महाराष्ट्र में लोकसभा की सीटों के बंटवारे को लेकर महाविकास आघाड़ी सरकार के सहयोगी दलों में मतभेद दिखने लगे हैं। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की पार्टी ने राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 20 सीटों पर अपनी दावेदारी करना शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार महाविकास आघाड़ी के तीनों सहयोग दलों ने अभी कुछ पूर्व ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ लडऩे का निर्णय लिया था। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में तीनों दलों को एक समान सीटें मिलने की चर्चा हुई थी, हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा था कि अभी तक इस संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने मीटिंग के अंदर हुई बात को मीडिया तक पहुंचने पर नाराजगी भी जताई है।
इसके बाद शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राऊत ने कहा कि उनके वर्तमान में 19 सांसद हैं। इनमें महाराष्ट्र में 18 और दादरा नगर हवेली सीट पर एक है । उनकी पार्टी किसी भी तरह 20 सीटों से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी। संजय राऊत के इस बयान से महाविकास आघाड़ी में मतभेद उभर कर सामने आ गया है।
राकांपा नेता अजीत पवार ने कहा कि राकांपा राज्य में इस समय सबसे बड़ी पार्टी है, इसलिए कांग्रेस और शिवसेना को राकांपा को बड़े भाई की हैसियत से देखना चाहिए। इस पर संजय राऊत ने कहा कि चुनाव में सब पता चल जाएगा कौन बड़ा भाई है और कौन छोटा भाई। वहीं नाना पटोले ने कहा कि कांग्रेस को बड़ा और छोटा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। कांग्रेस जब बड़ी पार्टी थी तो कभी भी घमंड नहीं किया था।
फिलहाल तीनों सहयोगी दलों में चल रही नोकझोंक पर अभी तक शरद पवार ने कोई बयान नहीं दिया है।
दरअसल, महाविकास आघाड़ी के तीनों सहयोगी दलों ने हर पार्टी के दो सदस्यों की छह लोगों की समिति सीटों के बंटवारे पर चर्चा के लिए गठित की है। इस समिति की बैठक से पहले ही तीनों दलों में हो रही तकरार को महाविकास आघाड़ी के सेहत के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है।
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