देहरादून : देवभूमि में मजार जिहाद के खिलाफ धामी सरकार की सख्ती के बाद तोड़ी गई अवैध मजारों की और उनकी खादिमों की भी पोलपट्टी खुल गई है, यहां मजारों के अंदर कुछ नही निकला।
जानकारी के मुताबिक इन अवैध और फर्जी मजारों के धंधे का पर्दाफाश धामी सरकार के बुल्डोजरों ने कर दिया है। उत्तराखंड में इन कथित मजारों में चादर चढ़ाने, अगरबत्ती जलाने, मनौतियां मांगे जाने और पैसा चढ़ाने का धंधा व्यापक स्तर पर चल रहा था। मजारों पर बैठे खादिम इन फर्जी मजारों पर आने वाले भोले-भाले लोगों को आस्था, दुआओं की कहानियां किस्से सुनाकर भ्रमजाल में फांसाकर अपने धंधे कर रहे थे। खासबात ये है, कि इन फर्जी मजारों की हकीकत बहुत से मुस्लिम जानते थे, इसलिए वो मजारों की तरफ झांकते नहीं थे, और हिंदू लोग इनके भ्रमजाल में फंस जाते थे।
इस बारे में पुलिस के खुफिया विभाग को भी पर्याप्त जानकारी थी, कि इन मजारों के अंदर कोई पीर नहीं हैं, बल्कि ये फ्रेंचाइजी मजारें हैं, यानि एक नाम की दस-दस स्थानों पर मजारें हैं, इसका उदाहरण कालू सैय्यद, भूरे शाह नामकी मजारों से मिलता है। स्वाभाविक सी बात है यदि कोई पीर बाबा यदि हैं, तो उन्हे एक ही स्थान पर दफनाया गया होगा न की दस स्थानों पर। बुजुर्ग लोग बताते हैं, कि पिरान कलियर,ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर जैसे सम्मानित पीर हैं, लेकिन इनकी एक ही स्थान पर मजार या दरगाह हैं और उनकी मान्यता भी है। इधर, जैसे ही प्रशासन और वन विभाग ने इन मजारों को अतिक्रमण की श्रेणी में नोटिस चस्पा किया वहां बैठने वाले खादिम पोलपट्टी खुलने की वजह से भाग खड़े हुए। पुलिस इन खादिमों की तलाश में है, ताकि उन्हें पकड़कर इस धोखेबाजी धंधे पर मुकदमें कायम किए जा सकें।
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा अतिक्रमण हटाने के अभियान के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते ने वन विभाग और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को ये निर्देशित किया कि वे इन फर्जी मजारों के खादिमों की भी धकड़ पकड़ करें और उनसे पूछताछ करें कि मजार जिहाद का उद्देश्य क्या है ? कौन फंडिंग कर रहा है ? यहां से उगाहने वाला पैसा कहां और किस-किस को जाता है ? क्या इन खादिमों के पीछे कोई जमात अथवा कोई ऐसा संगठन काम कर रहा है, जोकि देवभूमि उत्तराखंड के सनातन स्वरूप के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
ऐसे कई सवालों के उत्तर, राज्य पुलिस की खुफिया एजेंसियों को भी चाहिए, दिलचस्प बात ये है, कि जैसे ही अवैध मजारों पर बुल्डोजर चलने लगे खादिम उससे पहले ही अपने पीर को छोड़कर भाग खड़े हुए। हैरानी की बात ये है, कि कहीं भी कोई विरोध नहीं हुआ और इसके पीछे वजह यही है, कि इन मजारों के अंदर कुछ था ही नही और ये बात अब सबको मालूम हो गई है। ये अंधविश्वास की सच्चाई भी सबके सामने आ जाने से लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई है।
नोडल अधिकारी आईएफएस डॉ. पराग धकाते कहते हैं, कि लोगों को इस धोखे भरे धंधे से बचाने के लिए भी मजार जिहाद के खिलाफ अभियान है। वीर सावरकर संगठन के प्रमुख कुलदीप स्वेडिया कहते हैं कि धामी सरकार ने न सिर्फ मजार जिहाद के खिलाफ बुल्डोजर चलाया है, बल्कि हजारों हिंदुओं को भी इस अंधविश्वास से छुटकारा दिलाया है। समाजसेवी जगवीर सैनी बताते हैं हम कई सालों से सरकार शासन-प्रशासन को कहते आ रहे थे, कि इस मजार जिहाद लैंड जिहाद पर रोक लगनी चाहिए, लेकिन अब वो समय आ गया और इनका फर्जीवाड़ा सबके सामने है।
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