मेरठ। यूपी के मेरठ शहर की निवेदिता की कहानी उन स्टूडेंट के अंदर संघर्ष की नई ताकत भर सकती है जो विपरीत हालात से हारकर मैदान छोड़ देते हैं। शार्ट टर्म मेमोरी लॉस की समस्या से जूझ रही निवेदिता एक क्रूर हादसे का शिकार हुई थी, जिसमें उसने पिता को खो दिया था और खुद भी लंबे वक्त कौमा में रही थी। अब भी वह बगैर सहायता के चल नहीं सकती है मगर मेहनत और लगन से उसने इंटरमीडिएट की परीक्षा में 90.4 % अंक हासिल कर मां के सपने को पंख लगा दिए हैं।
निवेदिता चौधरी की मां नलिनी मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में सहायक लेखाकार के पद पर कार्यरत हैं। पहले नलिनी के पति विशाल चौधरी सीसीएसयू में बीएड विभाग के प्रभारी थे। नवंबर 2014 में चौधरी फैमिली के साथ बड़ी त्रासदी हुई। कार हादसे में विशाल चौधरी की जान चली गई। दुर्घटना में बेटी निवेदिता भी गंभीर रूप से घायल हुई थी। उसके सिर में गहरी चोट लगी थी, जिसकी वजह से वह एक महीने से अधिक कौमा में रही और महीनों बिस्तर पर रहना पड़ा। विशाल चौधरी के निधन से परिवार बड़े संकट में आ गया था। निवेदिता की मां नलिनी कहती हैं कि मनहूस हादसे ने उनकी खुशियां छीन लीं। दुर्घटना से पहले वह आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाती थीं। पति की मौत के बाद उन्होंने परिवार संभालने के लिए कम वेतन पर यूनिवर्सिटी में नौकरी शुरू करनी पड़ी। उन्होंने बेटी निवेदिता की ताकत बढ़ाने को मां के तौर पर बहुत संघर्ष किया। बेटी के ज्यादा करीब रहने को उन्हें अतिरिक्त छुट्टियों की जरूरत थी। तमाम बाधाओं के बाद भी उन्होंने बेटी की पढ़ाई नहीं रुकने दी और उसको व्हील-चेयर पर स्कूल ले जाना जारी रखा।
लंबे इलाज के बाद निवेदिता की हालत सुधरी मगर हादसे के प्रभाव पूरी तरह से दूर नहीं हुए हैं। शारीरिक एवं मानसिक परेशानी उसे अब भी है। अब वह चल तो सकती है लेकिन इसके लिए उसे सहायता की जरूरत पड़ती है। लिखने के लिए भी उसे एक सहायक की आवश्यकता होती है। फौलाद कलेजे वाली मां की बहादुर बेटी निवेदित हालात से लड़ते हुए आगे बढ़ रही है। उसने मेरठ के सोफिया गर्ल्स स्कूल में कक्षा 9 तक पढ़ाई की। इसके बाद 10वीं के लिए आर्मी पब्लिक स्कूल चली गई। मां नलिनी बताती हैं कि बेटी को उसके पाठ याद कराने को वह उसके शैक्षणिक विषयों से जुड़ी कहानियाँ सुनाती थीं। शार्ट टर्म मेमोरी लॉस की समस्या से जूझते हुए भी सीबीएसई 12वीं बोर्ड में 90.4% अंक हासिल कर निवेदिता लाखों स्टूडेंट के लिए प्रेरणा बन गई है। वह अपनी कामयाबी का श्रेय मां को देती हैं और आगे चलकर फैशन डिजाइनर बनना चाहती हैं।
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