उत्तराखंड सरकार में हलचल है। राज्य सरकार को एक सर्वेक्षण से जानकारी मिली है कि मुस्लिम आबादी ने एक योजनाबद्ध तरीके से नदियों, तालाबों और वन-सिंचाई की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है।
असम के बाद मुस्लिम आबादी के सबसे तेज गति से बढ़ने के आंकड़े आने के बाद उत्तराखंड सरकार में हलचल है। राज्य सरकार को एक सर्वेक्षण से जानकारी मिली है कि मुस्लिम आबादी ने एक योजनाबद्ध तरीके से नदियों, तालाबों और वन-सिंचाई की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। आंकड़ों पर गौर करें तो यह संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में हिमालय और शिवालिक पहाड़ियों से निकलने वाली 23 नदियों के किनारे अवैध रूप से कब्जे हुए हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों पुष्कर सिंह धामी सरकार के बुलडोजरों ने हिमाचल सीमा पर देहरादून के ढकरानी क्षेत्र में जलविद्युत विभाग की नहर किनारे की जमीन पर बने सात सौ मकानों को ध्वस्त कर दिया था और अरबों रुपए की सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त किया था।
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक ड्रोन सर्वे में कुमायूं मंडल में शारदा, नंधौर, गौला, दाबका, कोसी नदी तो वहीं गढ़वाल मंडल में मालण, कालसी, गंगा, टोंस, खो नदी, सुखरो, शीतला, आसन, रिस्पना, पौंनधई, चौरखाला नाला, स्वर्णा, जाखन, सहस्रधारी, मालदेवता और आसन नदियों के किनारे बरसाती नाले तक के पास अवैध कब्जे होने की पुष्टि हुई है।
‘‘नहीं करेंगे अतिक्रमण को बर्दाश्त’’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ‘मजार जिहाद’ के साथ-साथ ‘जमीन जिहाद’ पर भी बुलडोजर चलाने की बात कहते हैं। अतिक्रमण मुक्त अभियान में जहां 350 से ज्यादा अवैध मजारें ध्वस्त हुई हैं वहीं सौ हैक्टेयर से अधिक वन भूमि को कब्जे से मुक्त करवाया गया है। ऐसे में ‘मजार जिहाद’ के खिलाफ उनकी कार्रवाई ने न केवल उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति से अवगत कराया है बल्कि स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार किसी भी तरह के अतिक्रमण को बर्दाश्त करने वाली नहीं।
वे कहते हैं कि ‘हमने उत्तराखंड में वन भूमि, नदी श्रेणी, जल स्रोतों और वन भूमि पर बने तालाबों पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए ड्रोन सर्वे करवा लिया है। इस दौरान 23 नदियों के किनारे अतिक्रमण की पुष्टि हुई है। एक अनुमान के अनुसार इन नदियों के किनारे करीब दस लाख अवैध कब्जेदार जमे बैठे हैं। यह आबादी बाढ़ आने की दशा में ‘डेंजर जोन’ में भी है।
हमें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्देश मिले हुए हैं कि इन नदियों के किनारे से अवैध बसावट और अतिक्रमण पर कार्रवाई की जाए। ऐसे में सभी जिलों में जिलाधिकारियों के नेतृत्व में स्पेशल टास्क फोर्स बना दी गई है। नोडल अधिकारी इस बारे में प्रतिदिन की कार्य प्रगति रिपोर्ट देंगे। साथ ही मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि अतिक्रमण मुक्त अभियान किसी मत-मजहब के विरोध में नहीं है।
हकीकत यह है कि सरकार की अरबों की संपत्ति कब्जे में हैं, जिसे हमें मुक्त करवाना है। इसलिए इस मामले में किसी भी तरह की राजनीतिक दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसा सुनिश्चित किया जा रहा है कि जिस अधिकारी के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण होगा, यदि वह उसे संरक्षित करेगा या नहीं हटाएगा तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।
हमारी सरकार एक कानून लाने जा रही है जिसके तहत सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने पर कब्जेदार को जेल-जुर्माना भरना पड़ेगा। साथ ही अवैध कब्जेदारों के विरुद्ध गुंडा एक्ट, गैंगस्टर और रासुका जैसे सख्त कानून लगाए जाएंगे’।
बढ़ती मुस्लिम आबादी
जानकारी के मुताबिक बिहार, झारखंड एवं उत्तर प्रदेश से जो मजदूर नदियों में खनन करने आते थे, वे बरसात में खनन बंद होने पर वापस चले जाते थे। वे जितने दिन रहते थे तब तक उनका यहां अस्थाई झोंपड़ी में निवास होता था। लेकिन ये लोग पिछले पंद्रह साल से वापस नहीं गए एवं आसपास की जमीन कब्जा कर यहीं पर अवैध रूप से बस गए। इनमें 90 फीसदी मुस्लिम हैं।
जानकार मानते हैं कि जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे राज्य में जनसंख्या असंतुलन बढ़ता जा रहा है। राज्य के चार मैदानी जिलों- देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल में मुस्लिम आबादी 35 फीसदी से ज्यादा हो गई है, जिसकी वजह से यहां जनसांख्यिकी परिवर्तन साफ दिखाई दे रहा है। यह आबादी पहाड़ी जिलों जैसे पौड़ी, उत्तरकाशी, चंपावत जिलों में भी तेजी से बढ़ती जा रही है।
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