पीलीभीत। बाघ, तेंदुए जैसे वन्यजीव जंगल क्षेत्रों से भटककर इंसानी आबादी में पहुंचते हैं तो उनका इंसानों से संघर्ष होता है। जीव-इंसानी टकराव रोकने को यूपी के पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र में लागू किया गया बाघ मित्र मॉडल बेहद सफल साबित हुआ है। वनक्षेत्रों के आसपास रहने वाले युवाओं को बाघ मित्र बनाए जाने के बाद रिजर्व क्षेत्र में संघर्ष की घटनाओं में कमी आई है। इसकी वजह से पीलीभीत के बाघ मित्र मॉडल की गूंज देश के बाकी संरक्षित वन क्षेत्रों में भी हो रही है। तराई के बाघ मित्रों को वन्य जीव मैनेजमेंट सिखाने के लिए बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से बुलावा आया है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) 9 जून 2014 के अस्तित्व में आया था। शुरूआती दिनों से पीलीभीत के संरक्षित वन क्षेत्र में मानव-वन्य जीव संघर्ष के लगातार मामले सामने आ थे और सरकार तक टेंशन में आ गई थी। वन क्षेत्र के आसपास के इलाकों में जीव-इंसान टकराव रोकने को उसके बाद प्रयास शुरू किए गए। पीटीआर और विश्व प्रकृति निधि (डल्ब्यूडल्ब्यूएफ) ने मिलकर जंगल क्षेत्र में रहने वाले जागरूक युवाओं को अपनी योजना में शामिल किया। इसमें हर गांव से एक युवक को बाघ व तेंदुए के पदचिन्ह और उनके व्यवहार के बारे में बताया गया। विशेषज्ञ टीमों ने युवाओं को ये भी सिखाया कि जंगल में वन्यजीव सामने आ जाए तो कैसे व्यवहार करें, ताकि वह हिंसक न हो।
वर्ष 2020 के बाद सभी वालंटियर ने अपनी जिम्मेदारी संभाल ली और उसके बाद से बाघ मित्र का मॉडल खास सफल रहा है। शुरू में पीटीआर क्षेत्र में बाघ मित्रों की संख्या 60 रखी गई थी, जो अब बढ़कर 110 हो गई है। पीटीआर और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ अब महिला बाघ मित्र भी बनाने जा रहे हैं। बाघ मित्रों की सक्रियता का ही परिणाम है कि वन क्षेत्र में स्थानीय लोग बाघ या तेंदुआ दिखने पर हिंसक होने के बजाय इन वन्यजीवों के व्यवहार को समझने लगे हैं। इससे इंसानों पर हमले में घटनाओं में कमी देखी जा रही है।
पीलीभीत के बाघ मित्र मॉडल का कमाल है कि बिजनौर के जंगल में पीलीभीत की टीमों को प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जा चुका है राजस्थान के रणथंभौर से आई टीम भी पीटीआर के बाघ मित्रों वन्य जीव मैनेजमेंट सीख चुकी है। अब पीलीभीत के बाघ मित्रों को बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बुलाया गया है, जहां वे वन्य जीव और इंसानी टकराव रोकने के फंडे सिखाएंगे। पीटीआर अफसरों के मुताबिक, जंगल के आसपास के गांवों से जागरुक युवाओं बाघ मित्र मॉडल में शामिल किया गया है, जो बाकी लोगों से वन्यजीव व पर्यावरण के अधिक जानकारी रखते हैं। इन्हें जंगल वालंटियर भी कहा जाता है। उपनिदेशक पीटीआर नवीन खंडेलवाल बताते हैं कि पीलीभीत से बाघ मित्रों की टीम बिहार जा रही है। हमारे अनुभवों का फायदा वहां के टाइगर रिजर्व को मिलेगा।
टिप्पणियाँ