सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के मूल मंत्र पर काम कर रही योगी सरकार का यूपी में जनाधार और मजबूत होता जा रहा है। इसकी झलक उत्तर प्रदेश में दो विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भी देखने को मिली, जहां भाजपा समर्पित अपना दल (एस) के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज करायी। रामपुर की स्वार टांडा विधानसभा सीट पर भाजपा समर्पित अपना दल (एस) के उम्मीदवार शफीक अहमद अंसारी ने 27 साल के सपा के वर्चस्व को मिट्टी में मिलाकर आजम खां के किले को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया। उधर, छानबे विधानसभा सीट पर भी भाजपा समर्पित अपना दल (एस) की उम्मीदवार रिंकी कोल ने जीत दर्ज कराई है।
स्वार टांडा में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी अपना दल (एस) को विजय मिली। अपना दल के शफीक अहमद अंसारी ने 68630 वोट हासिल किए। वहीं सपा उम्मीदवार अनुराधा चौहान को 59906 वोट मिले। पीस पार्टी की उम्मीदवार डॉ. नाजिया सिद्दीकी को मजह 4688 वोट से संतोष करना पड़ा। भाजपा सहयोगी दल के उम्मीदवार को कुल 50.81 वोट फीसदी वोट मिले, जबकि सपा के खाते में 44.35 फीसदी वोट ही आए। भाजपा के सहयोगी दल के शफीक अंसारी ने 8724 वोट से सपा की अनुराधा चौहान को मात दी है।
1996 में विधानसभा चुनाव के बाद से स्वार विधानसभा की सीट समाजवादी पार्टी और आजम खान के कब्जे में थी। 2023 में हुए उपचुनाव में भाजपा अपना दल के प्रत्याशी ने स्वार विधानसभा सीट से आजम खान और समाजवादी पार्टी का पत्ता साफ कर दिया है।
मीरजापुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहयोगी दल अपना दल (एस) की प्रत्याशी रिंकी कौल के लिए जनसभा की थी। योगी ने आह्वान किया था कि राहुल कौल के निधन से खाली हुई इस सीट पर रिंकी कौल कप-प्लेट में जीत की चाय पिलाइए। सीएम की इस अपील को छानबे की जनता ने सिर आंखों पर रखा और रिंकी कौल को 9587 वोट से जिताकर विधानसभा में भेज दिया। रिंकी को 76203 और सपा की कीर्ति कोल को 66616 वोट हासिल हुए। रिंकी 46.7 प्रतिशत वोट पाने में सफल हुईं।
यूपी की स्वार टांडा विधानसभा सीट पर उपचुनाव सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के चलते हुआ। वहीं, छानबे विधानसभा सीट पर अपना दल (एस) के विधायक राहुल कोल के निधन की वजह से खाली हुई थी। इन दोनों सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारा था। बताया जा रहा है कि पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उपचुनावों से दूर रहने का फैसला किया था। ऐसे में इन सीटों पर सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी अपना दल (एस) और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी।
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