भारत की पहली महिला भारोत्तोलक प्रशिक्षक हंसा मनराल के बारे में जानें सबकुछ

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पंकज चौहान

भारत की पहली महिला भारोत्तोलक कोच हंसा मनराल जिनके मार्गदर्शन में रोमा देवी, कर्णम मल्लेश्वरी, ज्योत्सना दत्ता और अनीता चानू जैसी विश्व प्रसिद्ध महिला वेट लिफ्टरों ने अपने खेल को बेहतर बनाया था। हंसा मनराल भारत की पहली महिला भारोत्तोलक कोच रही हैं। हंसा मनराल के दिशा निर्देशन में ही पहली बार भारतीय भारत्तोलक महिलाओं ने विश्व भारोत्तोलन प्रतियोगिता में 5 रजत और 2 कांस्य पदक जीते थे। चीन में आयोजित एशियाड चैम्पियनशिप में भारतीय महिला टीम ने 3 स्वर्ण, 4 रजत और 14 कांस्य पदक प्राप्त किये थे। 29 सितम्बर सन 2001 को भारत में खेल जगत के सर्वोच्च सम्मान द्रोणाचार्य पुरूस्कार से हंसा मनराल को सम्मानित किया गया था।

हंसा मनराल का जन्म 17 मई 1957 को महेन्द्र सिंह मनराल व लक्ष्मी देवी के घर देवतोला, भातकोट, पिथौरागढ़ मे हुआ था। चार भाई-बहनों वाले इस सामान्य से परिवार में वह सबसे छोटी हैं। हंसा में बचपन से ही साहस व कर्मठता कूट-कूट कर भरी थी। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा भाटकोट के प्राइमरी स्कूल से पास करने के बाद इंटर की परीक्षा राजकीय बालिका इंटर कालेज पिथौरागढ़ से की थी। पिथौरागढ़ डिग्री कॉलेज से हंसा ने स्नातक परीक्षा पास की थी। हंसा खेलकूद में हमेशा अव्वल रहती थीं। पहले वह गोला, चक्का और भाला फेंक जैसे खेलों में हिस्सा लेती थीं। घर में खेल संसाधनों की कमी थी, इसलिए वह गोला फेंक की प्रैक्टिस के लिए गोल पत्थरों का इस्तेमाल करती थीं।

गोला, चक्का और भाला फेंक तीनों खेलों में प्रथम स्थान प्राप्त कर हंसा मनराल ने कुमाऊं चैम्पियन का खिताब जीता था। सन 1979 से सन 1985 तक राष्ट्रीय खेलों में गोला, चक्का और भाला फेंक प्रतियोगिताओं में हंसा मनराल ने 12 स्वर्ण, 4 रजत और 5 कांस्य पदक प्राप्त किये थे। खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर उनको सन 1980 में स्पोर्ट्स कोटे से एफसीआई में नौकरी प्राप्त हुई थी। राष्ट्रीय खेलों के इस मुकाम तक पहुँचने में वह एथलेटिक्स कोच दीवान सिंह का विशेष हाथ मानती रही हैं। सन 1983 में भाला फेंक की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हंसा मनराल के पैर में गंभीर चोट आ गयी थी जिसके कारण कुछ समय के लिये वह खेल से दूर रही थीं।

सन 1985 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता कोयंबटूर में हंसा मनराल ने स्वर्ण पदक जीता, लेकिन लगातार पैर में अधिक दर्द के कारण उन्हें एथलेटिक्स को छोड़ना पड़ा। इसके कुछ समय पश्चात लखनऊ में हंसा मनराल की मुलाक़ात भारोत्तोलन के राष्ट्रीय कोच गोविन्द प्रसाद शर्मा से हुई। गोविन्द प्रसाद शर्मा ने हंसा मनराल को भारोत्तोलन के लिये प्रेरित किया। सन 1985 में हंसा मनराल ने पहली ही बार में लगभग 90 किलोग्राम वजन उठाकर उत्तर प्रदेश भारोत्तोलन प्रतियोगिता जीत ली। सन 1986 से सन 1988 के बीच हंसा मनराल ने 7 नये राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किये। इसके बाद हंसा मनराल बतौर खेल प्रशिक्षक मैदान पर रहीं और वह सफर अब तक जारी है। हंसा मनराल की बेटी भूमिका शर्मा भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की बॉडी बिल्डर हैं। सन 2017 में उनकी पुत्री भूमिका शर्मा ने महज 21 साल की उम्र में बॉडी बिल्डिंग मिस वर्ल्ड का खिताब जीत लिया था। भूमिका शर्मा यह खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला हैं।

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