नैनी स्थित सैम हिग्गिनबॉटम इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंस (शुआट्स) कन्वर्जन का बहुत बड़ा अड्डा है। लगभग 500 बीघा में फैले शुआट्स परिसर में यीशु दरबार और बपतिस्मा स्थान भी है, जहां हिंदुओं का कन्वर्जन कराया जाता है।
उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले के नैनी स्थित सैम हिग्गिनबॉटम इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंस (शुआट्स) कन्वर्जन का बहुत बड़ा अड्डा है। लगभग 500 बीघा में फैले शुआट्स परिसर में यीशु दरबार और बपतिस्मा स्थान भी है, जहां हिंदुओं का कन्वर्जन कराया जाता है। शुआट्स का संचालन सैम हिग्गिनबॉटम एजुकेशनल एंड चैरिटेबल सोसाइटी, प्रयागराज के तहत एक स्वायत्त ईसाई अल्पसंख्यक संस्था करती है।
इस मानित विश्वविद्यालय को विदेशों से चंदे में करोड़ों रुपये मिले, जिसका उपयोग कन्वर्जन, ईसाइयत के प्रचार-प्रसार में किया गया। यही नहीं, शुआट्स में वित्तीय अनियमितता और बड़े पैमाने पर नियुक्तियों में धांधली भी की गई। शुआट्स में वर्षों से लाल बंधु—राजेंद्र बिहारी लाल, विनोद बिहारी लाल और सुनील बिहारी लाल प्रमुख पदों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। ये तीनों आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं, जिनके विरुद्ध दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें कन्वर्जन, विदेशों से फंडिंग, वित्तीय गड़बड़ी, अवैध नियुक्ति और अन्य गंभीर मामले शामिल हैं। पुलिस इन सभी मामलों की जांच कर रही है।
तीनों भाइयों पर 55 आपराधिक मामले
इस मानित विश्वविद्यालय में राजेंद्र बिहारी लाल कुलपति, विनोद बिहारी लाल निदेशक और सुनील बिहारी लाल प्रति कुलपति है। राजेंद्र पर 18 मुकदमे दर्ज हैं। इसके विरुद्ध 1998 में गाली-गलौज व धमकी देने तथा 2011 में आपराधिक षड्यंत्र रचने का मामला दर्ज किया गया। दोनों मामले नैनी थाने में दर्ज किए गए थे। इसके अलावा, प्रयागराज के विभिन्न थानों में इसके विरुद्ध धोखाधड़ी, जालसाजी, एससी-एसटी कानून के तहत मुकदमे दर्ज हैं।
इसके विरुद्ध 2021-22 में भी मुकदमे दर्ज हुए हैं। इसके दूसरे भाई और शुआट्स के निदेशक विनोद पर 33 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें अधिकतर धोखाधड़ी और हेराफेरी के हैं। इसके विरुद्ध भी पहले दो मुकदमे नैनी थाने में ही दर्ज किए गए थे। 2014 के बाद से तो हर साल इसके विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज किए जाते रहे। महत्वपूर्ण बात यह है कि 2018 में नैनी पुलिस ने इस पर गैंगस्टर एक्ट भी लगाया था। वहीं, सुनील, जो कि शुआट्स का प्रति कुलपति है, उस पर भी 2014 से अब तक 9 मामले दर्ज हैं।
कन्वर्जन का अड्डा है शुआट्स
शुआट्स में नियुक्तियों में धांधली के विरुद्ध सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने एसटीएफ में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके अनुसार, नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा 1 जनवरी, 1984 से 2017 के बीच हुआ। जांच के बाद एसटीएफ ने नैनी थाने में इस साल फरवरी में दो मामले दर्ज कराए। पहली प्राथमिकी फर्जी बिल से 5.5 करोड़ रुपये भुगतान करने और दूसरी नियुक्तियों में फर्जीवाड़े को लेकर है। इस मामले में शुआट्स के कुलाधिपति जे.ए. ओलिवर, कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल, तत्कालीन रजिस्ट्रार अजय लॉरेंस, प्रति कुलपति सुनील बिहारी लाल सहित 11 लोगों को नामजद किया गया है। इसमें एक आरोपी की मौत हो चुकी है।
फर्जीवाड़ा प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों में हुआ, जिसकी संख्या 69 बताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें कुलाधिपति के परिवार के 22 लोग शामिल हैं, जिनमें उनकी पत्नी, बेटा, भाई और भतीजा भी हैं। 26 पदों के लिए तो अखबार में विज्ञापन दिए बिना ही भर्ती की गई। फतेहपुर पुलिस अवैध नियुक्तियों की जांच कर रही है।
इससे पूर्व एसटीएफ ने इस साल जनवरी में कुलपति के विरुद्ध फतेहपुर में जबरन कन्वर्जन का मामला भी दर्ज किया था। इसमें उस पर 90 हिंदुओं का कन्वर्जन करने का आरोप है। इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए राजेंद्र बिहारी लाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी। लेकिन राहत नहीं मिली तो वह सर्वोच्च न्यायालय की शरण में गया और अदालत ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
यूजीसी से मिल चुका नोटिस
ब्रिटिश मूल के सैम हिग्गिनबॉटम ने 1910 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद के नैनी इलाके में इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट नाम से एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। 1942 में यह भारत का पहला संस्थान बना, जो कृषि अभियांत्रिकी में डिग्री देता था। इस संस्थान को 2000 में डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। 2009 में बसपा के शासनकाल में इसका नाम बदलकर सैम हिग्गिनबॉटम इंस्टीट्यूट आॅफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंस (शुआट्स) कर दिया गया। 2016 में इस डीम्ड विश्वविद्यालय को पूर्णतया विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया। इसके लिए सपा सरकार ने प्रस्ताव पारित कर शुआट्स अधिनियम बनाया, तभी से इस संस्थान का नाम शुआट्स पड़ा। इसी आधार पर राजेंद्र बिहारी लाल कहता है कि शुआट्स विश्वविद्यालय है, जबकि पूर्ण विश्वविद्यालय की मान्यता यूजीसी ही दे सकता है। इसी कारण 2020 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शुआट्स को अपने नाम के साथ विश्वविद्यालय शब्द का प्रयोग करने से रोक दिया था। इसके लिए नोटिस भी जारी किया गया। हालांकि यूजीसी ने शुआट्स को इतनी छूट दी कि वह चाहे तो डीम्ड-2बी यूनिवर्सिटी या मानित विश्वविद्यालय शब्द का प्रयोग कर सकता है।
इस साल जनवरी में फतेहपुर में सुल्तानपुर के बहाउद्दीन गांव के सर्वेंद्र कुमार ने भी कन्वर्जन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें उसने कहा था कि वह रोजगार के सिलसिले में 25 जनवरी, 2021 को फतेहपुर आया था, जहां उसकी मुलाकात रामचंद्र पासवान से हुई। रामचंद्र अपने गांव में चंगाई सभा करता था। रामचंद्र नौकरी दिलाने के बहाने उसे देवीगंज स्थित चर्च में ले गया और पादरी से भेंट कराई। पादरी उसे शुआट्स ले गया। वहां राजेंद्र बिहारी लाल और विनोद बिहारी लाल ने मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा, शुआट्स में नौकरी और एक सुंदर लड़की से उसका विवाह कराने का लालच दिया।
साथ ही, कहा कि यदि वह ईसाई बन जाएगा तो 15,000 रुपये और अन्य उपहार भी मिलेंगे। लालच में आकर सर्वेंद्र कन्वर्जन के लिए तैयार हो गया। लेकिन बाद में उसे गलती का अहसास हुआ और उसने प्राथमिकी दर्ज कराई। इसमें कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल, प्रति कुलपति सुनील बिहारी लाल, निदेशक (प्रशासन) विनोद बिहारी लाल, प्रति कुलपति (अकादमिक) जोनाथन लाल, तत्कालीन रजिस्ट्रार अजय लॉरेंस, डीन (फिल्म एवं जन संचार) स्टीफन दास, प्रोफेसर डेरिक डेनिस, पादरी सहित 10 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। फतेहपुर पुलिस ने 2 जुलाई, 2022 को रामचंद्र व उसकी पत्नी को गिरफ्तार किया था।
‘‘2010 के आस-पास की बात होगी। मैं नैनी थाने की एग्रीकल्चर पुलिस चौकी प्रभारी तैनात हुआ तो शुआट्स का एक गार्ड मुझे बुलाने आया। कुछ देर बाद वह दोबारा बुलाने आया और कहने लगा कि आकर मिल लीजिए। तब मैंने उससे पूछा कि क्या बात है? उसने बताया कि शुआट्स के निदेशक विनोद बिहारी लाल बुला रहे हैं। जो भी चौकी प्रभारी यहां तैनात होता है, उनसे मिलने जाता है। इसके बाद मैंने गार्ड से कहा कि विनोद बिहारी लाल को कह दो कि मैंने उसको बुलाया है। इसके बाद विनोद बिहारी लाल मुझसे नाराज हो गया और कई जगह मेरी शिकायत की। एक मुकदमे की विवेचना में लाल बंधुओं के खिलाफ मैंने चार्जशीट भी लगाई थी।’’
-के. के. मिश्र, एसआईटी में बतौर इंस्पेक्टर तैनात
अब तक बचते रहे
शुआट्स में कन्वर्जन के आरोप पहले भी लगते रहे, लेकिन हर बार राजेंद्र बिहारी लाल इससे इनकार करता रहा। सपा-बसपा की सरकार में लाल बंधुओं की पकड़ मजबूत थी, इसलिए वे हर बार गिरफ्तारी से बचते रहे। लेकिन अब बचने के लिए उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगानी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने राजेंद्र बिहारी लाल की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए उसके विरुद्ध शपथपत्र दाखिल किया है, जिसमें उसकी करतूतों का कच्चा चिट्ठा है। कन्वर्जन मामले में पुलिस ने शुआट्स के पूर्व छात्र दिनेश शुक्ला को स्वतंत्र गवाह बनाया है। दिनेश शुक्ला के आरोप को शुआट्स के प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी डॉ. रमाकांत दुबे ने झूठा करार दिया था। प्रवक्ता का कहना था कि शुआट्स की छवि बिगाड़ने के लिए कन्वर्जन और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं। शुआट्स के कार्यक्रमों में देश-विदेश के लोग शामिल होते रहे हैं। सर्वेंद्र द्वारा दर्ज प्राथमिकी में रमाकांत का भी नाम है।
सर्वेंद्र द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और लाल बंधुओं से पूछताछ की। जांच के दौरान आइजक फ्रैंक ने पुलिस को ‘लाल बंधुओं’ के विरुद्ध पुख्ता साक्ष्य मुहैया कराए हैं। पुलिस का कहना है कि आइजक फ्रैंक शुआट्स के बोर्ड का सदस्य है। फ्रैंक से 60 बिंदुओं पर पूछताछ की गई। उसने बताया कि 5 वर्ष पहले विल्सन किसपोटा शुआट्स के निदेशक थे। आईसीआईसीआई बैंक में उनके 24 करोड़ रुपये जमा थे। कुछ लोगों ने इसका गबन कर लिया और इसी रकम से लखनऊ, मिजार्पुर, इटावा, रुड़की, बेंगलुरु, अजमेर और न्यूयॉर्क तक में यीशु दरबार खोले गए। बकौल आइजक फ्रैंक, शुआट्स में लंबे समय से लाल बंधुओं का दबदबा है।
एसआईटी में बतौर इंस्पेक्टर तैनात के. के. मिश्र बताते हैं, ‘‘2010 के आस-पास की बात होगी। मैं नैनी थाने की एग्रीकल्चर पुलिस चौकी प्रभारी तैनात हुआ तो शुआट्स का एक गार्ड मुझे बुलाने आया। कुछ देर बाद वह दोबारा बुलाने आया और कहने लगा कि आकर मिल लीजिए। तब मैंने उससे पूछा कि क्या बात है? उसने बताया कि शुआट्स के निदेशक विनोद बिहारी लाल बुला रहे हैं। जो भी चौकी प्रभारी यहां तैनात होता है, उनसे मिलने जाता है। इसके बाद मैंने गार्ड से कहा कि विनोद बिहारी लाल को कह दो कि मैंने उसको बुलाया है। इसके बाद विनोद बिहारी लाल मुझसे नाराज हो गया और कई जगह मेरी शिकायत की। एक मुकदमे की विवेचना में लाल बंधुओं के खिलाफ मैंने चार्जशीट भी लगाई थी।’’
विदेशों से फंडिंग
जानकारी के अनुसार शुआट्स को विदेशों से लगभग 34.5 करोड़ रुपये चंदे में मिले। इसे हिंदुओं के कन्वर्जन पर खर्च किया गया। ये पैसे अमेरिका, जापान, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और इराक से मिले थे। 2005 में इस धनराशि को यीशु दरबार ट्रस्ट नामक संस्था को हस्तांतरित किया गया, जहां से इसे चर्च के लोगों को दिया गया। प्रयागराज व उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों के अलावा गुजरात और झारखंड में प्रयागराज में यीशु दरबार ट्रस्ट के कम से कम 12 केंद्र बताए जाते हैं।
पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल शपथ पत्र में कहा है कि जांच के दौरान कई जगहों की तलाशी में ईसाई प्रचार सामग्री व अन्य दस्तावेज बरामद किए गए। प्रचार सामग्री में कन्वर्जन और लोगों को प्रलोभन दिए जाने के बारे में लिखा गया है। शुआट्स के निदेशक (प्रशासन) विनोद बिहारी लाल, कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य आरोपियों के बारे में पुलिस ने कहा है कि ये लोग समाज में हाशिए पर रह रहे हिंदुओं को निशाना बनाते हैं। नौकरी, पैसे और अन्य प्रलोभन देकर उनका कन्वर्जन कराते हैं।
बरामद प्रचार सामग्री में कन्वर्ट होने पर 35 हजार रुपये और ईसाइयत का प्रचार करने पर 25 हजार प्रति माह वेतन देने का वादा किया गया है। 5 से 10 लोगों का कन्वर्जन कराने पर बोनस दिया जाता है। पुलिस के अनुसार, मिशनरी अस्पतालों में भर्ती मरीजों का भी कन्वर्जन करा रहे थे। इसमें अस्पताल का कर्मचारी संलिप्त था। फतेहपुर के पादरी ने जांच अधिकारियों को बताया कि वह अपने साथियों के साथ लालच देकर हिंदुओं का कन्वर्जन कर रहे थे।
फतेहपुर जिले में तैनात क्षेत्राधिकारी वीर सिंह के अनुसार, शुआट्स के कुलपति एवं निदेशक ने अग्रिम जमानत के लिए जिला न्यायालय में अर्जी दी थी, जो खारिज हो गई। इसके बाद आरोपी उच्च न्यायालय गए थे।
बहरहाल, कन्वर्जन मामले में पुलिस के बाद ‘लाल बंधुओं’ सहित अन्य आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। अवैध नियुक्तियों में एसटीएफ अलग से जांच कर रही है, जिसमें इनकी काली करतूतों का खुलासा होना है।
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