तमिलनाडु में स्टालिन की सरकार है। स्टालिन द्रमुक के नेता हैं। द्रमुक अनीश्वरवादी है। तमिलनाडु में दक्षिण के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा हिन्दू रहते हैं। उन पर अब ऐसे मुख्यमंत्री का शासन है जिसकी ईश्वर या हिन्दू धर्म में कोई आस्था ही नहीं है। स्टालिन की सरकार में मंदिरों की देखरेख का जिम्मा हिन्दू धार्मिक और धर्मादा विभाग देखता है, या कहें ‘हिन्दू मंदिरों के पैसे पर हाथ करता है लेकिन रखरखाव व संरक्षण की अनदेखी करता है’। ऐसे विभाग के तहत गत कुछ समय से हिन्दू मंदिर अनीश्वरवादियों और गैर—हिन्दुओं की नफरत के शिकार होते आ रहे हैं। अभी परसों सोशल मीडिया पर एक चित्र और वीडियो जारी हुआ था जिसमें वहां एक प्राचीन मंदिर परिसर में कुछ मजहबी तत्व मांस भक्षण करते देखे जा सकते थे। अब एक और दुखद घटना घटी है। तिरुप्पूर के सुप्रसिद्ध अविनाशीलिंगेश्वर मंदिर में तोड़फोड़ की गई है।
तिरुप्पूर का यह अविनाशीलिंगेश्वर मंदिर बहुत भव्य है और प्रदेश ही नहीं, देश भर में बहुत पूज्य है। यहां श्रद्धालुओं की अच्छी—खासी भीड़ लगी रहती है। गत सोमवार रात को मंदिर बंद होने के बाद, कुछ संदिग्ध तत्वों ने परिसर में रखीं देव प्रतिमाओं को खंडित किया, मंदिर की गुल्लक को तोड़कर उसमें से भेंट—न्योछावर चुराने की कोशिश की। मंगलवार सुबह जब पुजारियों ने मंदिर का ताला खोलकर अंदर प्रवेश किया तो वे दंग रह गए। आंगन में भग्न प्रतिमाएं पड़ी थीं। पूजा आदि का सामान छितरा पड़ा था, गुल्लक अधटूटी हालत में थी। मंदिर के दक्षिणी प्रवेश द्वार के पास रखा कलशम् भी क्षतिग्रस्त पड़ा था।पुजारियों ने फौरन स्थानीय पुलिस को सूचित किया। पुलिस और ‘मामले की गहन छानबीन’ का आश्वासन देकर चली गई।
स्थानीय हिन्दू समाज और हिन्दू संगठन इस घटना को लेकर अत्यंत क्रोधित हैं। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने मांग की है कि मामले में उचित कार्रवाई की जाए और दोषियों को फौरन गिरफ्तार किया जाए। इसी दिन यानी 23 मई की दोपहर मंदिर पर हुए इस हमले के विरोध में गुस्साए हिन्दू संगठनों ने अविनाशीलिंगेश्वर मंदिर के सामने विरोध प्रदर्शन किया। शिकायत मिलने पर पुलिस के अलावा जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने मंदिर का दौरा किया। मौके से एक संदिग्ध को पकड़ा गया है।
जब पुजारियों ने मंदिर का ताला खोलकर अंदर प्रवेश किया तो वे दंग रह गए। आंगन में भग्न प्रतिमाएं पड़ी थीं। पूजा आदि का सामान छितरा पड़ा था, गुल्लक अधटूटी हालत में थी। मंदिर के दक्षिणी प्रवेश द्वार के पास रखा कलशम् भी क्षतिग्रस्त पड़ा था।पुजारियों ने फौरन स्थानीय पुलिस को सूचित किया। पुलिस और ‘मामले की गहन छानबीन’ का आश्वासन देकर चली गई।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर ट्वीट किया है। उनमें उन्होंने बताया है कि ‘सोमवार की रात, असामाजिक तत्वों ने तिरुप्पूर के अविनाशीलिंगेश्वर मंदिर में चोरी छिपे घुसकर देव मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया’।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का कहना है कि लोगों के धैर्य की एक सीमा होती है। अगर राज्य में मंदिरों पर इस तरह हमले होते रहे तो इसका जो भी परिणाम होगा उसके लिए डीएमके सरकार ही जिम्मेदार होगी।
उन्होंने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए ट्विटर पर लिखा, “कल मध्यरात्रि, असामाजिक तत्वों ने तिरुपुर अविनाशलिंगेश्वर मंदिर में प्रवेश किया और सामी मूर्तियों को तोड़ दिया और क्षतिग्रस्त कर दिया।”
उन्होंने राज्य में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि डीएमके के सत्ता में आने के बाद, मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, हिन्दुओं की आस्था को ठेस पहुंचाई जा रही है। लेकिन, ऐसी घटनाओं के असली दोषियों में से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।
हिन्दू संगठनों द्वारा ऐसी घटनाओं में पुलिस और जांच एजेंसियों के ‘किसी के इशारे पर’ काम करने का भी संदेह जताया जा रहा है। कारण यह है कि जब भी कोई ऐसी किसी घटना के आरोप में पकड़ा जाता है उसे फौरन ‘मानसिक रूप से रुग्ण’ बताकर अपराध को कम करके दिखाने की कोशिश की जाती है। अगर राज्य सरकार का संबंधित विभाग मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता तो फिर ऐसे विभाग को रखने का औचित्य क्या है? क्या यह सिर्फ मंदिरों की संपत्ति को लूटने का ही तो इंतजाम नहीं है!
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का यह भी कहना है कि लोगों के धैर्य की एक सीमा होती है। अगर राज्य में मंदिरों पर इस तरह हमले होते रहे तो इसका जो भी परिणाम होगा उसके लिए डीएमके सरकार ही जिम्मेदार होगी।
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