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नकली दवाओं पर नकेल

नकली दवाओं के कारोबार को रोकने के लिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि अब सभी दवाइयों पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा। इससे पता चलेगा कि कौन-सी दवा नकली और कौन असली है

by पूजा गुप्ता
May 18, 2023, 04:10 pm IST
in भारत, स्वास्थ्य
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नकली दवाइयां अब छोटी-मोटी नहीं रही कि कोई कुछ बना कर बेच दे। इसका बहुत बड़ा कारोबार है। हालात तो कहते हैं कि इस तरह का दूसरा अपराध अगर कोई जानकारी में है तो वह नशीली दवाओं का धंधा ही है।

पूरी दुनिया में नकली दवाओं का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। खतरनाक नतीजों के बावजूद यह बड़े मुनाफे का कारोबार है। चारकोल से बनी दर्द निवारक दवाइयां, जहरीले आर्सेनिक वाली भूख मिटाने की दवा और नपुंसकता का इलाज करने के लिए दवा के नाम पर बेचा जाता सादा पानी। हर साल अंतरराष्ट्रीय अपराध जगत नकली दवाइयां बेच कर अरबों रुपए कमा रहा है। यह दवाइयां इंटरनेट के जरिए, काउंटर से या फिर गैर-कानूनी तरीके से बेची जाती हैं। आम तौर पर ये दवाइयां कोई असर नहीं करतीं लेकिन कई बार घातक होती हैं और जान भी ले सकती हैं। अनुमान है कि केवल अफ्रीका में करीब 7,00,000 लोग मलेरिया या टीबी की नकली दवा इस्तेमाल करने के कारण मारे जाते हैं।

भारत और जर्मनी समेत दुनिया के तमाम देशों में नकली दवाओं का कारोबार बढ़ रहा है। बीते साल के पहले छह महीने में उत्पाद विभाग ने 14,00,000 नकली दवा की गोलियां, पाउडर और नमूने जब्त किए हैं। 2012 की तुलना में यह करीब 15 प्रतिशत ज्यादा है।

बहुत सी नकली दवाइयां पूर्वी एशियाई देशों से आती हैं। जर्मनी का फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डा यूरोप में सामान पहुंचाने का सबसे बड़ा केंद्र है। हर साल हवाई रास्ते से फ्रैंकफर्ट आने वाले करीब 90 टन सामान की तलाशी ली जाती है। सामान को पहले ढुलाई के लिए की गई पैकिंग से पकड़ने की कोशिश होती है। इनकी खास पैकिंग या फिर भेजने वाले की जगह कोई संदिग्ध नाम हो सकता है। अगर कोई पत्र या पार्सल संदिग्ध हो तो फिर इसे छानबीन के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहां इसकी हर सिरे से पूरी जांच की जाती है।

नकली दवाइयां अब छोटी-मोटी नहीं रही कि कोई कुछ बना कर बेच दे। इसका बहुत बड़ा कारोबार है। हालात तो कहते हैं कि इस तरह का दूसरा अपराध अगर कोई जानकारी में है तो वह नशीली दवाओं का धंधा ही है। इसकी वजह भी बहुत साफ है। इस धंधे में पैसा बहुत है। वास्तव में नशीली दवाओं के कारोबार से भी ज्यादा। वियाग्रा जैसी दवा के नकली कारोबार में 25,000 फीसदी का फायदा होता है। मुनाफे का यह आंकड़ा नकली कोकेन के धंधे से कम से कम 10 गुना ज्यादा है।

मलेरिया, दिल की बीमारी, रक्तचाप यहां तक कि एचआईवी के इलाज के लिए भी अवैध रास्ते से दवा खरीदी जा सकती है। कई बार यह दवा असली न होकर नकली होती है। इसके अलावा इन दवाओं को एक साथ बहुत असुरक्षित तरीके से रखा जाता है। नकली दवा बनाने वाले अपनी प्रयोगशाला में बहुत कम ध्यान रखते हैं और प्रयोगशाला के नमूने बताते हैं कि कई बार इनमें चूहे की लेड़ी जैसी चीजें भी मिली होती हैं।

इन नकली दवाओं का खतरा सबसे ज्यादा विकासशील देशों में है, जहां दवाओं के कारोबार पर नियम-कानून का पहरा बहुत मामूली या है ही नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में नकली दवाओं का व्यापार बहुत तेजी से फैलता जा रहा है। गौरतलब है कि कई देशों में इन नकली दवाओं का कारोबार कुल मेडिकल कारोबार का 10 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

2019 में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में बेची जाने वाली दवाओं में 20 प्रतिशत तक नकली थी। जबकि 2018 में सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने अनुमान लगाया कि भारतीय बाजार में 4.5 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता घटिया है। एक अनुमान के अनुसार कोरोना काल (2020-2021) में भारत में नकली मेडिकल उत्पादों की घटनाओं में लगभग 47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

नकली दवाओं के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार अब दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने जा रही है। सरकार ने सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं के लिए ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ व्यवस्था शुरू करने की योजना बनाई है। पहले चरण में सबसे अधिक बिकने वाली 300 दवाइयां अपने पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड प्रिंट करेंगी, जिसे स्कैन करने से दवा के बारे में असली व नकली होने की जानकारी मिल जाएगी। 

भारत विश्वस्तरीय दवाओं का उत्पादन करता है। इसलिए देश को ‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में जाना जाता है। अफ्रीका में जेनेरिक दवाओं की कुल मांग का 50 प्रतिशत भारत से जाता है। इतना ही नहीं, अमेरिका की जरूरत की 40 प्रतिशत और और यूके की 25 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति भारत करता है। भारत दुनिया की कुल वैक्सीन का 60 प्रतिशत और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनिवार्य टीकाकरण अभियान में लगने वाली कुल वैक्सीन का 70 प्रतिशत उत्पादन करता है।

भारत के अलावा 7 प्रतिशत इजिप्ट की और 6 प्रतिशत चीन की नकली दवाओं के बाजार में हिस्सेदारी है। इसके अलावा, हर साल 3000 से ज्यादा मौतें दुनिया भर में नकली दवाओं के कारण होती हैं। 22 नवंबर, 2022 को हिमाचल में राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने गुप्त सूचना के आधार पर नकली दवाओं को लेकर छापेमारी की थी। इसमें करोड़ों की कीमत की नकली दवाइयां, कच्चा माल, मशीनरी, नामी कंपनियों के ब्रांड नाम से प्रिटेंड फायल पेपर, कार्टन व स्टीकर कब्जे में लिए गए थे। जब्त की गई दवाओं में सिप्ला, जायडस कैडिला, यूएसवी प्राइवेट लिमिटेड, आईपीसीए लैबोरेट्रीज, मैकलियोड्स फार्मास्यूटिकल्स, सिग्नोवा हेल्थकेयर, राइन लाइफ साइंसेस, हिमार इंडिया, मार्टिन एंड हैरिस और टोरेंट फार्मास्युटिकल्स जैसी प्रसिद्ध कंपनियों के नाम से प्रमुख निर्मित दवा ब्रांड्स शामिल हैं।

नकली दवाओं के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार अब दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने जा रही है। सरकार ने सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं के लिए ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ व्यवस्था शुरू करने की योजना बनाई है। पहले चरण में सबसे अधिक बिकने वाली 300 दवाइयां अपने पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड प्रिंट करेंगी, जिसे स्कैन करने से दवा के बारे में असली व नकली होने की जानकारी मिल जाएगी।

Topics: जायडस कैडिलाPainkillersवैक्सीनRhine Life Sciencesयूएसवी प्राइवेट लिमिटेडToxic ArsenicHeart DiseaseHimar Indiaआईपीसीए लैबोरेट्रीजIndiaCounterfeit Medicine for Malaria or TBनकली दवाइयांMartin & Harris and Torrent Pharmaceuticalsमैकलियोड्स फार्मास्यूटिकल्सBlood Pressureदर्द निवारक दवाइयांQR Codeसिग्नोवा हेल्थकेयरHIVजहरीले आर्सेनिकWorld Health Organisationराइन लाइफ साइंसेसCiplaमलेरिया या  टीबी की नकली दवाCracking down on counterfeit drugsहिमार इंडियाZydus Cadilaदिल की बीमारीमार्टिन एंड हैरिस और टोरेंट फार्मास्युटिकल्सकेंद्र सरकारUSV Pvt Ltdरक्तचापक्यूआर कोडCentral GovernmentIPCA Laboratoriesएचआईवीभारत दुनियविश्व स्वास्थ्य संगठनMcLeods Pharmaceuticalsसिप्लाCounterfeit MedicinesvaccineSignova Healthcare
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