भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी से अलग रह रहीं उनकी पत्नी हसीन जहां ने मुस्लिम मर्दों को तलाक का एकाधिकार देने वाले तलाक-उल-हसन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने शीर्ष अदालत से मांग की है कि भारत में तलाक के लिए एक जैसा कानून होना चाहिए और मुसलमानों में तलाक-उल-हसन और न्यायिक दायरे के बाहर तलाक देने की जो परंपरा है, उसे रद्द करना चाहिए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद शमी को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका को ऐसी ही दूसरी याचिका के साथ टैग करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील दीपक प्रकाश ने याचिका में सभी समुदायों में तलाक की एक समान प्रक्रिया अपनाने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि वो एकतरफा तलाक की प्रक्रिया तलाक-उल-हसन से पीड़ित हैं। इस प्रक्रिया के तहत मोहम्मद शमी ने उन्हें 23 जुलाई 2022 को तलाक का पहला नोटिस दिया था।
याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तलाक-ए-बिद्दत के अलावा तलाक के कई प्रावधान हैं, जो एकतरफा तलाक की अनुमति देते हैं। इसमें मुस्लिम मर्दों को असीमित अधिकार प्राप्त हैं। इन प्रावधानों में मुस्लिम महिलाओं का पक्ष तक नहीं सुना जाता है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत एप्लीकेशन एक्ट, 1937 की धारा 2 असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का भी उल्लंघन करती है।
हसीन जहां ने कहा- मैं शरीयत की मारी हूं
हसीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि मैं शरीयत की मारी हूं। ऐसे में शीर्ष अदालत से मेरी मांग है कि देश में एक जैसा कानून होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि मुसलमानों में शरीयत कानून के तहत मिलने वाला तलाक-उल-हसन और न्यायिक दायरे के बाहर तलाक की दूसरी परंपराओं को भी रद्द किया जाना चाहिए। फिलहाल इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और केंद्र सरकार और महिला आयोग को भी नोटिस जारी किया है।
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