‘‘2020 में जनवरी के समय काफी ठंड थी। मैं चाय का प्याला लेकर दफ्तर की बाल्कनी में आया, बहुत सुहाना मौसम था, जब मेरी नजर सड़क पर गई तो दंग रह गया। कुछ श्रमिक भीषण ठंड में इधर-उधर भटक रहे थे। उनके लिए यह मौसम किसी संकट से कम नहीं था। मन में चलने लगा कि इनके लिए कुछ करना है।
दरभंगा (बिहार) के रहने वाले चंद्रशेखर मंडल ने 2019 में मास्टर ऑफ कॉमर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के मयूर विहार में बैंक से जुड़ी एक कंपनी में काम करना शुरू किया। वे भी आम लोगों की तरह हर दिन अपने दफ्तर जाते थे। लेकिन उनके दफ्तर के पास ही लेबर चौक पड़ता था, जहां श्रमिकों की भीड़ लगी रहती थी। वे अक्सर देखते थे कि जिन श्रमिकों को काम मिल जाता था, वे चले जाते थे और जिन्हें काम नहीं मिलता था, वे वहीं बैठे रहते थे। वे दोपहर के भोजन के बाद जब भी बाहर निकलते थे उस समय भी वहां बहुत सारे श्रमिक बैठे मिलते थे। यानी ये श्रमिक सुबह से लेकर दोपहर के दो-तीन बजे तक काम की आस में वहां बैठे रहते थे। इन श्रमिकों की स्थिति देखकर चंद्रशेखर के मन में विचार चलने लगा था कि इन लोगों के लिए कुछ किया जाए।
सितंबर,2020 में मैंने नौकरी छोड़ दी और स्टार्टअप के बारे में जानना-समझना शुरू किया। साथ ही कुछ कंपनियों के लिए ऑनलाइन कार्य भी किया। आखिर मैंने दिसंबर, 2022 में www.digitallabourchowk.com बेवसाइट बनाई और एक कार्यालय लेकर सात लोगों की टीम के साथ काम करना शुरू किया। आज हमारी टीम में 20 से ज्यादा लोग हैं। हमने इसकी एप्लीकेशन भी बनाई है।
वे बताते हैं, ‘‘2020 में जनवरी के समय काफी ठंड थी। मैं चाय का प्याला लेकर दफ्तर की बाल्कनी में आया, बहुत सुहाना मौसम था, जब मेरी नजर सड़क पर गई तो दंग रह गया। कुछ श्रमिक भीषण ठंड में इधर-उधर भटक रहे थे। उनके लिए यह मौसम किसी संकट से कम नहीं था। मन में चलने लगा कि इनके लिए कुछ करना है। पहले सोचा कि क्यों न इनके लिए एक बेवसाइट बना दूं, जहां ये अपने आपको रजिस्टर करेंगे। फिर जिनको जहां, जरूरत होगी, वह उन्हें वहां से ले लेगा। लेकिन इसी बीच मार्च, 2020 में लॉकडाउन लग गया। फिर तो पूरे देश ने देखा कि श्रमिक अपने घर जाने के लिए हर जतन करते दिखाई दिए।
मैंने उसी समय एक सर्वे करना शुरू किया। मुझे श्रमिकों की असल समस्याएं समझ में आने लगीं। कई बार काम न मिलने पर कुछ लोग रोने लगते थे। यहीं से मुझे प्रेरणा मिली और सितंबर,2020 में मैंने नौकरी छोड़ दी और स्टार्टअप के बारे में जानना-समझना शुरू किया। साथ ही कुछ कंपनियों के लिए ऑनलाइन कार्य भी किया। आखिर मैंने दिसंबर, 2022 में www.digitallabourchowk.com बेवसाइट बनाई और एक कार्यालय लेकर सात लोगों की टीम के साथ काम करना शुरू किया। आज हमारी टीम में 20 से ज्यादा लोग हैं। हमने इसकी एप्लीकेशन भी बनाई है।
यहां चौक-चौराहे के श्रमिकों को काम मिलता है, तो दूसरा भाग है ‘डिजिटल लेबर चौक बिजनेस’ जहां ग्राहक खुद श्रमिकों को काम पर बुला सकता है। करीब 25,000 लोग हमसे जुड़ चुके हैं, तो वहीं श्रमिकों में पेंटर, बढ़ई, मिस्त्री, प्लंबर, मजदूर, बिजली मैकेनिक, सुपरवाइजर के लिए हमारे पास हजारों काम हैं। इसके लिए हम कामगार से कोई पैसा नहीं लेते। हां, ग्राहक के लिए हमारे अलग-अलग सब्सक्रिप्शन पैकेज हैं। इसमें हम उनको कई तरीके की सुविधाएं देते हैं।
जैसे 100 श्रमिकों का विवरण भेजना, जॉब पोस्ट करना आदि। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि यदि किसी को 100 श्रमिकों की जरूरत होती है, तो वह सब्सक्रिप्शन पैकेज लेता है और कंपनी उसे 100 श्रमिकों की जानकारी भेज देती है। ऐसे ही कोई भी व्यक्ति सब्सक्रिप्शन पैकेज लेकर कंपनी की बेवसाइट में जॉब पोस्ट भी कर सकता है।
करीब 25,000 लोग हमसे जुड़ चुके हैं, तो वहीं श्रमिकों में पेंटर, बढ़ई, मिस्त्री, प्लंबर, मजदूर, बिजली मैकेनिक, सुपरवाइजर के लिए हमारे पास हजारों काम हैं। इसके लिए हम कामगार से कोई पैसा नहीं लेते। हां, ग्राहक के लिए हमारे अलग-अलग सब्सक्रिप्शन पैकेज हैं। इसमें हम उनको कई तरीके की सुविधाएं देते हैं।
चंद्रशेखर का यह काम उत्तर भारत में खासकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में काफी अच्छा चल रहा है, जबकि गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड में भी काम शुरू हो गया है। कोई भी श्रमिक 9654007500 पर फोन करके काम के बारे में पता कर सकता है। डिजिटल लेबर चौक के संस्थापक और सीईओ मंडल का सपना है कि डिजिटल इंडिया के दौर में हमारे प्लेटफॉर्म के जरिए हर हाथ को काम मिले, श्रमिकों का जीवन स्तर ऊंचा हो।
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