दिया जाता था। यह खुलासा वाराणसी पुलिस ने बच्चा चोर गिरोह को पकड़कर किया है। कमिश्नरेट पुलिस ने अंतरराज्यीय बच्चा चोर गिरोह के 10 सदस्यों को बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया है। इनके निशानदेही पर अगवा कर बेचे गए तीन बच्चों को भी बरामद किया है।
दरसल, कुछ दिनों पहले बच्चा चोरी का सीसीटीवी फुटेज वायरल हुआ। पुलिस ने जांच में पाया कि 14 मई की रात भेलूपुर थाना क्षेत्र के रविंद्रपुरी रामचंद्र शुक्ल चौराहे के पास फुटपाथ पर माता – पिता के साथ सो रहे चार वर्षीय बच्चे को अगवा कर लिया गया था। बच्चे को तलाश रहे दंपत्ति ने घटना की जानकारी पुलिस को दी। सीसीटीवी फुटेज से अपहरण में इस्तेमाल कार का नंबर यूपी 65 ई आर 5183 का पता चला।
कार मालिक को तलाश कर पुलिस उसके पास पहुंची तो पता चला कार किराए पर दी गई थी। कार को चलाने वाले ड्राइवर शिवदासपुर निवासी संतोष को पुलिस ने पकड़ा। कार में उसका साथी विनय मिश्रा भी मौजूद था। उसी ने माता – पिता के बीच से मासूम बच्चे को उठाया था।
पुलिस को संतोष ने चौंकाने वाले राज बताए। अपर पुलिस आयुक्त ( मुख्यालय एवं अपराध ) संतोष कुमार सिंह ने बताया कि गिरोह के सभी सदस्यों को गिरफ्तार किया जाएगा। हमारी टीम ने तीन बच्चों को बरामद किया है। ये गिरोह गरीब व भिक्षा मांग कर जीवन यापन करने वाले परिवार को टारगेट करते थे। पूछताछ के आधार पर झारखंड के हजारीबाग से यशोदा देवी को एक बच्चे के साथ गिरफ्तार किया गया। यह बच्चा विंध्याचल से अगवा किया था। भीलवाड़ा, राजस्थान से गिरोह के भवर लाल को गिरफ्तार किया गया। उसके कब्जे से लंका के नगवा से अगवा की गई बच्ची बरामद की गई। अब तक सात बच्चों को अगवा करने की जानकारी मिली है।
अंतरराज्यीय बच्चा चोर गिरोह की मास्टर माइंड सिंदुरिया पोखरी, शिवदासपुर की रहने वाली शिखा मोदनवाल है। शिखा ने ही अपने बहनोई संतोष गुप्ता को प्रति बच्चा डेढ़ से दो लाख रुपये मिलने का लालच देकर कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की तरकीब बताई। इसके बाद अपने पति संजय मोदनवाल, बहनोई संतोष व उसके बेटे शिवम के साथ सड़क किनारे, झुग्गी-झोपड़ियों और मलिन बस्तियों में रहने वाले परिवारों के मासूम बच्चों को निशाना बनाने लगी। नेटवर्क में धीरे-धीरे बाहरी लोग भी जुड़ने लगे।
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