गूगल भी ‘बार्ड’ नामक चैटबॉट ला रहा है। ये सभी गतिविधियां ऐसे भविष्य की ओर संकेत करती हैं जब मानवीय क्षमताएं और मशीनी क्षमताएं मिल-जुलकर परिणाम दे रही होंगी। तब ये ऐसे काम भी कर सकेंगी जो वर्तमान में हमारी कल्पना से परे हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ‘कामकाज के भविष्य’ को पुनर्परिभाषित करने में लगी हुई है। दस्तावेज बनाने और सामग्री (कन्टेन्ट) तैयार करने के मामले में चैटबॉट-जन्य क्रांति होने वाली है।
हाल ही में ‘माइक्रोसॉफ्ट 365’ आफिस एप्लिकेशन में ‘कोपायलट’ नामक आभासी सहायक के एकीकरण की घोषणा की गई। यह जीपीटी 4 पर आधारित एक शक्तिशाली जेनरेटिव एआई है। यह चैटबॉट वर्ड, एक्सेल, आउटलुक और पावरप्वाइंट सहित कई एप्लिकेशनों में स्वचालित ढंग से कई काम कर सकता है। वह वर्ड में आपके प्रस्ताव का पहला ड्राफ़्ट तैयार कर सकता है, आनलाइन चर्चाओं का सारांश तैयार कर सकता है और खास-खास बिंदुओं की सूची बना सकता है। वह आउटलुक में आए ईमेल संदेश का उत्तर तैयार कर सकता है, भले ही आप चाहें तो उसे संपादित कर लें।
पावरप्वाइंट में यह आभासी सहायक आपके पिछले दस्तावेजों से प्रासंगिक सामग्री शामिल करके प्रस्तुतियां बनाने में सहायता कर सकता है। एक्सेल में वह रुझानों का विश्लेषण कर सकता है और चंद सेकंड में आकर्षक चार्ट तथा दूसरी तरह के विजुअल तैयार कर सकता है। इस बीच, गूगल ने भी जीमेल और गूगल डॉक्स (गूगल का आनलाइन आफिस सूट) में जेनरेटिव एआई का उपयोग शुरू कर दिया है।
माइक्रोसॉफ्ट और गूगल, अपनी सर्च एप्लीकेशनों में नई क्षमताओं को पेश कर रहे हैं, जिनमें आम बातचीत की भाषा में सवाल पूछना शामिल है। हमने अब तक कीवर्ड-आधारित इंटरनेट सर्च का उपयोग किया है, लेकिन अब संवादात्मक इंटरनेट खोज का एक युग शुरू हो गया है।
उधर कैनवा नामक ग्राफिक प्लेटफॉर्म पर मैजिक एडिट (जादुई संपादन) की सुविधा आ गई है जिसके तहत चित्रों में काट-छांट करने या उन्हें रूपांतरित करने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ती बल्कि लिखकर निर्देश देने से ही काम हो जाता है। एडोबी ने भी फायरफ्लाई नामक वर्चुअल सहायक बनाया है जो आपके निर्देश पर खुद चित्र और वीडियो बना सकता है।
एक क्षेत्र जो बहुत बड़े रूपांतरण से गुजर रहा है, वह है इंटरनेट सर्च का क्षेत्र। माइक्रोसॉफ्ट और गूगल, अपनी सर्च एप्लीकेशनों में नई क्षमताओं को पेश कर रहे हैं, जिनमें आम बातचीत की भाषा में सवाल पूछना शामिल है। हमने अब तक कीवर्ड-आधारित इंटरनेट सर्च का उपयोग किया है, लेकिन अब संवादात्मक इंटरनेट खोज का एक युग शुरू हो गया है।
अब हम सर्च इंजन के साथ चैट कर सकते हैं और पूछ सकते हैं कि ‘दिल्ली के आसपास के सबसे लोकप्रिय 10 पर्यटन स्थलों के बारे में बताओ।’ माइक्रोसॉफ्ट का बिंग सर्च इंजन चैटजीपीटी और माइक्रोसॉफ्ट के अपने प्रोमेथियस एआई मॉडल का उपयोग करता है। नतीजा यह कि बिंग चैट आपके सवालों के जवाब कुछ पैराग्राफ में देता है, जैसे किसी इंसान ने जवाब लिखा हो।
आप चाहें तो इसके भीतर से कोई बिंदु उठाकर फिर सवाल करें, वह फिर इसी तरह जवाब दे देगा। आप उससे पूछिए कि यह एआई के साथ आपका वातार्लाप है जो ऐसे एप्लीकेशनों में भी आ चुका है जिनका हम दैनिक इस्तेमाल करते हैं। और यह पारंपरिक सर्च जैसा नहीं है। अब तक तो तमाम सर्च इंजन अपने परिणामों की कई पेज लंबी सूची और लिंक ही पेश किया करते थे।
बिंग माइक्रोसॉफ़्ट का सर्च इंजन है जिसमें एआई आधारित चैट की सुविधा जोड़ी जा चुकी है। गूगल भी ‘बार्ड’ नामक चैटबॉट ला रहा है। ये सभी गतिविधियां ऐसे भविष्य की ओर संकेत करती हैं जब मानवीय क्षमताएं और मशीनी क्षमताएं मिल-जुलकर परिणाम दे रही होंगी। तब ये ऐसे काम भी कर सकेंगी जो वर्तमान में हमारी कल्पना से परे हैं। हालांकि इससे संदेह भी पैदा होता है कि यही काम करने के लिए आज हमें पेशेवरों की आवश्यकता है और आने वाले समय में उनका क्या होगा।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में ‘निदेशक- भारतीय भाषाएं और
सुगम्यता’ के पद पर कार्यरत हैं)
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