अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने यह घोषणा करके सबको चौंका दिया है कि वे अपने देश के रासायनिक हथियार नष्ट कर देंगे। लोग कयास लगा रहे हैं कि आखिर विश्व के सबसे बलशाली कहे जाने वाले देश अमेरिका के राष्ट्रपति ने ऐसा क्यों कहा है कि वे इस वर्ष अपने देश के तमाम रासायनिक हथियार बेअसर कर देंगे। साल उठता है क्या चीन भी ऐसा ही करेगा? क्योंकि बाइडेन की यह बात रूस तथा चीन के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित हुए एक संयुक्त वक्तव्य के बाद आई है। इस वक्तव्य में दोनों देशों के निशाने पर अमेरिका के रासायनिक हथियार हैं कि उसने अपने यहां ढेरों ऐसे हथियार रखे हुए हैं।
इस संबंध में व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया है कि अगले हफ्ते रासायनिक हथियारों पर होने जा रहे सम्मेलन में सदस्य देशों के साथ अमेरिका भी शामिल होगा। सम्मेलन का उद्देश्य है विश्व को रासायनिक हथियारों के खतरे से आगाह करना और इनसे छुटकारा दिलाना। व्हाइट हाउस का वक्तव्य कहता है कि हम रासायनिक हथियारों को नष्ट करते हैं क्योंकि हम विश्व के सामने एक मिसाल रखना चाहते हैं। वक्तव्य कहता है कि अमेरिका ऐसे खतरनाक हथियार अपने पास नहीं रखेगा। साथ ही, अमेरिका ऐसे हथियारों का जखीरा रखने का हमेशा की तरह विरोध ही करेगा।
रूस इस मुद्दे पर अमेरिका पर लंबे समय से आक्रामक रहा है। फरवरी 2022 में उसने यूक्रेन पर आक्रमण करते वक्त भी कहा था कि अमेरिका तथा यूक्रेन रसायनिक हथियार बना रहे हैं। रूस की सुरक्षा एजेंसियों का कहना था कि अमेरिका यूक्रेन में जैविक हथियार बनवा रहा है। तब अमेरिका ने माना था कि यूक्रेन में जैविक प्रयोगशाला काम कर रही है।
इससे पूर्व, अमेरिका के धुर विरोधी परन्तु आपस में नजदीकी वाले दो देश, रूस और चीन ने कुछ दिन पहले साझा बयान में अमेरिका पर आरोप लगाया था कि उसने अपने यहां खतरनाक हथियारों को इकट्ठा किया हुआ है। बयान कहता है कि अमेरिका रासायनिक हथियार सम्मेलन का एकमात्र ऐसा सदस्य देश है, जिसने अभी तक अपने यहां रखे रसायनिक हथियारों को नष्ट नहीं किया है।
रूस इस मुद्दे पर अमेरिका पर लंबे समय से आक्रामक रहा है। फरवरी 2022 में उसने यूक्रेन पर आक्रमण करते वक्त भी कहा था कि अमेरिका तथा यूक्रेन रसायनिक हथियार बना रहे हैं। रूस की सुरक्षा एजेंसियों का कहना था कि अमेरिका यूक्रेन में जैविक हथियार बनवा रहा है। तब अमेरिका ने माना था कि यूक्रेन में जैविक प्रयोगशाला काम कर रही है। लेकिन तब भी अमेरिका ने साफ मना किया था कि यूक्रेन में ऐसे हथियार बनाए जा रहे हैं।
लेकिन दूसरी तरफ, चालाक चीन है जिसने यह स्वीकारा ही नहीं है कि उसके पास रासायनिक हथियार हैं। चीन हमेशा से यही कहता आ रहा है कि उसने ऐसे हथियार तो कभी बनाए ही नहीं। हालांकि चीन के व्यवहार को देखते हुए उसकी ऐसी बातों पर विश्वास करने वाले विशेषज्ञ गिनती के ही होंगे। बताया यह जा रहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के समय जापान ने चीन में रासायनिक हथियारों की एक बड़ी खेप छोड़ी थी। अब उसे ही खत्म करने की मांग उठाई गई है।
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