इसमें संदेह नहीं है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी और रिहाई के बीच उस देश में जिस तरह आग लगी है उससे गृहयुद्ध या मार्शल लॉ जैसे हालात देखने में आ रहे हैं। इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर उनके समर्थक अभी देश के अनेक हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं और आगजनी में लगे हैं। सरकार में इससे खलबली होनी स्वाभाविक है। इसलिए आज की कैबिनेट बैठक में अधिकांश मंत्री इमरजेंसी के पक्ष में दिखे।
फिलहाल इस बार की पूरी संभावना नजर आ रही है कि पाकिस्तान में वर्तमान हालात को देखते हुए आपातकाल लागू कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इन्हीं हालात पर गौर करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज ने कैबिनेट में अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान तहरीके-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान और उनकी पार्टी दोनों ही झूठे हैं। आज की कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इमरान खान की सरकार के गिरने के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने सरकार को गिराने के पीछे जो बातें कहीं थीं, वे सब पूरी तरह से झूठी साबित हुईं।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज ने कैबिनेट में अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान तहरीके-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान और उनकी पार्टी दोनों ही झूठे हैं। आज की कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इमरान खान की सरकार के गिरने के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने सरकार को गिराने के पीछे जो बातें कहीं थीं, वे सब पूरी तरह से झूठी साबित हुईं।
इस बैठक में शाहबाज खासकर इमरान पर बिफरे दिखे। उन्होंने यह भी कहा कि पीटीआई के नेता देश को बर्बादी की ओर ले जाने में जुटे हैं। शाहबात ने कहा कि देश पहले ही इतनी मुश्किलों में घिरा हुआ है। तिस पर अब ऐसे उपद्रव किए जा रहे हैं। शरीफ ने कहा कि देश में मुद्रा गर्त में जा रही है। इस सरकार को पिछली सरकार से विरासत में ही ढेरों मुश्किलें मिली हैं। इनकी वजह से आज भी स्थितियां संभली नहीं हैं। इमरान पर गुस्सा उतारते हुए प्रधानमंत्री शाहबाज का कहना था कि पिछली वाली सरकार ने आईएमएफ के साथ किए करार का उल्लंघन किया था। अब उनकी सरकार इस मामले को सुलझाने में लगी है।
आज की इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री क्या फैसला लेंगे यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन सरकार के मंत्री भी अंदर से घबराए हुए हैं, क्योंकि लग रहा है कि शायद अब शरीफ सरकार भी सत्ता में न रह पाए, हालात कहीं बेकाबू न हो जाएं, कहीं फौज फिर से कुर्सी हथिया न ले।
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