नई दिल्ली। हरचरण सिंह भारत से सऊदी अरब गए थे काम करने के लिए। वहां कंपनी ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया। काम कराया और वेतन भी नहीं दिया। इसके बाद उन्हें झूठे केस में जेल में डाल दिया गया। भारत के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने उनकी रिहाई की मांग की है।
सऊदी अरब के खर्ज रियाद की अल-इस्कान जेल में कैद पंजाब निवासी हरचरण सिंह की जल्द से जल्द रिहाई एवं भारत वापसी के मामले को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है। उन्होंने विदेश मंत्रालय से अपील की है कि वह सऊदी अरब सरकार के सामने इस मामले को उठाएं और उनकी रिहाई के लिए परिस्थितियों को अनुकूल बनाएं।
इकबाल सिंह लालपुरा ने सऊदी अरब से हरचरण सिंह के मामले में राजप्रीत कौर की ओर से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को एक ई-मेल के माध्यम से किए गए अनुरोध के बाद यह कदम उठाया है। आयोग के सलाहकार प्रो. सरचंद सिंह ने अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के हवाले से बताया कि हरचरण सिंह को जुलाई 2019 में 3 साल का वर्क वीजा दिया गया था, जो जुलाई 2022 में समाप्त हो गया। वर्क वीजा खत्म होने के बाद जिस कंपनी में वह काम कर रहे थे, उसने न तो काम की अवधि बढ़ाई और न ही कोई वेतन दिया और बिना वेतन के काम करने के लिए मजबूर किया।
उनका कहना है कि कंपनी ने उनका पासपोर्ट भी नहीं लौटाया, जिसकी अवधि 28 नवंबर, 2022 को समाप्त हो रही थी। इसलिए हरचरण सिंह ने भारत लौटने की कोशिश की। हालांकि उन्हें 15 दिसंबर, 2022 को सऊदी अरब के सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 3 महीने की कैद हुई और एक सैन्य जेल भेज दिया गया। कैद पूरी होने के बाद 18 मार्च, 2023 को उन्हें रियाद सिटी पुलिस को सौंप दिया गया। शहर की पुलिस ने उनके खिलाफ चोरी का झूठा मामला दर्ज किया और उसे अल-इस्कान जेल नंबर 2 खर्ज रियाद, सऊदी अरब भेज दिया, जहां वह अभी भी कैद हैं। वर्तमान में उनकी कंपनी का मालिक धमकी दे रहा है कि या तो वह अपनी कंपनी में बिना वेतन के काम करें या कारावास का सामना करें। कंपनी के मालिक ने मूल पासपोर्ट अभी तक जब्त कर रखा है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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