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पंजवाड़ पर खामोश क्यों पाकिस्तान!

आईएसआई के संरक्षण में रह रहे मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक खालिस्तान कमांडो फोर्स के सरगना परमजीत सिंह पंजवाड़ की उसकी सोसाइटी में घुसकर हत्या कर दी गई। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया से लेकर पाकिस्तानी सरकार तक सब इस पर ऐसे चुप्पी साध गए, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
May 17, 2023, 06:52 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
जौहर टाउन का सैटेलाइट मैप। परमजीत सिंह पंजवाड़ (प्रकोष्ठ में)

जौहर टाउन का सैटेलाइट मैप। परमजीत सिंह पंजवाड़ (प्रकोष्ठ में)

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परमजीत सिंह पंजवाड़ आतंकवादी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) का प्रमुख था। उसका नाम वर्ष 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में आठवें नंबर पर था। इस सूची में बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) प्रमुख वाधवा सिंह बब्बर का नाम भी है।

गत दिनों मई में लाहौर के जौहर टाउन की सनफ्लावर सोसाइटी में सुबह 6 बजे बाइक पर आए दो लोग सोसाइटी में घुसकर परमजीत सिंह पंजवाड़ पर फायरिंग करते हैं। परमजीत सिंह पंजवाड़ की मौके पर ही मौत हो जाती है। वह पिछले 33 वर्ष से, माने 1990 से पाकिस्तान में मलिक सरदार सिंह के नाम से रह रहा था। लाहौर का जौहर टाउन वह पॉश इलाका है जहां हाफिज सईद की भी एक रिहाइश है, और अरबों रुपये के इनामी हाफिज सईद को अमेरिका से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक ने आतंकवादी घोषित किया हुआ है।

परमजीत सिंह पंजवाड़ आतंकवादी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) का प्रमुख था। उसका नाम वर्ष 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में आठवें नंबर पर था। इस सूची में बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) प्रमुख वाधवा सिंह बब्बर का नाम भी है।

परमजीत सिंह पंजवाड़ पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए पंजाब में ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में शामिल था। उसका दूसरा मुख्य काम आईएसआई के इशारों पर पंजाब में आतंकवाद का दौर फिर से शुरू करने की कोशिश करना था। नशीली दवाओं की तस्करी के अलावा वह नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी भी करवाता था और थापर इंजीनियरिंग कॉलेज, पटियाला के 18 छात्रों की हत्या सहित पांच नृशंस अपराधों का आरोपी था। पंजवाड़ पर चंडीगढ़ के सेक्टर 34 में 1999 के बम विस्फोट का ‘मास्टरमाइंड’ होने का भी आरोप है। वह पाकिस्तान में आतंकवादियों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था कराता था।

वह अल्पसंख्यकों को भारत के खिलाफ भड़काने के उद्देश्य से रेडियो पाकिस्तान पर विषैले अलगाववादी प्रचार कार्यक्रमों के प्रसारण में भी शामिल रहता था। पंजवाड़ को आईएसआई ने पूर्व उग्रवादियों, स्लीपर सेल्स और जमानत पर बंद लोगों को भी उकसाने और एक साथ लाने का काम सौंपा था। परमजीत सिंह पंजवाड़ के नेतृत्व में केसीएफ अक्टूबर 1988 में एक बम हमले में, फिरोजपुर में 10 राय सिखों की हत्या में और मेजर जनरल बीएन कुमार की हत्या में शामिल रहा था।

पाकिस्तानी मीडिया की खामोशी
आईएसआई के लिए इतने समय से काम कर रहे आतंकवादी की मौत पाकिस्तानी मीडिया के लिए कोई खास खबर नहीं थी। पाकिस्तानी मीडिया ने इसे सरदार सिंह मलिक नामक एक पाकिस्तानी सिख की हत्या के तौर पर वैसे ही दिखाया, जैसे कि किसी सिख को मारा जाना पाकिस्तान के लिए एक नियमित बात होती है। पंजवाड़ पर 30 कैलिबर की पिस्तौल से गोलियां दागी गई थीं। उसके साथ उसके गनमैन को भी गोलियां लगीं, कहा यह भी गया कि हमलावरों में से भी एक को गोली लगी है। लेकिन पाकिस्तानी मीडिया में न घायल बंदूकधारी का कोई जिक्र है, न पंजवाड़ के गनमैन का कोई खास जिक्र है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने पंजवाड़ के बेटों को अंतिम संस्कार के लिए पाकिस्तान जाने के लिए वीजा देने से इनकार कर दिया।

जबकि पिछले वर्ष जब पंजवाड़ की पत्नी का सितंबर 2022 को फ्रैंकफर्ट में निधन हो गया था, तब उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए पाकिस्तान लाने की भी अनुमति दी गई थी और 7 अक्टूबर, 2022 को, जब उसने ननकाना साहिब में अपनी पत्नी के लिए भोग समारोह किया था, तो उस समय उसके बड़े बेटे मनवीर सिंह को भी वहां देखा गया था। ऐसे में अब बेटों को न आने देने की बात से संदेह किया जा रहा है कि संभव है कि आईएसआई में पंजवाड़ के संचालकों ने पंजवाड़ को लाहौर की किसी गुमनाम कब्र में दफनाया दिया हो।

झूठ बेपर्दा होने से बचाव
पाकिस्तान की यह मजबूरी भी है। पंजवाड़ के मारे जाने को मीडिया में जितना स्थान मिलता, पाकिस्तान का यह झूठ उतना बेपर्दा होता जाता कि ‘1993 के मुंबई नरसंहार के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसके गुर्गों सहित कोई भी भारतीय भगोड़ा पाकिस्तान में मौजूद नहीं है।’ इसमें से किसी का भी पाकिस्तान के मीडिया में कभी कोई जिक्र नहीं किया जाता है।

ओसामा बिन लादेन की पाकिस्तान में मौजूदगी से भी पाकिस्तान तब तक इनकार करता रहा था, जब तक ओसामा बिन लादेन के शव को अमेरिका ने गहरे समुद्र में दफना नहीं दिया था। उसके बाद पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन कांड को पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों की स्मृति से दफनाने की बहुत कोशिश की। लेकिन अमेरिका अब पाकिस्तान के झांसे में आने के लिए तैयार नजर नहीं आता है। यही स्थिति परमजीत सिंह पंजवाड़ की हुई है। पाकिस्तान ने उसे अपने मकसद से इस्तेमाल करने के बाद एक गुमनाम मौत के हवाले कर दिया।

पुराने गुर्गे से निजात!
लेकिन पंजवाड़ की हत्या को पाकिस्तान इतनी सरलता से रफा-दफा नहीं कर सकेगा। भले ही पंजवाड़ का निशाना भारत रहा हो, लेकिन भारत विरोधी अलगाववादियों के लिए धन जुटाने का उसका नेटवर्क अफगानिस्तान से शुरू होता था, और वहां से हेरोइन लाकर वह अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में उसकी तस्करी करवाता था। रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि हेरोइन तस्करी से मिले डॉलर कंगाल पाकिस्तान के काम आ जाते थे, और बदले में पंजवाड़ को नकली भारतीय मुद्रा थमा दी जाती थी। जाहिर है, ऐसे में पंजवाड़ की हत्या तो दूर, पाकिस्तान उसकी मौजूदगी भी कबूल करने की हिम्मत नहीं कर सकता है।

ओसामा बिन लादेन की पाकिस्तान में मौजूदगी से भी पाकिस्तान तब तक इनकार करता रहा था, जब तक ओसामा बिन लादेन के शव को अमेरिका ने गहरे समुद्र में दफना नहीं दिया था। उसके बाद पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन कांड को पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों की स्मृति से दफनाने की बहुत कोशिश की। लेकिन अमेरिका अब पाकिस्तान के झांसे में आने के लिए तैयार नजर नहीं आता है। यही स्थिति परमजीत सिंह पंजवाड़ की हुई है। 

यही कारण है कि पंजवाड़ की हत्या का पूरा सच सामने आना बहुत आसान नहीं है। रक्षा विश्लेषक इसमें हेरोइन की तस्करी करने वाले विभिन्न गिरोहों की आपसी रंजिश के पहलू से भी इनकार नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि तीन वर्ष पहले खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के हरमीत सिंह को भी लाहौर के बाहरी इलाके में स्थित डेरा चहल गुरुद्वारे के पास गोली मार दी गई थी। माना जाता है कि ड्रग मनी पर नियंत्रण के लिए केएलएफ केएलएफ और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के रंजीत सिंह नीता और पंजवार के बीच चल रही प्रतिद्वंद्विता का नतीजा उसकी हत्या में निकला था। फिर एक बार संभव है कि पंजवाड़ की हत्या हेरोइन तस्करों के गिरोहों की आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण की गई हो।

रक्षा विश्लेषकों को यह भी संदेह है कि चूंकि पंजवाड़ लंबे समय से पाकिस्तान को कोई ‘खास परिणाम’ नहीं दे पा रहा था, (वास्तव में वह पिछले कुछ वर्षों से पूरी तरह निष्क्रिय था) इसलिए वह पाकिस्तान सरकार और आईएसआई के लिए एक बोझ बन गया था। रक्षा सूत्रों का मानना है कि इस समय गैंगस्टर-आतंकवादी लखबीर सिंह संधू उर्फ लांडा और उस जैसे अन्य गुर्गे आईएसआई के ज्यादा नजदीक हैं। ऐसे में यह संभव है कि आईएसआई नए आतंकवादियों के लिए रास्ता साफ करने के लिए पुराने गुर्गोें से निजात पाने की कोशिश कर रही हो।

Topics: घोषित आतंकवादीदाऊद इब्राहिमबब्बर खालसा इंटरनेशनलDawood Ibrahimभारतीय भगोड़ा पाकिस्तानओसामा बिन लादेनPakistani MediaOsama Bin LadenTerrorist Organization Khalistan Commando ForceParamjit Singh PanjwadPrize Hafiz Saeedपाकिस्तानी मीडियाFrom America to United Nationsपरमजीत सिंह पंजवाड़Declared Terroristआतंकवादी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्सBabbar Khalsa Internationalइनामी हाफिज सईदIndian Fugitive Pakistanअमेरिका से लेकर संयुक्त राष्ट्र तकWhy Pakistan Silent on Panjwad!
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